औद्योगीकरण और तृतीय विश्व
शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
औद्योगीकरण और तृतीय विश्व के बीच अंतर
औद्योगीकरण vs. तृतीय विश्व
सन् १८६० के आस-पास जर्मनी के एक औद्योगिक कारखाने का दृष्य औद्योगीकरण एक सामाजिक तथा आर्थिक प्रक्रिया का नाम है। इसमें मानव-समूह की सामाजिक-आर्थिक स्थिति बदल जाती है जिसमें उद्योग-धन्धों का बोलबाला होता है। वस्तुत: यह आधुनीकीकरण का एक अंग है। बड़े-पैमाने की उर्जा-खपत, बड़े पैमाने पर उत्पादन, धातुकर्म की अधिकता आदि औद्योगीकरण के लक्षण हैं। एक प्रकार से यह निर्माण कार्यों को बढ़ावा देने के हिसाब से अर्थप्रणाली का बड़े पैमाने पर संगठन है। . शीत युद्ध के समय के 'तीन विश्व' -तृतीय विश्व के देश निर्गुट एवं तटस्थ देश थे जिन्हें हरे में दिखाया गया है। तृतीय विश्व (Third World) की संकल्पना शीत युद्ध के समय में आयी। उन देशों के समूह को 'तृतीय विश्व' कहा गया जो न तो नाटो के साथ थे न ही सोवियत गुट के साथ। संयुक्त राज्य अमेरिका, पश्चिमी यूरोप के देश तथा उनके साथी देशों को 'प्रथम विश्व' कहते थे; सोवियत संघ, चीन, क्यूबा तथा उनके सहयोगियों को 'द्वितीय विश्व' कहते थे। श्रेणी:राजनैतिक शब्दावली.
औद्योगीकरण और तृतीय विश्व के बीच समानता
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औद्योगीकरण और तृतीय विश्व के बीच तुलना
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संदर्भ
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