ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी और जैविक नृविज्ञान
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ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी और जैविक नृविज्ञान के बीच अंतर
ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी vs. जैविक नृविज्ञान
ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी (Aboriginal Australians) ऑस्ट्रेलिया की मुख्यभूमि और तस्मानिया द्वीप के मूल निवासी हैं। वे कई शाखाओं में संगठित हैं और इनकी अपनी कई मूल भाषाएँ हैं। ब्रिटेन द्वारा उपनिवेशी क़ब्ज़े से पहले वे ऑस्ट्रेलिया में बहुसंख्यक थे। १९७० के दशक तक ऑस्ट्रेलिया की सरकार उनकी सांकृतिक विरासत को नष्ट करने का प्रयास करती रही जिसके अंतर्गत उनके बच्चों को अक्सर माता-पिता से अलग कर के यूरोपीय-शैली की पाठशालाओं में बंदी रखा जाता था। १३ फ़रवरी २००८ में ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने औपचारिक रूप से इस समुदाय से क्षमा मांगी। ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी संगीत व कला शैलियाँ अब विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। . खोपड़ी का जाति (रेस) से संबन्ध जैविक नृविज्ञान (Biological anthropology) नृविज्ञान की प्रथम एवं सर्वप्रमुख शाखा है। यह मानव का एक जैविक प्राणी के रूप में अध्ययन करता है। यह मानव की उत्पत्ति, उदविकास एवं विविध मानव समूहों के बीच मौजूद प्रजातीय विविधता का अध्ययन करता है। मानव की उत्पत्ति एवं उसके उदविकास का अध्ययन जीवश्मीय साक्ष्यों के आधार पर किया जाता है। इसके साथ ही प्राइमेट के मानवीय गुणों का पता लगाकर मानव के पूर्वजों के बारे में अनुमान लगाया जाता है। इसके अतिरिक्त आदिकालीन जलवायु, पौधों एवं जंतुओं के अध्ययन से प्राप्त जानकारी से भी मानव उदविकास के बारे में जानने का प्रयास किया जाता है। मानव की प्रजातीय विविधता के अध्ययन के लिए मानवविज्ञानी मानव की उन शारीरिक विशिष्टताओं का अध्ययन करते हैं जो आनुवंशिक होते हैं। यह अध्ययन प्रजातीय वर्गीकरण में सहायक होते हैं। इस शाखा का संबंध आदि मानवों और मानव के पूर्वजों की भौतिक या जैव विशेषताओं तथा मानव जैसे अन्य जीवों, जैसे चिमपैन्जी, गोरिल्ला और बंदरों से समानताओं से है। यह शाखा विकास शृंखला के जरिए सामाजिक रीति रिवाजों को समझने का प्रयास करती है। यह जातियों के बीच भौतिक अंतरों की पहचान करती है और इस बात का भी पता लगाती है कि विभिन्न प्रजातियों ने किस तरह अपने आप को शारीरिक रूप से परिवेश के अनुरूप ढाला। इसमें यह भी अध्ययन किया जाता है कि विभिन्न परिवेशों का उनपर क्या असर पड़ा। जैव या भौतिक नृतत्व विज्ञान की अन्य उप शाखाएं और विभाग भी हैं जिनमें और भी अधिक विशेषज्ञता हासिल की जा सकती है। इनमें आदि मानव जीव विज्ञान, ओस्टियोलाजी (हड्डियों और कंकाल का अध्ययन), पैलीओएंथ्रोपोलाजी यानी पुरा नृतत्व विज्ञान और फोरेंसिक एंथ्रोपोलाजी। मानवविज्ञान की इस शाखा का व्यावहारिक जीवन में उपयोग बढ़ रहा है, जैसे- आपराधिक गुत्थिओं को सुलझाने में, सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुधारने में, पितृत्व संबंधी विवादो के समाधान में, शरीर पर फिट आनेवाले वस्त्रों व अन्य साजो-सामान के निर्माण में आदि। .
ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी और जैविक नृविज्ञान के बीच समानता
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संदर्भ
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