ओटो वारबर्ग और कोशिका
शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
ओटो वारबर्ग और कोशिका के बीच अंतर
ओटो वारबर्ग vs. कोशिका
हेनरिक ओटो वारबर्ग (जन्म – 8 अक्टूबर 1883 फ्रायबर्ग, बेडन, जर्मनी निधन – 1 अगस्त 1970 बर्लिन, पश्चिमी जर्मनी) जर्मनी के जीवरसायन शास्त्री और शोधकर्ता थे। इनकी माँ का नाम एलिजाबैथ गार्टनर और पिता का नाम ऐमिल वारबर्ग था, जो बर्लिन विश्वविद्यालय में भौतिकशास्त्री थे। ऐमिल आइन्सटीन के मित्र थे और इन्होंने मेक्स प्लैंक के साथ भी काम किया था। ओटो ने 1906 में बर्लिन विश्वविद्यालय से रसायनशास्त्र में डॉक्ट्रेट की और 1911 में हाइडलबर्ग विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ मेडीसिन की डिग्री प्राप्त की थी। इसके बाद कुछ समय वे हाइडलबर्ग में ही शोध करते रहे। लेकिन 1913 में उन्हें बर्लिन के प्रतिष्ठित विल्हेम इन्स्टिट्यूट फोर बॉयोलाजी में नियुक्ति मिल गई। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने सेना में भी काम किया और उन्होंने आयरन क्रॉस पदक प्राप्त किया। लेकिन आइन्सटीन ने उन्हें सेना छोड़ने पर विवश किया और अपनी प्रतिभा और अमूल्य समय को मानव कल्याण हेतु शोध कार्यों में लगाने की प्रेरणा दी। सन् 1931 में वे विल्हेम इन्स्टिट्यूट के निर्देशक के पद से सम्मानित किये गये। वे अपनी मृत्यु तक इस संस्थान के प्रभारी बने रहे। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इसका नाम बदल कर मेक्स प्लैंक इंस्टिट्यूट रख दिया गया। बीसवें दशक के प्रारंभ में डॉ॰ ओटो ने जीवित कोशिकाओं द्वारा ऑक्सीजन का उद्ग्रहण करने की क्रिया (कोशिकीय श्वसन- क्रिया) पर शोध शुरू किया था। सन् 1923 में इसके लिए उन्होंने एक विशेष दबाव-मापक यंत्र विकसित किया जिसे उन्होंने वारबर्ग मेनोमीटर नाम दिया। यह मेनोमीटर जैविक ऊतक की पतली सी तह द्वारा भी ऑक्सीजन के उद्ग्रहण की गति को नापने में सक्षम था। उन्होंने श्वसन-क्रिया को उत्प्रेरित करने करने वाले तत्वों पर बहुत शोध की और तभी ऑक्सीजन-परिवहन एन्जाइम साइटोक्रोम की खोज की, जिसके लिए उन्हें 1931 में नोबेल पुरस्कार मिला। ओटो ने पहली बार बतलाया था कि कैंसर कोशिका सामान्य कोशिका की तुलना में बहुत ही कम ऑक्सीजन ग्रहण करती है। उन्होंने हाइड्रोजन सायनाइड और कार्बन-मोनो-ऑक्साइड पर भी शोध की और बताया कि ये श्वसन-क्रिया को बाधित करते हैं। उन्होंने की जीवरसायन क्रियाओं के लिए सहायक उपघटक निकोटिनेमाइड और डिहाइड्रोजिनेज एन्जाइम आदि का बहुत अध्ययन किया। उन्होंने यह भी सिद्ध किया कि कैंसर कोशिका के पीएच और ऑक्सीजन उपभोग में सीधा संबन्ध होता है। यदि पीएच ज्यादा है तो कोशिका में ऑक्सीजन की मात्रा ज्यादा होगी। उन्होंने यह भी बतलाया कि कैंसर कोशिका में लेक्टिक एसिड और कार्बन-डाई-ऑक्साइड बनने के कारण पीएच बहुत कम लगभग 6.0 होता है। उनकी शोध के अन्य विषय माइटोकोन्ड्रिया में होने वाली इलेक्ट्रोन-परिवहन श्रंखला, पौधों में होने वाली प्रकाश-संश्लेषण क्रिया, कैंसर कोशिका का चयापचय आदि थे। सन् 1963 के बाद से जर्मनी में जीरसायन शास्त्र और आणविक जीवविज्ञान में अच्छी शोध करने वाले वैज्ञानिकों को ओटो वारबर्ग मेडल से सम्मानित किया जाता है और 2007 के बाद से 25000 यूरो का नकद पुरस्कार भी दिया जाता है। इस पुरस्कार को प्राप्त करना वैज्ञानिकों के लिए बहुत सम्मानजनक माना जाता है। डॉ॰ ओटो ने 1931 में द मेटाबोलिज्म ऑफ ट्यूमर्स नामक पुस्तक का संपादन किया और अपने शोध कार्यों को इसमें प्रकाशित किया। 1962 में उन्होने न्यू मेथड्स ऑफ सैल फिजियोलाजी नामक पुस्तक लिखी थी। इन्होंने 178 शोधपत्र भी प्रकाशित किये थे। इनकी प्रयोगशाला में शोध करने वाले हन्स अडोल्फ क्रेब्स और दो अन्य वैज्ञानिकों ने भी नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया था। वे हमेशा अध्ययन और मानव सेवा को सर्वोपरि मानते थे और वे आजीवन अविवाहित रहे। डॉ॰ ओटो जीवन के अंतिम पड़ाव में थोड़े चिड़चिड़े और सनकी हो गये थे। वे समझने लगे थे कि सारी बीमारियाँ प्रदूषित चीजें खाने से ही होती हैं, इसलिए वे ब्रेड भी अपने खेत में पैदा हुए जैविक गैंहूं की बनी हुई खाना पसन्द करते थे। कई बार तो वे रेस्टॉरेन्ट में चाय पीने जाते थे, पैसे भी पूरे देते थे परन्तु बदले में सिर्फ गर्म पानी लेते थे और अपने साथ लाई हुई जैविक चाय प्रयोग करते थे। . कोशिका कोशिका (Cell) सजीवों के शरीर की रचनात्मक और क्रियात्मक इकाई है और प्राय: स्वत: जनन की सामर्थ्य रखती है। यह विभिन्न पदार्थों का वह छोटे-से-छोटा संगठित रूप है जिसमें वे सभी क्रियाएँ होती हैं जिन्हें सामूहिक रूप से हम जीवन कहतें हैं। 'कोशिका' का अंग्रेजी शब्द सेल (Cell) लैटिन भाषा के 'शेलुला' शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ 'एक छोटा कमरा' है। कुछ सजीव जैसे जीवाणुओं के शरीर एक ही कोशिका से बने होते हैं, उन्हें एककोशकीय जीव कहते हैं जबकि कुछ सजीव जैसे मनुष्य का शरीर अनेक कोशिकाओं से मिलकर बना होता है उन्हें बहुकोशकीय सजीव कहते हैं। कोशिका की खोज रॉबर्ट हूक ने १६६५ ई० में किया।"...
ओटो वारबर्ग और कोशिका के बीच समानता
ओटो वारबर्ग और कोशिका आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): कोशिका विज्ञान।
घटक अणुओं के रूप में कोशिकाओं की समझ कोशिका की सामान्यीकृत संरचना तथा कोशिका के आणविक घटक कोशिका विज्ञान (Cytology) या कोशिका जैविकी (Cell biology) में कोशिकाओं के शरीरक्रियात्मक गुणों (physiological properties), संरचना, कोशिकांगों (organelles), वाह्य पर्यावरण के साथ क्रियाओं, जीवनचक्र, विभाजन तथा मृत्यु का वैज्ञानिक अध्यन किया जाता है। यह अध्ययन सूक्ष्म तथा आणविक स्तरों पर किया जाता है। कोशिकाओं के घटकों तथा उनके कार्य करने की विधि का ज्ञान सभी जैविक विज्ञानों के लिये मूलभूत तथा महत्व का विषय है। विशेषतः विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं के बीच समानता और अन्तर की बारीक समझ कोशिकाविज्ञान, अणुजैविकी (molecular biology) तथा जैवचिकित्सीय क्षेत्रों के लिये महत्वपूर्ण है। .
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ओटो वारबर्ग और कोशिका के बीच तुलना
ओटो वारबर्ग 18 संबंध है और कोशिका 25 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 2.33% है = 1 / (18 + 25)।
संदर्भ
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