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कच और देवयानी

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कच और देवयानी के बीच अंतर

कच vs. देवयानी

शुक्राचार्य और कच हिन्दू ग्रन्थों के अनुसार, कच देवताओं के गुरु बृहस्पति के पुत्र हैं। देवासुर संग्राम में जब बहुत से असुर मारे गए तब दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य ने उन्हें अपनी संजीवनी विद्या द्वारा पुनर्जीवित कर दिया। यह देख बृहस्पति ने कच को शुक्राचार्य के पास यह संजीवनी विद्या सीखने भेजा। शुक्राचार्य की कन्या देवयानी कच से प्रेम करने लगी और जब असुरों ने उनका वध करना चाहा तब उसने उन्हें बचाया। अंत में देवयानी ने कच से विवाह का प्रस्ताव किया, पर कच ने इसे ठुकरा दिया। तब देवयानी ने कच को शाप दे दिया कि तुम्हारी सीखी हुई विद्या तुम्हारे काम न आएगी। इसपर कच ने भी देवयानी को शाप दिया कि कोई ब्राह्मण तुमसे विवाह न करेगा। यह कथा विस्तारपूर्वक महाभारत के आदि पर्व में दी हुई है। श्रेणी:पौराणिक पात्र. ययाति के साथ खड़ी देवयानी, शर्मिष्ठा से प्रश्न करती हुई देवयानी शुक्राचार्य की पुत्री, जिसे अपने पिता के शिष्य कच से प्रेम हो गया था। कच बृहस्पति का पुत्र था जो शुक्राचार्य के पास संजीवनी विद्या सीखने के लिए आया था। जब उसने देवयानी का प्रेमप्रस्ताव अस्वीकृत कर दिया तो देवयानी ने उसे शाप दिया कि तुम्हारी विद्या तुम्हें फलवती न होगी। इसपर कच ने भी शाप दिया कि कोई भी ऋषिपुत्र तुम्हारा पाणिहग्रहण न करेगा। देवयानी और उसकी सखी शर्मिष्ठा की कथा प्रसिद्ध है। देवयानी के पति ययाति शर्मिष्ठा से प्रेम करने लगे जिससे वह अपने पिता शुक्राचार्य के पास लौट गई। ययाति की वृद्धत्व का शाप मिला जिसे (शर्मिष्ठा से उत्पन्न) उनके एक पुत्र पुरु ने स्वयं स्वीकार किया। श्रेणी:पौराणिक पात्र.

कच और देवयानी के बीच समानता

कच और देवयानी आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): शुक्राचार्य

शुक्राचार्य

शुक्र ग्रह के रूप में शुक्राचार्य की मूर्ति असुराचार्य, भृगु ऋषि तथा हिरण्यकशिपु की पुत्री दिव्या के पुत्र जो शुक्राचार्य के नाम से अधिक ख्यात हें। इनका जन्म का नाम 'शुक्र उशनस' है। पुराणों के अनुसार याह दैत्यों के गुरू तथा पुरोहित थे। कहते हैं, भगवान के वामनावतार में तीन पग भूमि प्राप्त करने के समय, यह राजा बलि की झारी के मुख में जाकर बैठ गए और बलि द्वारा दर्भाग्र से झारी साफ करने की क्रिया में इनकी एक आँख फूट गई। इसीलिए यह "एकाक्ष" भी कहे जाते थे। आरंभ में इन्होंने अंगिरस ऋषि का शिष्यत्व ग्रहण किया किंतु जब वह अपने पुत्र के प्रति पक्षपात दिखाने लगे तब इन्होंने शंकर की आराधना कर मृतसंजीवनी विद्या प्राप्त की जिसके बल पर देवासुर संग्राम में असुर अनेक बार जीते। इन्होंने 1,000 अध्यायोंवाले "बार्हस्पत्य शास्त्र" की रचना की। 'गो' और 'जयंती' नाम की इनकी दो पत्नियाँ थीं। असुरों के आचार्य होने के कारण ही इन्हें 'असुराचार्य' कहते हैं। .

कच और शुक्राचार्य · देवयानी और शुक्राचार्य · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

कच और देवयानी के बीच तुलना

कच 9 संबंध है और देवयानी 6 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 6.67% है = 1 / (9 + 6)।

संदर्भ

यह लेख कच और देवयानी के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: