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कठपुतली और वाजिद अली शाह

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कठपुतली और वाजिद अली शाह के बीच अंतर

कठपुतली vs. वाजिद अली शाह

कठपुतली विश्व के प्राचीनतम रंगमंच पर खेला जानेवाले मनोरंजक कार्यक्रम में से एक है कठपुतलियों को विभिन्न प्रकार की गुड्डे गुड़ियों, जोकर आदि पात्रों के रूप में बनाया जाता है इसका नाम कठपुतली इस कारण पड़ा क्योंकि पूर्व में भी लकड़ी अर्थात काष्ठ से से बनाया जाता था इस प्रकार काष्ठ से बनी पुतली का नाम कठपुतली पड़ा।प्रत्येक वर्ष २१ मार्च को विश्व कठपुतली दिवस भी मनाया जाता है। धागों से संचालित कठपुतली . वाजिद अली शाह लखनऊ और अवध के नवाब रहे। ये अमजद अली शाह के पुत्र थे। इनके बेटे बिरजिस क़द्र अवध के अंतिम नवाब थे। संगीत की दुनिया में नवाब वाजिद अली शाह का नाम अविस्मरणीय है। ये 'ठुमरी' इस संगीत विधा के जन्मदाता के रूप में जाने जाते हैं। इनके दरबार में हर दिन संगीत का जलसा हुआ करता था। इनके समय में ठुमरी को कत्थक नृत्य के साथ गाया जाता था। इन्होने कई बेहतरीन ठुमरियां रची। कहा जाता है कि जब अंग्रेजों ने अवध पर कब्जा कर लिया और नवाब वाजिद अली शाह को देश निकाला दे दिया, तब उन्होने 'बाबुल मोरा नैहर छूटो जाय्' यह प्रसिध्ह ठुमरी गाते हुए अपनी रैयत से अलविदा कहा। .

कठपुतली और वाजिद अली शाह के बीच समानता

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कठपुतली और वाजिद अली शाह के बीच तुलना

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संदर्भ

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