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ककुत्स्थ (अयोध्या के सूर्यवंशी राजा) और सुखदेव(राजा)

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

ककुत्स्थ (अयोध्या के सूर्यवंशी राजा) और सुखदेव(राजा) के बीच अंतर

ककुत्स्थ (अयोध्या के सूर्यवंशी राजा) vs. सुखदेव(राजा)

ककुत्स्थ, विकुक्षि के पुत्र जो इक्ष्वाकु के पौत्र और वैवस्वत मनु के प्रपौत्र थे। देवासुर संग्राम में इन्होंने वृषरूपधारी इंद्र के कुकुद् अर्थात्‌ डील (कूबड़) पर सवार होकर राक्षसों को पराजित किया था। इसी कारण वे 'ककुत्स्थ' कहलाए। इनके पुत्र अनेना और पौत्र पृथु हुए। कूर्म तथा मत्स्य पुराणों में इनके एक पुत्र का नाम सुयोधन भी दिया है। (2) इसी नाम के भगीरथ के भी एक पुत्र थे जिनके पुत्र प्रवृद्धि हुए। प्रवृद्ध के पुत्र शंखन और शंखन के सुदर्शन हुए। . इसी नाम से प्रसिद्ध एक भारतीय क्रांतिकारी के बारे में जानने के लिए यहां जाँय - सुखदेव महाभारत के पश्चात के कुरु वंश के राजा।.

ककुत्स्थ (अयोध्या के सूर्यवंशी राजा) और सुखदेव(राजा) के बीच समानता

ककुत्स्थ (अयोध्या के सूर्यवंशी राजा) और सुखदेव(राजा) आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): पृथु, भगीरथ, इक्ष्वाकु

पृथु

पृथु राजा वेन के पुत्र थे। भूमण्डल पर सर्वप्रथम सर्वांगीण रूप से राजशासन स्थापित करने के कारण उन्हें पृथ्वी का प्रथम राजा माना गया है। साधुशीलवान् अंग के दुष्ट पुत्र वेन को तंग आकर ऋषियों ने हुंकार-ध्वनि से मार डाला था। तब अराजकता के निवारण हेतु निःसन्तान मरे वेन की भुजाओं का मन्थन किया गया जिससे स्त्री-पुरुष का एक जोड़ा प्रकट हुआ। पुरुष का नाम 'पृथु' रखा गया तथा स्त्री का नाम 'अर्चि'। वे दोनों पति-पत्नी हुए। उन्हें भगवान् विष्णु तथा लक्ष्मी का अंशावतार माना गया है। महाराज पृथु ने ही पृथ्वी को समतल किया जिससे वह उपज के योग्य हो पायी। महाराज पृथु से पहले इस पृथ्वी पर पुर-ग्रामादि का विभाजन नहीं था; लोग अपनी सुविधा के अनुसार बेखटके जहाँ-तहाँ बस जाते थे। महाराज पृथु अत्यन्त लोकहितकारी थे। उन्होंने 99 अश्वमेध यज्ञ किये थे। सौवें यज्ञ के समय इन्द्र ने अनेक वेश धारण कर अनेक बार घोड़ा चुराया, परन्तु महाराज पृथु के पुत्र इन्द्र को भगाकर घोड़ा ले आते थे। इन्द्र के बारंबार कुकृत्य से महाराज पृथु अत्यन्त क्रोधित होकर उन्हें मार ही डालना चाहते थे कि यज्ञ के ऋत्विजों ने उनकी यज्ञ-दीक्षा के कारण उन्हें रोका तथा मन्त्र-बल से इन्द्र को अग्नि में हवन कर देने की बात कही, परन्तु ब्रह्मा जी के समझाने से पृथु मान गये और यज्ञ को रोक दिया। सभी देवताओं के साथ स्वयं भगवान् विष्णु भी पृथु से परम प्रसन्न थे।.

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भगीरथ

भगीरथ इक्ष्वाकुवंशीय सम्राट् दिलीप के पुत्र थे जिन्होंने घोर तपस्या से गंगा को पृथ्वी पर अवतरित कर कपिल मुनि के शाप से भस्म हुए ६० हजार सगरपुत्रों के उद्धारार्थ पीढ़ियों से चले प्रयत्नों को सफल किया था। गंगा को पृथ्वी पर लाने का श्रेय भगीरथ को है, इसलिए इनके नाम पर उन्हें 'भागीरथी' कहा गया। गंगावतरण की इस घटना का क्रमबद्ध वर्णन वायुपुराण (४७.३७), विष्णुपुराण (४.४.१७), हरवंश पुराण (१.१५), ब्रह्मवैवर्त पुराण(१.०), महाभारत (अनु. १२६.२६), भागवत (९.९) आदि पुराणों तथा वाल्मीकीय रामायण (बाल., १.४२-४४) में मिलता है। .

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इक्ष्वाकु

इक्ष्वाकु, प्राचीन भारत के इक्ष्वाकु वंश के प्रथम राजा थे। 'इक्ष्वाकु' शब्द 'इक्षु' से व्युत्पन्न है, जिसका अर्थ ईख होता है। पौराणिक परंपरा के अनुसार इक्ष्वाकु, विवस्वान् (सूर्य) के पुत्र वैवस्वत मनु के पुत्र थे। पौराणिक कथा इक्ष्वाकु को अमैथुनी सृष्टि द्वारा मनु की छींक से उत्पन्न बताती है। वे सूर्यवंशी राजाओं में पहले माने जाते हैं। उनकी राजधानी कोसल (अयोध्या) थी। उनके १०० पुत्र बताए जाते हैं जिनमें ज्येष्ठ विकुक्षि था। इक्ष्वाकु के एक दूसरे पुत्र निमि ने मिथिला राजकुल स्थापित किया। साधारणत: बहुवचनांतक इक्ष्वाकुओं का तात्पर्य इक्ष्वाकु से उत्पन्न सूर्यवंशी राजाओं से होता है, परंतु प्राचीन साहित्य में उससे एक इक्ष्वाकु जाति का भी बोध होता है। इक्ष्वाकु का नाम, केवल एक बार, ऋग्वेद में भी प्रयुक्त हुआ है जिसे मैक्समूलर ने राजा की नहीं, बल्कि जातिवाचक संज्ञा माना है। इक्ष्वाकुओं की जाति जनपद में उत्तरी भागीरथी की घाटी में संभवत: कभी बसी थी। कुछ विद्वानों के मत से उत्तर पश्चिम के जनपदों में भी उनका संबंध था। सूर्यवंश की शुद्ध अशुद्ध सभी प्रकार की वंशावलियाँ देश के अनेक राजकुलों में प्रचलित हैं। उनमें वैयक्तिक राजाओं के नाम अथवा स्थान में चाहे जितने भेद हों, उनका आदि राजा इक्ष्वाकु ही है। इससे कुछ अजब नहीं, जो वह सुदूर पूर्वकाल में कोई ऐतिहासिक व्यक्ति रहे हों। .

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ककुत्स्थ (अयोध्या के सूर्यवंशी राजा) और सुखदेव(राजा) के बीच तुलना

ककुत्स्थ (अयोध्या के सूर्यवंशी राजा) 8 संबंध है और सुखदेव(राजा) 201 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 1.44% है = 3 / (8 + 201)।

संदर्भ

यह लेख ककुत्स्थ (अयोध्या के सूर्यवंशी राजा) और सुखदेव(राजा) के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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