46 संबंधों: ऊर्जा, चुम्बकीय क्षेत्र, टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान, एक्स-किरण क्रिस्टलिकी, एकीकृत परिपथ, तिर्यक बन्धन, दिल्ली, दूरदर्शन, निर्वात, न्यूट्रॉन, परमाणु, परमाणु भट्ठी, परिवर्ती उर्जा साइक्लोट्रॉन केन्द्र, प्रकार्य-परिवर्तन, पीडीऍफ, बीटाट्रॉन, भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, माइक्रोट्रॉन, मुम्बई, यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संगठन, राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र, रैखिक कण त्वरक, रेडियो आवृत्ति, रेडियोसक्रियता, लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर, साइक्लोट्रॉन, सिंक्रोट्रॉन विकिरण, स्प्रिंग-८, जिनेवा, वान डी ग्राफ़ जेनरेटर, विद्युत प्रदायी, विद्युत्-क्षेत्र, विकिरण समस्थानिक, गतिज ऊर्जा, आयन रोपण, इन्दौर, इलेक्ट्रॉन पुंज प्रौद्योगिकी, कण पुंज, कण भौतिकी, कण भौतिकी के त्वरकों की सूची, कर्कट रोग, कृष्ण विवर, कैथोड किरण नलिका, केबल, कोलकाता, अविनाशी परीक्षण।
ऊर्जा
दीप्तिमान (प्रकाश) ऊर्जा छोड़ता हैं। भौतिकी में, ऊर्जा वस्तुओं का एक गुण है, जो अन्य वस्तुओं को स्थानांतरित किया जा सकता है या विभिन्न रूपों में रूपांतरित किया जा सकता हैं। किसी भी कार्यकर्ता के कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा (Energy) कहते हैं। ऊँचाई से गिरते हुए जल में ऊर्जा है क्योंकि उससे एक पहिये को घुमाया जा सकता है जिससे बिजली पैदा की जा सकती है। ऊर्जा की सरल परिभाषा देना कठिन है। ऊर्जा वस्तु नहीं है। इसको हम देख नहीं सकते, यह कोई जगह नहीं घेरती, न इसकी कोई छाया ही पड़ती है। संक्षेप में, अन्य वस्तुओं की भाँति यह द्रव्य नहीं है, यद्यापि बहुधा द्रव्य से इसका घनिष्ठ संबंध रहता है। फिर भी इसका अस्तित्व उतना ही वास्तविक है जितना किसी अन्य वस्तु का और इस कारण कि किसी पिंड समुदाय में, जिसके ऊपर किसी बाहरी बल का प्रभाव नहीं रहता, इसकी मात्रा में कमी बेशी नहीं होती। .
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चुम्बकीय क्षेत्र
किसी चालक में प्रवाहित विद्युत धारा '''I''', उस चालक के चारों ओर एक चुम्बकीय क्षेत्र '''B''' उत्पन्न करती है। चुंबकीय क्षेत्र विद्युत धाराओं और चुंबकीय सामग्री का चुंबकीय प्रभाव है। किसी भी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र दोनों, दिशा और परिमाण (या शक्ति) द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है; इसलिये यह एक सदिश क्षेत्र है। चुंबकीय क्षेत्र घूमते विद्युत आवेश और मूलकण के आंतरिक चुंबकीय क्षणों द्वारा उत्पादित होता हैं जो एक प्रमात्रा गुण के साथ जुड़ा होता है। 'चुम्बकीय क्षेत्र' शब्द का प्रयोग दो क्षेत्रों के लिये किया जाता है जिनका आपस में निकट सम्बन्ध है, किन्तु दोनों अलग-अलग हैं। इन दो क्षेत्रों को तथा, द्वारा निरूपित किया जाता है। की ईकाई अम्पीयर प्रति मीटर (संकेत: A·m−1 or A/m) है और की ईकाई टेस्ला (प्रतीक: T) है। चुम्बकीय क्षेत्र दो प्रकार से उत्पन्न (स्थापित) किया जा सकता है- (१) गतिमान आवेशों के द्वारा (अर्थात, विद्युत धारा के द्वारा) तथा (२) मूलभूत कणों में निहित चुम्बकीय आघूर्ण के द्वारा विशिष्ट आपेक्षिकता में, विद्युत क्षेत्र और चुम्बकीय क्षेत्र, एक ही वस्तु के दो पक्ष हैं जो परस्पर सम्बन्धित होते हैं। चुम्बकीय क्षेत्र दो रूपों में देखने को मिलता है, (१) स्थायी चुम्बकों द्वारा लोहा, कोबाल्ट आदि से निर्मित वस्तुओं पर लगने वाला बल, तथा (२) मोटर आदि में उत्पन्न बलाघूर्ण जिससे मोटर घूमती है। आधुनिक प्रौद्योगिकी में चुम्बकीय क्षेत्रों का बहुतायत में उपयोग होता है (विशेषतः वैद्युत इंजीनियरी तथा विद्युतचुम्बकत्व में)। धरती का चुम्बकीय क्षेत्र, चुम्बकीय सुई के माध्यम से दिशा ज्ञान कराने में उपयोगी है। विद्युत मोटर और विद्युत जनित्र में चुम्बकीय क्षेत्र का उपयोग होता है। .
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टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान
टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान (Tata Institute of Fundamental Research, TIFR) उच्च शिक्षा की महानतम् भारतीय संस्थाओं में से एक है। यहां मुख्यतः प्राकृतिक विज्ञान, गणित और कम्प्यूटर विज्ञान में अनुसंधान कार्य किया जा रहा है। यह मुम्बई के कोलाबा क्षेत्र में समुद्र के किनारे स्थित है। यहां का स्नातक कार्यक्रम अधोलिखित सभी विषयों में डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पी एच डी) की उपाधि प्रदान करता है। यह संस्थान होमी भाभा के निर्देशन में सन् १९४५ में स्थापित हुआ। इसे जून २००२ में समविश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ। .
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एक्स-किरण क्रिस्टलिकी
एक्स-किरण क्रिस्टलिकी द्वारा किसी अणु की संरचना ज्ञात करने की प्रक्रिया एक्स-किरण क्रिस्टलिकी (X-ray crystallography) क्रिस्टल की परमाणविक एवं आणविक संरचना जानने का एक औजार है। इस विधि में क्रिस्टलीय परमाणु आपतित एक्स-किरण को विभिन्न दिशाओं में विवर्तित कर देते हैं। इन विवर्तित एक्स-किर्णों की दिशा और उनकी तीव्रता क्रिस्टल की संरचना से सम्बन्धित है। अतः विवर्तित किरणों की दिशा और तीव्रता के ज्ञान से इन क्रिस्टलों की त्रिबीमीय छबि बनायी जा सकती है। .
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एकीकृत परिपथ
माइक्रोचिप कम्पनी की इप्रोम (EPROM) स्मृति के एकीकृत परिपथ आधुनिक सरफेस माउण्ट आईसी ऐटमेल (Atmel) की एक आईसी, जिसके अन्दर स्मृति ब्लॉक, निवेश निर्गम (इन्पुट-ऑउटपुट) एवं तर्क के ब्लॉक देखे जा सकते हैं। यह एक ही चिप में पूरा तन्त्र (System on Chip) है। एलेक्ट्रॉनिकी में एकीकृत परिपथ या एकीपरि (इन्टीग्रेटेड सर्किट (IC)) को सूक्ष्मपरिपथ (माइक्रोसर्किट), सूक्ष्मचिप, सिलिकॉन चिप, या केवल चिप के नाम से भी जाना जाता है। यह एक अर्धचालक पदार्थ के अन्दर बना हुआ एलेक्ट्रॉनिक परिपथ ही होता है जिसमें प्रतिरोध, संधारित्र आदि पैसिव कम्पोनेन्ट (निष्क्रिय घटक) के अलावा डायोड, ट्रान्जिस्टर आदि अर्धचालक अवयव निर्मित किये जाते हैं। जिस प्रकार सामान्य परिपथ का निर्माण अलग-अलग (डिस्क्रीट) अवयव जोड़कर किया जाता है, आईसी का निर्माण वैसे न करके एक अर्धचालक के भीतर सभी अवयव एक साथ ही एक विशिष्ट प्रक्रिया का पालन करते हुए निर्मित कर दिये जाते हैं। एकीकृत परिपथ आजकल जीवन के हर क्षेत्र में उपयोग में लाये जा रहे हैं। इनके कारण एलेक्ट्रानिक उपकरणों का आकार अत्यन्त छोटा हो गया है, उनकी कार्य क्षमता बहुत अधिक हो गयी है एवं उनकी शक्ति की जरूरत बहुत कम हो गयी है। संकर एकीकृत परिपथ भी लघु आकार के एकीपरि (एकीकृत परिपथ) होते हैं किन्तु वे अलग-अलग अवयवों को एक छोटे बोर्ड पर जोड़कर एवं एपॉक्सी आदि में जड़कर (इम्बेड करके) बनाये जाते हैं। अतः ये मोनोलिथिक आई सी से भिन्न हैं। .
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तिर्यक बन्धन
वल्कनीकरण, तिर्यक बन्धक का एक उदाहरण है। इस चित्र में दो बहुलक शृंखलाओं का योजनामूलक चित्रण किया गया है (गन्धक द्वारा प्राकृतिक रबर के वल्कनीकरण के बाद बने तिर्यक बन्धन '''नीला''' तथा '''हरा''') तिर्यक बन्धन, एक बहुलक शृंखला को दूसरी बहुलक शृंखला से जोड़ने वाला रासायनिक आबंध है। तिर्यक बन्धन दो सहसंयोजी हो सकते हैं या आयनिक बन्ध। श्रेणी:आबंध.
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दिल्ली
दिल्ली (IPA), आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (अंग्रेज़ी: National Capital Territory of Delhi) भारत का एक केंद्र-शासित प्रदेश और महानगर है। इसमें नई दिल्ली सम्मिलित है जो भारत की राजधानी है। दिल्ली राजधानी होने के नाते केंद्र सरकार की तीनों इकाइयों - कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका के मुख्यालय नई दिल्ली और दिल्ली में स्थापित हैं १४८३ वर्ग किलोमीटर में फैला दिल्ली जनसंख्या के तौर पर भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर है। यहाँ की जनसंख्या लगभग १ करोड़ ७० लाख है। यहाँ बोली जाने वाली मुख्य भाषाएँ हैं: हिन्दी, पंजाबी, उर्दू और अंग्रेज़ी। भारत में दिल्ली का ऐतिहासिक महत्त्व है। इसके दक्षिण पश्चिम में अरावली पहाड़ियां और पूर्व में यमुना नदी है, जिसके किनारे यह बसा है। यह प्राचीन समय में गंगा के मैदान से होकर जाने वाले वाणिज्य पथों के रास्ते में पड़ने वाला मुख्य पड़ाव था। यमुना नदी के किनारे स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। यह भारत का अति प्राचीन नगर है। इसके इतिहास का प्रारम्भ सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है। हरियाणा के आसपास के क्षेत्रों में हुई खुदाई से इस बात के प्रमाण मिले हैं। महाभारत काल में इसका नाम इन्द्रप्रस्थ था। दिल्ली सल्तनत के उत्थान के साथ ही दिल्ली एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक शहर के रूप में उभरी। यहाँ कई प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतों तथा उनके अवशेषों को देखा जा सकता हैं। १६३९ में मुगल बादशाह शाहजहाँ ने दिल्ली में ही एक चारदीवारी से घिरे शहर का निर्माण करवाया जो १६७९ से १८५७ तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रही। १८वीं एवं १९वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने लगभग पूरे भारत को अपने कब्जे में ले लिया। इन लोगों ने कोलकाता को अपनी राजधानी बनाया। १९११ में अंग्रेजी सरकार ने फैसला किया कि राजधानी को वापस दिल्ली लाया जाए। इसके लिए पुरानी दिल्ली के दक्षिण में एक नए नगर नई दिल्ली का निर्माण प्रारम्भ हुआ। अंग्रेजों से १९४७ में स्वतंत्रता प्राप्त कर नई दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित किया गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् दिल्ली में विभिन्न क्षेत्रों से लोगों का प्रवासन हुआ, इससे दिल्ली के स्वरूप में आमूल परिवर्तन हुआ। विभिन्न प्रान्तो, धर्मों एवं जातियों के लोगों के दिल्ली में बसने के कारण दिल्ली का शहरीकरण तो हुआ ही साथ ही यहाँ एक मिश्रित संस्कृति ने भी जन्म लिया। आज दिल्ली भारत का एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक केन्द्र है। .
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दूरदर्शन
दूरदर्शन या टेलीविजन (या संक्षेप में, टीवी) एक ऐसी दूरसंचार प्रणाली है जिसके द्वारा चलचित्र व ध्वनि को दो स्थानों के बीच प्रसारित व प्राप्त किया जा सके। यह शब्द दूरदर्शन सेट, दूरदर्शन कार्यक्रम तथा प्रसारण के लिये भी प्रयुक्त होता है। दूरदर्शन का अंग्रेजी शब्द 'टेलिविज़न' लैटिन तथा यूनानी शब्दों से बनाया गया है जिसका अर्थ होता है दूर दृष्टि (यूनानी - टेली .
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निर्वात
निर्वात को प्रदर्शित करने हेतु एक पम्प जब आकाश (स्पेस) के किसी आयतन में कोई पदार्थ नहीं होता तो कहा जाता है कि वह आयतन निर्वात (वैक्युम्) है। निर्वात की स्थिति में गैसीय दाब, वायुमण्डलीय दाब की तुलना में बहुत कम होता है। किन्तु स्पेस का कोई भी आयतन पूर्णतः निर्वात हो ही नहीं सकता। .
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न्यूट्रॉन
न्यूट्रॉन एक आवेश रहित मूलभूत कण है, जो परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन के साथ पाये जाते हैं। जेम्स चेडविक ने इनकी खोज की थी। इसे n प्रतीक चिन्ह द्वारा दर्शाया जाता है। श्रेणी:भौतिकी श्रेणी:भौतिक शब्दावली श्रेणी:रसायन शास्त्र.
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परमाणु
एक परमाणु किसी भी साधारण से पदार्थ की सबसे छोटी घटक इकाई है जिसमे एक रासायनिक तत्व के गुण होते हैं। हर ठोस, तरल, गैस, और प्लाज्मा तटस्थ या आयनन परमाणुओं से बना है। परमाणुओं बहुत छोटे हैं; विशिष्ट आकार लगभग 100 pm (एक मीटर का एक दस अरबवें) हैं। हालांकि, परमाणुओं में अच्छी तरह परिभाषित सीमा नहीं होते है, और उनके आकार को परिभाषित करने के लिए अलग अलग तरीके होते हैं जोकि अलग लेकिन काफी करीब मूल्य देते हैं। परमाणुओं इतने छोटे है कि शास्त्रीय भौतिकी इसका काफ़ी गलत परिणाम देते हैं। हर परमाणु नाभिक से बना है और नाभिक एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन्स से सीमित है। नाभिक आम तौर पर एक या एक से अधिक न्यूट्रॉन और प्रोटॉन की एक समान संख्या से बना है। प्रोटान और न्यूट्रान न्यूक्लिऑन कहलाता है। परमाणु के द्रव्यमान का 99.94% से अधिक भाग नाभिक में होता है। प्रोटॉन पर सकारात्मक विद्युत आवेश होता है, इलेक्ट्रॉन्स पर नकारात्मक विद्युत आवेश होता है और न्यूट्रान पर कोई भी विद्युत आवेश नहीं होता है। एक परमाणु के इलेक्ट्रॉन्स इस विद्युत चुम्बकीय बल द्वारा एक परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन की ओर आकर्षित होता है। नाभिक में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन एक अलग बल, यानि परमाणु बल के द्वारा एक दूसरे को आकर्षित करते है, जोकि विद्युत चुम्बकीय बल जिसमे सकारात्मक आवेशित प्रोटॉन एक दूसरे से पीछे हट रहे हैं, की तुलना में आम तौर पर शक्तिशाली है। परमाणु के केन्द्र में नाभिक (न्यूक्लिअस) होता है जिसका घनत्व बहुत अधिक होता है। नाभिक के चारो ओर ऋणात्मक आवेश वाले एलेक्ट्रान चक्कर लगाते रहते हैं जिसको एलेक्ट्रान घन (एलेक्ट्रान क्लाउड) कहते हैं। नाभिक, धनात्मक आवेश वाले प्रोटानों एवं अनावेशित (न्यूट्रल) न्यूट्रानों से बना होता है। जब किसी परमाणु में एलेक्ट्रानों की संख्या उसके नाभिक में स्थित प्रोटानों की संख्या के समान होती है तब परमाणु वैद्युकीय दृष्टि से अनावेशित होता है; अन्यथा परमाणु धनावेशित या ऋणावेशित ऑयन के रूप में होता है। आधुनिक रसायनशास्त्र में शताधिक मूल भूत माने गए हैं, जिनमें से कुछ तो धातुएँ हैं जैसे ताँबा, सोना, लोहा, सीसा, चाँदी, राँगा, जस्ता; कुछ और खनिज हैं, जैसे, गंधक, फासफरस, पोटासियम, अंजन, पारा, हड़ताल, तथा कुछ गैस हैं, जैसे, आक्सीजन, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन आदि। इन्हीं मूल भूतों के अनुसार परमाणु आधुनिक रसायन में माने जाते हैं। पहले समझा जाता था कि ये अविभाज्य हैं। अब इनके भी टुकड़े कर दिए गए हैं। नाभिक में प्रोटॉन की संख्या किसी रासायनिक तत्व को परिभाषित करता है: जैसे सभी तांबा के परमाणु में 29 प्रोटॉन होते हैं। न्यूट्रॉन की संख्या तत्व के समस्थानिक को परिभाषित करता है। इलेक्ट्रॉनों की संख्या एक परमाणु के चुंबकीय गुण को प्रभावित करता है। परमाणु अणु के रूप में रासायनिक यौगिक बनाने के लिए रासायनिक आबंध द्वारा एक या अधिक अन्य परमाणुओं को संलग्न कर सकते हैं। परमाणु की संघटित और असंघटित करने की क्षमता प्रकृति में हुए बहुत से भौतिक परिवर्तन के लिए जिम्मेदार है, और रसायन शास्त्र के अनुशासन का विषय है। .
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परमाणु भट्ठी
'''परमाणु भट्ठी''' का योजनामूलक (स्कीमैटिक) चित्र1 — नियन्त्रण छड़ें (कन्ट्रोल रॉड); 2 — शिल्डिंग; 3 — उष्मा अवरोधक (इंसुलेटर); 4 — मंदक (मॉडरेटर); 5 — नाभिकीय ईंधन; 6 — शीतलक (कूलैंट) परमाणु भट्ठी या 'न्यूक्लियर रिएक्टर' (nuclear reactor) वह युक्ति है जिसके अन्दर नाभिकीय शृंखला अभिक्रियाएँ आरम्भ की जाती हैं तथा उन्हें नियंत्रित करते हुए जारी रखा जाता है। .
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परिवर्ती उर्जा साइक्लोट्रॉन केन्द्र
परिवर्ती उर्जा साइक्लोट्रॉन केन्द्र (Variable Energy Cyclotron Centre (VECC)) भारत सरकार के परमाणु उर्जा विभाग का एक अनुसंधान एवं विकास केन्द्र है। यहाँ पर मूलभूत एवं अनुप्रयुक्त नाभिकीय विज्ञान में अनुसंधान होता है। यह भारत के कोलकाता नगर में स्थित है। इस केन्द्र में २२४ सेमी साइक्लोट्रॉन स्थापित है जो भारत में अपने तरह का प्रथम है। यह १९७७ से ही कार्यरत है। इससे विभिन्न उर्जा वाले प्रोटॉन, ड्यूट्रॉन, अल्फा कण एवं अन्य भारी ऑयन के किरण पुंज प्राप्त किये जाते हैं। यह केन्द्र अर्नेट (ERNET) के लिये ट्रन्जिट नोड भी है जो कि दूसरे संस्थानों से आने वाले एलेक्ट्रॉनिक मेल एवं अन्तरजाल का आवश्यक संसादन करता है। .
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प्रकार्य-परिवर्तन
कोई विवरण नहीं।
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पीडीऍफ
पीडीऍफ अर्थात पोर्टेबल डॉक्यूमेण्ट फॉर्मेट ई-पुस्तक हेतु प्रचलित फॉर्मेट है। यह अडॉबी नामक सॉफ्टवेयर कम्पनी के द्वारा विकसित किया गया था। वर्तमान में यह सबसे लोकप्रिय ई-बुक फॉर्मेट है। ई-पुस्तकों के अतिरिक्त इसे एक छपाई-मित्र (प्रिण्ट फ्रॅण्डली) फॉर्मेट के रूप में भी जाना जाता है। .
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बीटाट्रॉन
वर्ष १९४२ में जर्मनी में विकसित एक बीटाट्रॉन (6 MeV) बीटाट्रॉन (betatron) एक प्रकार का चक्रीय कण त्वरक है। इसका विकास नार्वे के वैज्ञानिक रोल्फ विडरो ने किया था। बीटाट्रॉन को एक ट्रान्सफॉर्मर माना जा सकता है जिसकी सेकेण्डरी एक टर्न वाली निर्वात पाइप होती है जिसके अन्दर इलेक्ट्रॉन चक्कर करते हुए त्वरित होते हैं। ट्रान्सफॉर्मर की प्राइमरी में प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित करने पर निर्वात पाइप में चक्कर कर रहे इलेक्ट्रॉन त्वरित होते हैं। बीटाट्रॉन मशीन पहली मशीन थी जिसके द्वारा साधारण इलेक्ट्रॉन गन से प्राप्त होने वाले इलेक्ट्रानों की अपेक्षा अधिक ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉन प्राप्त किये जा सके। श्रेणी:कण त्वरक.
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भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र
भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र मुम्बई में स्थित है। यह भारत सरकार के परमाणु उर्जा विभाग के अन्तर्गत नाभिकिय विज्ञान एवं अभियांत्रिकी एवं अन्य संबन्धित क्षेत्रों का बहु-विषयी नाभीकीय अनुसंधान केन्द्र है। भारत का परमाणु कार्यक्रम डा॰ होमी जहांगीर भाभा के नेतृत्व में आरम्भ हुआ। ३ जनवरी सन् १९५३ को परमाणु उर्जा आयोग के द्वारा परमाणु उर्जा संस्थान (ए ई ई टी) के नाम से आरम्भ हुआ और तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा २० जनवरी सन् १९५७ को राष्ट्र को समर्पित किया गया। इसके बाद परमाणु उर्जा संस्थान को पुनर्निर्मित कर १२ जनवरी सन् १९६७ को इसका नया नाम भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र किया गया, जो कि २४ जनवरी सन् १९६६ में डा॰ भाभा की विमान दुर्घटना में आकस्मिक मृत्यु के लिये एक विनम्र श्रद्धांजलि थी। .
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माइक्रोट्रॉन
परम्परागत माइक्रोट्रान का योजनामूलक चित्र माइक्रोट्रॉन (Microtron) एक प्रकार का छोटा आकार का चक्रीय कण त्वरक है। यह कम उर्जा (लगभग २० मेगा एलेक्ट्रॉन वोल्ट) तक एलेक्ट्रॉनों को त्वरित करने के लिये उपयोगी है। रैखिक कण त्वरक की भांति यह भी बड़े कण त्वरकों का आरम्भिक चरण का काम करता है। परम्परागत माइक्रोट्रान में कण किसी स्रोत से निकाले जाते हैं (चित्र में नीला रंग), प्रत्येक चक्कर में एकबार उन्हें ऊर्जा देकर त्वरित किया जाता है (माइक्रोवेव कैविटी, ग्रे रंग में), इसी प्रकार उनकी ऊर्जा तब तक बढ़ायी जाती है जब तक वे माइक्रोट्रान से बाहर नहीं निकल जाते। .
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मुम्बई
भारत के पश्चिमी तट पर स्थित मुंंबई (पूर्व नाम बम्बई), भारतीय राज्य महाराष्ट्र की राजधानी है। इसकी अनुमानित जनसंख्या ३ करोड़ २९ लाख है जो देश की पहली सर्वाधिक आबादी वाली नगरी है। इसका गठन लावा निर्मित सात छोटे-छोटे द्वीपों द्वारा हुआ है एवं यह पुल द्वारा प्रमुख भू-खंड के साथ जुड़ा हुआ है। मुम्बई बन्दरगाह भारतवर्ष का सर्वश्रेष्ठ सामुद्रिक बन्दरगाह है। मुम्बई का तट कटा-फटा है जिसके कारण इसका पोताश्रय प्राकृतिक एवं सुरक्षित है। यूरोप, अमेरिका, अफ़्रीका आदि पश्चिमी देशों से जलमार्ग या वायुमार्ग से आनेवाले जहाज यात्री एवं पर्यटक सर्वप्रथम मुम्बई ही आते हैं इसलिए मुम्बई को भारत का प्रवेशद्वार कहा जाता है। मुम्बई भारत का सर्ववृहत्तम वाणिज्यिक केन्द्र है। जिसकी भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 5% की भागीदारी है। यह सम्पूर्ण भारत के औद्योगिक उत्पाद का 25%, नौवहन व्यापार का 40%, एवं भारतीय अर्थ व्यवस्था के पूंजी लेनदेन का 70% भागीदार है। मुंबई विश्व के सर्वोच्च दस वाणिज्यिक केन्द्रों में से एक है। भारत के अधिकांश बैंक एवं सौदागरी कार्यालयों के प्रमुख कार्यालय एवं कई महत्वपूर्ण आर्थिक संस्थान जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक, बम्बई स्टॉक एक्स्चेंज, नेशनल स्टऑक एक्स्चेंज एवं अनेक भारतीय कम्पनियों के निगमित मुख्यालय तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियां मुम्बई में अवस्थित हैं। इसलिए इसे भारत की आर्थिक राजधानी भी कहते हैं। नगर में भारत का हिन्दी चलचित्र एवं दूरदर्शन उद्योग भी है, जो बॉलीवुड नाम से प्रसिद्ध है। मुंबई की व्यवसायिक अपॊर्ट्युनिटी, व उच्च जीवन स्तर पूरे भारतवर्ष भर के लोगों को आकर्षित करती है, जिसके कारण यह नगर विभिन्न समाजों व संस्कृतियों का मिश्रण बन गया है। मुंबई पत्तन भारत के लगभग आधे समुद्री माल की आवाजाही करता है। .
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यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संगठन
सर्न (Organisation Européenne pour la Recherche Nucléaire या CERN (फ़्रान्सीसी में) .
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राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र
राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र स्थित '''इण्डस-दो''' (INDUS-2) राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र (RRCAT) मध्य प्रदेश के इन्दौर के बाहरी हिस्से में सुखनिवास गांव के पास स्थित है। यह भारत सरकार के परमाणु उर्जा विभाग के अन्तरगत स्थापित एक अनुसंधान एवं विकास केन्द्र है। इसकी स्थापना १९८५ में तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने की थी। यहाँ पर मुख्यतः दो क्षेत्रों में कार्य होता है - कणों के त्वरक (particle accelerator) तथा लेजर (LASER)। इस समय इण्डस्-१ व इन्डस्-२ नामक दो इलेक्ट्रान त्वरक यहां काम कर रहे हैं। इनसे निकलने वाले विकिरण का नाम सिंक्रोट्रान् रेडिएशन (Synchrotron radiation) है जिसका उपयोग अनेक क्षेत्रों में होता है। इसके अतिरिक्त यहां पर औद्योगिक व मेडिकल त्वरक बनाने का कार्य भी हांथ में लिया गया है। .
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रैखिक कण त्वरक
जापान के केक (KEK) नामक कण-त्वरक सुविधा में प्रयुक्त एक रैखिक कण त्वरक वे कण त्वरक रैखिक कण त्वरक (linear particle accelerator) या लिनैक (linac) कहलाते हैं जो आवेशित कणों को सीधी रेखा में (बिना मोड़े) त्वरित करते हैं। टीवी (पिक्चर ट्यूब वाली टीवी) सरलतम रैखिक त्वरक है जो ट्यूब के पिछले सिरे पर स्थित कैथोड से उत्सर्जित एलेक्ट्रॉनों की वेग वृद्धि करके अधिक तेजी से पर्दे पर टकराने में मदद करता है। रैखिक कण त्वरक का आविष्कार सन् १९२८ में रॉल्फ विडेरो (Rolf Widerøe) ने किया था। .
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रेडियो आवृत्ति
3 किलोहर्ट्ज से 300 गीगा हर्ट्ज़ की आवृत्ति वाली तरंगों को रेडियो आवृत्ति (RF) कहते हैं। रेडियो तरंगें, रेडियो आवृत्ति की तरंगे ही होतीं हैं। रेडियो आवृत्ति के कम्पन - यांत्रिक कम्पन और वैद्युत कम्पन दोनों हो सकते हैं किन्तु प्रायः रेडियो आवृत्ति से आशय विद्युत कम्पन से ही होता है न कि यांत्रिक कम्पन से। .
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रेडियोसक्रियता
अल्फा, बीटा और गामा विकिरण की भेदन क्षमता अलग-अलग होती है। रेडियोसक्रियता (रेडियोऐक्टिविटी / radioactivity) या रेडियोधर्मिता वह प्रकिया होती है जिसमें एक अस्थिर परमाणु अपने नाभिक (न्यूक्लियस) से आयनकारी विकिरण (ionizing radiation) के रूप में ऊर्जा फेंकता है। ऐसे पदार्थ जो स्वयं ही ऐसी ऊर्जा निकालते हों विकिरणशील या रेडियोधर्मी कहलाते हैं। यह विकिरण अल्फा कण (alpha particles), बीटा कण (beta particle), गामा किरण (gamma rays) और इलेक्ट्रॉनों के रूप में होती है। ऐसे पदार्थ जिनकी परमाण्विक नाभी स्थिर नहीं होती और जो निश्चित मात्रा में आवेशित कणों को छोड़ते हैं, रेडियोधर्मी (रेडियोऐक्टिव) कहलाते हैं। .
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लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर
लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर या वृहद हैड्रॉन संघट्टक (Large Hadron Collider; LHC के रूप में संक्षेपाक्षरित) विश्व का सबसे विशाल और शक्तिशाली कण त्वरक है। यह सर्न की महत्वाकांक्षी परियोजना है। यह जेनेवा के समीप फ़्रान्स और स्विट्ज़रलैण्ड की सीमा पर ज़मीन के नीचे स्थित है। इसकी रचना २७ किलोमीटर परिधि वाले एक छल्ले-नुमा सुरंग में हुई है, जिसे आम भाषा में लार्ड ऑफ द रिंग कहा जा रहा है। इसी सुरंग में इस त्वरक के चुम्बक, संसूचक (डिटेक्टर), बीम-लाइन एवं अन्य उपकरण लगे हैं। सुरंग के अन्दर दो बीम पाइपों में दो विपरीत दिशाओं से आ रही ७ TeV (टेरा एले़ट्रान वोल्ट्) की प्रोट्रॉन किरण-पुंजों (बीम) को आपस में संघट्ट (टक्कर) किया जायेगा जिससे वही स्थिति उत्पन्न की जायेगी जो ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के समय बिग बैंग के रूप में हुई थी। ग्यातव्य है कि ७ TeV उर्जा वाले प्रोटॉन का वेग प्रकाश के वेग के लगभग बराबर होता है। एल एच सी की सहायता से किये जाने वाले प्रयोगों का मुख्य उद्देश्य स्टैन्डर्ड मॉडेल की सीमाओं एवं वैधता की जाँच करना है। स्टैन्डर्ड मॉडेल इस समय कण-भौतिकी का सबसे आधुनिक सैद्धान्तिक व्याख्या या मॉडल है। १० सितंबर २००८ को पहली बार इसमें सफलता पूर्वक प्रोटान धारा प्रवाहित की गई। इस परियोजना में विश्व के ८५ से अधिक देशों नें अपना योगदान किया है। परियोजना में ८००० भौतिक वैज्ञानिक कार्य कर रहे हैं जो विभिन्न देशों, या विश्वविद्यालयों से आए हैं। प्रोटॉन बीम को त्वरित (accelerate) करने के लिये इसके कुछ अवयवों (जैसे द्विध्रुव (डाइपोल) चुम्बक, चतुर्ध्रुव (quadrupole) चुमबक आदि) का तापमान लगभग 1.90केल्विन या -२७१.२५0सेन्टीग्रेड तक ठंडा करना आवश्यक होता है ताकि जिन चालकों (conductors) में धारा बहती है वे अतिचालकता (superconductivity) की अवस्था में आ जांय और ये चुम्बक आवश्यक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न कर सकें।"".
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साइक्लोट्रॉन
साइक्लोट्रॉन में आवेशित कण जैसे-जैसे त्वरित होता है, उसके गति-पथ की त्रिज्या बढ़ती जाती है। साइक्लोट्रॉन (Cyclotron) एक प्रकार का कण त्वरक है। 1932 ई. में प्रोफेसर ई. ओ. लारेंस (Prof. E.O. Lowrence) ने वर्कले इंस्टिट्यूट, कैलिफोर्निया, में सर्वप्रथम साइक्लोट्रॉन (Cyclotron) का आविष्कार किया। वर्तमान समय में तत्वांतरण (transmutation) तकनीक के लिए यह सबसे प्रबल उपकरण है। साइक्लोट्रॉन के आविष्कार के लिए प्रोफेसर लारेंस को 1939 ई. में "नोबेल पुरस्कार" प्रदान किया गया। .
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सिंक्रोट्रॉन विकिरण
बंकन चुम्बक (द्विध्रुवी चुम्बक) से प्राप्त सिंक्रोट्रॉन विकिरण अनडुलेटर से प्राप्त सिंक्रोट्रॉन विकिरण सिंक्रोट्रॉन विकिरण (synchrotron radiation) वह विद्युत्चुम्बकीय विकिरण है जो आवेशित कणों को उनके पथ के लम्बवत दिशा में त्वरित करने पर उत्पन्न होता है। सिंक्रोट्रॉन विकिरण स्रोतों से प्राप्त सिंक्रोट्रॉन विकिरण उनमें लगे द्विध्रुवी चुम्बकों तथा अनडुलेटर और/या विगलर से प्राप्त होता है। सिन्क्रोट्रॉन विकिरण में अपना विशिष्ट ध्रुवीकरण होता है। सम्पूर्ण विद्युतचुम्बकीय स्पेक्ट्रम के सभी भागों में सिंक्रोट्रॉन विकिरण प्राप्त किया जा सकता है, अर्थात सिंक्रोट्रॉन विकिरण दृष्य प्रकाश, परावैंगनी, अवरक्त, एक्स-किरण, गामा किरण आदि सभी प्रकार का हो सकता है। .
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स्प्रिंग-८
स्प्रिंग-8 (SPring-8) जापान का एक कण त्वरक है। यह जापान के ह्योगो प्रीफेक्चर में स्थित 8 GeV ऊर्जा वाली एक सिन्क्रोट्रॉन विकिरण सुविधा है जिसका विकास संयुक्त रूप से RIKEN एवं जापान का परमाणु ऊर्जा अनुसन्धान संस्थान ने किया है। यह विश्व के ५ विशालतम सिन्क्रोट्रॉन स्रोतों में से एक है। स्प्रिंग-८ .
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जिनेवा
जिनेवा या जनेवा (अंग्रेज़ी: Geneva; जनीवा, फ़्रांसीसी: Genève; जेनेव, जर्मन: Genf; जेन्फ़), स्विट्ज़रलैंड का ज़्यूरिख़ के बाद दूसरा सबसे बड़ा शहर है। ये फ़्रांस से सटा हुआ है और इसकी राजभाषा फ्रांसीसी है। ये शहर "जिनेवा सरोवर" के किनारे बसा है। यहाँ संयुक्त राष्ट्र संघ के कई निकायों के कार्यालय स्थित हैं। .
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वान डी ग्राफ़ जेनरेटर
वान डी ग्राफ जनित्र का योजनामूलक चित्र वान डी ग्राफ जनित्र वान डी ग्राफ़ जेनरेटर (अंग्रेज़ी:Van der Graaf Generator) एक वैज्ञानिक उपकरण है। वान डी ग्राफ़ जेनरेटर उच्च विभवान्तर पैदा करने में प्रयोग होता है। .
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विद्युत प्रदायी
व्यक्तिगत कम्प्यूटर (पीसी) की पॉवर सप्लाई विद्युत शक्ति के किसी स्रोत को सामान्य रूप से विद्युत प्रदायी या 'विद्युत प्रदायक' या 'पॉवर सप्लाई' कहा जाता है। यह शब्द अधिकांशतः वैद्युत शक्ति आपूर्ति के सन्दर्भ में ही प्रयुक्त होता है; यांत्रिक शक्ति के सन्दर्भ में यह बहुत कम प्रयुक्त होता है; अन्य उर्जा के सन्दर्भ में लगभग इसका कभी भी उपयोग नहीं होता।.
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विद्युत्-क्षेत्र
किसी ऋणावेशित अनन्त चादर के ऊपर यदि एक धनावेशित बिन्दु आवेश लटका हो तो वहाँ विद्युत क्षेत्र रेखाएँ इस प्रकार होंगी। यदि किसी स्थान पर स्थित किसी स्थिर आवेशित कण पर बल लगता है तो कहते हैं कि उस स्थान पर विद्युत्-क्षेत्र (electric field) है। विद्युत क्षेत्र आवेशित कणों के द्वारा उत्पन्न होता है या समय के साथ परिवर्तित हो रहे चुम्बकीय क्षेत्र के कारण। विद्युत क्षेत्र की अवधारणा सबसे पहले माइकल फैराडे ने प्रस्तुत की थी। श्रेणी:विद्युत.
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विकिरण समस्थानिक
विकिरण समस्थानिक (radionuclide या radioactive nuclide या radioisotope या radioactive isotope) उन परमाणुओं को कहते हैं जिनके नाभिक अपनी अतिरिक्त ऊर्जा के कारण अस्थायी (अनस्टेबल) होते हैं। ये समस्थानिक या तो अपनी ऊर्जा को गामा किरणों के रूप में निकालते हैं, या अल्फा कण / बीटा कण के रूप में निकालते हैं या अपनी ऊर्जा को अपने ही किसी इलेक्ट्रॉन को दे देते हैं जिससे वह परमाणु से निकल जाता है। इस प्रक्रिया को रेडियो सक्रिय क्षय कहते हैं। 1,000 से भी अधिक रेडियो समस्थानिक ज्ञात हैं। इनमें से लगभग ५० तो प्राकृतिक रूप से पाये जाते हैं। शेष सभी नाभिकीय अभिक्रियाओं में सीधे उत्पन्न होते हैं या नाभिकीय अभिक्रायाओं के उत्पादों से व्युत्पन्न होते हैं। उदाहरण -.
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गतिज ऊर्जा
गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy) किसी पिण्ड की वह अतिरिक्त ऊर्जा है जो उसके रेखीय वेग अथवा कोणीय वेग अथवा दोनो के कारण होती है। इसका मान उस पिण्ड को विरामावस्था से उस वेग तक त्वरित करने में किये गये कार्य के बराबर होती है। यदि किसी पिण्ड की गतिज ऊर्जा E हो तो उसे विरामावस्था में लाने के लिये E के बराबर ऋणात्मक कार्य करना पड़ेगा। गतिज ऊर्जा (रेखीय गति) .
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आयन रोपण
आयन रोपण का योजनामूलक चित्र आयन रोपण (Ion implantation), पदार्थ इंजीनियरी का एक प्रक्रम है जिसमें किसी पदार्थ के आयनों को विद्युत क्षेत्र की सहायता से त्वरित करते हुए किसी दूसरे ठोस पदार्थ पर टकराया जाता है। इस प्रकार के टक्कर के कारण उस पदार्थ के भौतिक, रासायनिक एवं वैद्युत गुण बदल जाते हैं। आयन रोपण का उपयोग अर्धचालक युक्तियों के निर्माण (जैसे आईसी निर्माण) में किया जाता है। इसके अलावा इसका उपयोग धातु परिष्करण (मेटल फिनिशिंग) एवं पदार्थ विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान में किया जाता है। श्रेणी:पदार्थ विज्ञान श्रेणी:अर्धचालक युक्ति निर्माण.
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इन्दौर
इन्दौर (अंग्रेजी:Indore) जनसंख्या की दृष्टि से भारत के मध्य प्रदेश राज्य का सबसे बड़ा शहर है। यह इन्दौर ज़िला और इंदौर संभाग दोनों के मुख्यालय के रूप में कार्य करता है। इंदौर मध्य प्रदेश राज्य की वाणिज्यिक राजधानी भी है। यह राज्य के शिक्षा हब के रूप में माना जाता है। इंदौर भारत का एकमात्र शहर है, जहाँ भारतीय प्रबन्धन संस्थान (IIM इंदौर) व भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT इंदौर) दोनों स्थापित हैं। मालवा पठार के दक्षिणी छोर पर स्थित इंदौर शहर, राज्य की राजधानी से १९० किमी पश्चिम में स्थित है। भारत की जनगणना,२०११ के अनुसार २१६७४४७ की आबादी सिर्फ ५३० वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में वितरित है। यह मध्यप्रदेश में सबसे अधिक घनी आबादी वाले प्रमुख शहर है। यह भारत में के तहत आता है। इंदौर मेट्रोपोलिटन एरिया (शहर व आसपास के इलाके) की आबादी राज्य में २१ लाख लोगों के साथ सबसे बड़ी है। इंदौर अपने स्थापना के इतिहास में १६वीं सदी क डेक्कन (दक्षिण) और दिल्ली के बीच एक व्यापारिक केंद्र के रूप में अपने निशान पाता है। मराठा पेशवा बाजीराव प्रथम के मालवा पर पूर्ण नियंत्रण ग्रहण करने के पश्चात, १८ मई १७२४ को इंदौर मराठा साम्राज्य में सम्मिलित हो गया था। और मल्हारराव होलकर को वहाँ का सुबेदार बनाया गया। जो आगे चल कर होलकर राजवंश की स्थापना की। ब्रिटिश राज के दिनों में, इन्दौर रियासत एक १९ गन सेल्यूट (स्थानीय स्तर पर २१) रियासत था जो की उस समय (एक दुर्लभ उच्च रैंक) थी। अंग्रेजी काल के दौरान में भी यह होलकर राजवंश द्वारा शासित रहा। भारत के स्वतंत्र होने के कुछ समय बाद यह भारत अधिराज्य में विलय कर दिया गया। इंदौर के रूप में सेवा की राजधानी मध्य भारत १९५० से १९५६ तक। इंदौर एक वित्तीय जिले के समान, मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी के रूप में कार्य करता है। और भारत का तीसरा सबसे पुराने शेयर बाजार, मध्यप्रदेश स्टॉक एक्सचेंज इंदौर में स्थित है। यहाँ का अचल संपत्ति (रीयल एस्टेट) बज़ार, मध्य भारत में सबसे महंगा है। यह एक औद्योगिक शहर है। यहाँ लगभग ५,००० से अधिक छोटे-बडे उद्योग हैं। यह सारे मध्य प्रदेश में सबसे अधिक वित्त पैदा करता है। पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में ४०० से अधिक उद्योग हैं और इनमे १०० से अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के उद्योग हैं। पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के प्रमुख उद्योग व्यावसायिक वाहन बनाने वाले व उनसे सम्बन्धित उद्योग हैं। व्यावसायिक क्षेत्र में मध्य प्रदेश की प्रमुख वितरण केन्द्र और व्यापार मंडीयाँ है। यहाँ मालवा क्षेत्र के किसान अपने उत्पादन को बेचने और औद्योगिक वर्ग से मिलने आते है। यहाँ के आस पास की ज़मीन कृषि-उत्पादन के लिये उत्तम है और इंदौर मध्य-भारत का गेहूँ, मूंगफली और सोयाबीन का प्रमुख उत्पादक है। यह शहर, आस-पास के शहरों के लिए प्रमुख खरीददारी का केन्द्र भी है। इन्दौर अपने नमकीनों व खान-पान के लिये भी जाना जाता है। प्र.म. नरेंद्र मोदी के स्मार्ट सिटी मिशन में १०० भारतीय शहरों को चयनित किया गया है जिनमें से इंदौर भी एक स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा। स्मार्ट सिटी मिशन के पहले चरण के अंतर्गत बीस शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जायेगा और इंदौर भी इस प्रथम चरण का हिस्सा है। 'स्वच्छ सर्वेक्षण २०१७' के परिणामों के अनुसार इन्दौर भारत का सबसे स्वच्छ नगर है। .
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इलेक्ट्रॉन पुंज प्रौद्योगिकी
कोई विवरण नहीं।
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कण पुंज
आवेशित या अनावेशित कणों के प्रवाह को कण पुंज (particle beam) कहते हैं। बहुत से कण पुंज प्रकाश के वेग के लगभग बराबर वेग से गति करते हैं। .
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कण भौतिकी
कण भौतिकी, भौतिकी की एक शाखा है जिसमें मूलभूत उप परमाणविक कणो के पारस्परिक संबन्धो तथा उनके अस्तित्व का अध्ययन किया जाता है, जिनसे पदार्थ तथा विकिरण निर्मित हैं। हमारी अब तक कि समझ के अनुसार कण क्वांटम क्षेत्रों के उत्तेजन (excitations) हैं। दूसरे कणों के साथ इनकी अन्तःक्रिया की अपनी गतिकी है। कण भौतिकी के क्षेत्र में अधिकांश रुचि मूलभूत क्षेत्रों (fundamental fields) में है। मौलिक क्षेत्रों और उनकी गतिशीलताओ के सार को सिद्धान्त के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसिलिये कण भौतिकी में अधिकतर स्टैंडर्ड मॉडल (Standard Model) के मूल कणों तथा उनके सम्भावित विस्तार के बारे में अध्यन किया जाता है। .
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कण भौतिकी के त्वरकों की सूची
नीचे उन कण त्वरकों की सूची दी गयी है जो कण भौतिकी के प्रयोगों में प्रयुक्त होते हैं। कुछ आरम्भिक त्वरकों को भी इसमें शामिल किया गया है जो नाभिकीय भौतिकी में अनुसंधान के लिये प्रयुक्त हुए थे क्योंकि तब तक नाभिकीय भौतिकी और कण भौतिकी अलग-अलग नहीं थे। .
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कर्कट रोग
कर्कट (चिकित्सकीय पद: दुर्दम नववृद्धि) रोगों का एक वर्ग है जिसमें कोशिकाओं का एक समूह अनियंत्रित वृद्धि (सामान्य सीमा से अधिक विभाजन), रोग आक्रमण (आस-पास के उतकों का विनाश और उन पर आक्रमण) और कभी कभी अपररूपांतरण अथवा मेटास्टैसिस (लसिका या रक्त के माध्यम से शरीर के अन्य भागों में फ़ैल जाता है) प्रदर्शित करता है। कर्कट के ये तीन दुर्दम लक्षण इसे सौम्य गाँठ (ट्यूमर या अबुर्द) से विभेदित करते हैं, जो स्वयं सीमित हैं, आक्रामक नहीं हैं या अपररूपांतरण प्रर्दशित नहीं करते हैं। अधिकांश कर्कट एक गाँठ या अबुर्द (ट्यूमर) बनाते हैं, लेकिन कुछ, जैसे रक्त कर्कट (श्वेतरक्तता) गाँठ नहीं बनाता है। चिकित्सा की वह शाखा जो कर्कट के अध्ययन, निदान, उपचार और रोकथाम से सम्बंधित है, ऑन्कोलॉजी या अर्बुदविज्ञान कहलाती है। कर्कट सभी उम्र के लोगों को, यहाँ तक कि भ्रूण को भी प्रभावित कर सकता है, लेकिन अधिकांश किस्मों का जोखिम उम्र के साथ बढ़ता है। कर्कट में से १३% का कारण है। अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार, २००७ के दौरान पूरे विश्व में ७६ लाख लोगों की मृत्यु कर्कट के कारण हुई। कर्कट सभी जानवरों को प्रभावित कर सकता है। लगभग सभी कर्कट रूपांतरित कोशिकाओं के आनुवंशिक पदार्थ में असामान्यताओं के कारण होते हैं। ये असामान्यताएं कार्सिनोजन या का कर्कटजन (कर्कट पैदा करने वाले कारक) के कारण हो सकती हैं जैसे तम्बाकू धूम्रपान, विकिरण, रसायन, या संक्रामक कारक.
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कृष्ण विवर
किसी कृष्ण विवर का सिमुलेट किया हुआ चित्र। इस विवर का द्रव्यमान 10 सूर्य के बराबर है, तथा 600 कि॰मी॰ की दरी से लिया गया चित्र प्रदर्शित है। इस दूरी पर स्gfgfhgथापित रहने के लिये कम से कम 600 मिलीयन g का त्वरण आवश्यक है।http://www.spacetimetravel.org/expeditionsl/expeditionsl.html "Step by Step into a Black Hole" कृष्ण विवर, श्याम विवर, कृष्ण गर्त या ब्लैक होल अन्तरिक्ष का वह हिस्सा होता है जहाँ गुरुत्वीय क्षेत्र इतना प्रबल होता है कि इसमे से कुछ भी बाहर नहीं आ सकता; यहाँ तक कि विद्युतचुम्बकीय तरंगे (जैसे, प्रकाश) भी नही। इनकी उपस्थिति का ज्ञान इनका अन्य पदार्थों के साथ परस्पर क्रिया (इन्टरैक्शन) द्वारा किया जा सकता है हालांकि इतने शक्तिशाली गुरुत्वीय क्षेत्र का विचार १८ वी सदी का है परन्तु वर्त्तमान में काल-कोठरी अलबर्ट आइंस्टाइन के सापेक्षता के सिद्धांत पर ही समझाए जाते हैं। .
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कैथोड किरण नलिका
रंगीन सीआरटी का काटा हुआ आरेख: '''१.''' तीन इलेक्ट्रॉन बंदूक (इलेक्ट्रान गन) (लाल, हरा और नीले फॉस्फर बिंदु हेतु)'''२.''' इलेक्ट्रॉन किरण'''३.''' केन्द्रन कुंडली'''४.''' कोण देने की कुंडलियां'''५.''' धनाग्र (एनोड) संबंध'''६.''' चित्र के अनावश्यक लाल, हरे और नीले भाग को छिपाने और किरणों को पृथक करने के लिए आवरण'''७.''' फॉस्फर पर्त में लाल, नीली और हरित क्षेत्र'''६.''' फॉस्फर-मंडित पटल का आंतरिक दृश्य ऋणाग्र किरण नलिका (अंग्रेज़ी:कैथोड रे ट्यूब, लघुरूप:सी.आर.टी.) एक निर्वात नलिका होती है, जिसमें एक इलेक्ट्रॉन बंदूक (ऋणवेशिक स्रोत) और एक प्रदीप्त पटल होता है। इसमें इलेक्ट्रॉन को त्वरित करने और कोण देने के लिए आंतरिक या बाह्य प्रविधि (तकनीक) का प्रयोग होता है। ये नलिका पटल पर इलेक्ट्रॉन की किरण को डाल कर प्रकाश उत्सर्जित कर छवि निर्माण करने के प्रयोग में आता है। ये छवि किसी विद्युत संकेत तरंगरूप (दोलनदर्शी), छवि (दूरदर्शन, या संगणक पटल) या तेजोन्वेष (राडार) के लक्ष्य दिखाने के लिए होती है। ये एक अल्फा विकिरण एमिटर है। Image:CRT screen.
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केबल
पीवीसी इंसुलेटेड '''केबल''' केबल या मोटा तार दो या दो से अधिक तारों को लम्बाई में साथ साथ जोड़कर, मरोड़कर या गूंथकर तैयार की गयी एक, एकल रचना होती है। यांत्रिकी में, केबलों जिन्हें हिन्दी में रज्जु कहा जाता है (हिन्दी में इसके लिए आमतौर पर रस्सा या 'धातु का रस्सा' शब्द भी प्रयोग किया जाता है पर आजकल अंग्रेजी प्रभाव के चलते केबल शब्द भी प्रयोग किया जाने लगा है। हिन्दी में केबल का प्रयोग मुख्यत: बिजली के तार के संबंध में होता है।) का प्रयोग तनाव के माध्यम से उठाने, ढोने, खींचने और प्रवहण के लिए किया जाता है। वैद्युत अभियांत्रिकी (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग) में केबल का उपयोग विद्युत धारा के प्रवाह के लिए किया जाता है। प्रकाशीय केबल में एक सुरक्षात्मक आवरण के अंदर एक या एक से अधिक तंतु उपस्थित होते हैं। लोहे की कड़ियों से बनी जंजोरों को भी केबल कहते हैं। यह जहाजों के लंगर डालने के काम आता है। जमीन के नीचे या समुद्र के पानी में डाले हुए तार के उन रस्सों को भी केबल कहते हैं जिनके द्वारा तार या टेलीफोन का संचार होता है। .
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कोलकाता
बंगाल की खाड़ी के शीर्ष तट से १८० किलोमीटर दूर हुगली नदी के बायें किनारे पर स्थित कोलकाता (बंगाली: কলকাতা, पूर्व नाम: कलकत्ता) पश्चिम बंगाल की राजधानी है। यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर तथा पाँचवा सबसे बड़ा बन्दरगाह है। यहाँ की जनसंख्या २ करोड २९ लाख है। इस शहर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। इसके आधुनिक स्वरूप का विकास अंग्रेजो एवं फ्रांस के उपनिवेशवाद के इतिहास से जुड़ा है। आज का कोलकाता आधुनिक भारत के इतिहास की कई गाथाएँ अपने आप में समेटे हुए है। शहर को जहाँ भारत के शैक्षिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तनों के प्रारम्भिक केन्द्र बिन्दु के रूप में पहचान मिली है वहीं दूसरी ओर इसे भारत में साम्यवाद आंदोलन के गढ़ के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। महलों के इस शहर को 'सिटी ऑफ़ जॉय' के नाम से भी जाना जाता है। अपनी उत्तम अवस्थिति के कारण कोलकाता को 'पूर्वी भारत का प्रवेश द्वार' भी कहा जाता है। यह रेलमार्गों, वायुमार्गों तथा सड़क मार्गों द्वारा देश के विभिन्न भागों से जुड़ा हुआ है। यह प्रमुख यातायात का केन्द्र, विस्तृत बाजार वितरण केन्द्र, शिक्षा केन्द्र, औद्योगिक केन्द्र तथा व्यापार का केन्द्र है। अजायबघर, चिड़ियाखाना, बिरला तारमंडल, हावड़ा पुल, कालीघाट, फोर्ट विलियम, विक्टोरिया मेमोरियल, विज्ञान नगरी आदि मुख्य दर्शनीय स्थान हैं। कोलकाता के निकट हुगली नदी के दोनों किनारों पर भारतवर्ष के प्रायः अधिकांश जूट के कारखाने अवस्थित हैं। इसके अलावा मोटरगाड़ी तैयार करने का कारखाना, सूती-वस्त्र उद्योग, कागज-उद्योग, विभिन्न प्रकार के इंजीनियरिंग उद्योग, जूता तैयार करने का कारखाना, होजरी उद्योग एवं चाय विक्रय केन्द्र आदि अवस्थित हैं। पूर्वांचल एवं सम्पूर्ण भारतवर्ष का प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र के रूप में कोलकाता का महत्त्व अधिक है। .
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अविनाशी परीक्षण
विज्ञान और उद्योगजगत में बिना नष्ट किये ही किसी पदार्थ, अवयव या प्रणाली के के गुणधर्म जानने के लिये जो विधियाँ अपनायी जाती हैं, उन्हें अविनाशी परीक्षण (Nondestructive testing) कहते हैं। इसका महत्व इस लिये है कि यह समय और पैसा दोनों बचाती है क्योंकि जिस चीज का परीक्षण किया जा रहा है उसे कोई नुकसान नहीं पहुँचता। कुछ प्रमुख अविनाशी परीक्षण विधियाँ ये हैं- अल्ट्रासोनिक, चुम्बकीय-कण, द्रव वेधन (लिक्विड पेनिट्रेशन), रेडियोग्राफिक, रिमोट विजुअल इन्सपेक्शन, भंवर-धारा परीक्षण, तथा लो कोहेरेन्स इन्टरफेरोमेट्री आदि। श्रेणी:परीक्षण विधि.
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