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ऑरिल स्टाइन और खुतन राज्य

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

ऑरिल स्टाइन और खुतन राज्य के बीच अंतर

ऑरिल स्टाइन vs. खुतन राज्य

सर ऑरिल स्टाइन (Aurel Stein, 1862 - 1943) ब्रिटिश पुरातत्वज्ञ थे। उनका जन्म बुडापेस्ट (हंगरी) तथा मृत्यु काबुल (अफगानिस्तान) में हुई। इनकी शिक्षा प्रारंभ में वियना तथा तुविंगेन विश्वविद्यालयों में हुई किंतु उच्च शिक्षा ऑक्सफोर्ड तथा लंदन विश्वविद्यालयों में संपन्न हुई। शिक्षोपरांत वे भारत चले आए। सन् १८८९ से सन् १८९९ तक पंजाब विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार तथा लाहौर स्थित ओरिएंटल कालेज के प्रधानाचार्य के रूप में कार्य किया। भारत सरकार ने पुरातात्विक अनुसंधान एवं खोज के लिए इन्हें १९०० ई. में चीनी तुर्किस्तान भेज दिया। इस क्षेत्र में इन्होंने प्राचीन अवशेषों तथा बस्ती के स्थलों (settlement sites) का प्रचुर अनुसंधान किया। पुन: सन् १९०६ से १९०८ तक इन्होंने मध्य एशिया तथा पश्चिमी चीन के विभिन्न भागों में महत्वपूर्ण पुरातात्विक खोज की। इनके अनुसंधानों से मध्य एशिया तथा समीपवर्ती भागों में मनुष्य के प्रारंभिक जीवन के विषय पर महत्वपूर्ण प्रकाश पड़ा और जलवायु परिवर्तन संबंधी संभावनाओं के भी कुछ तथ्य सामने आए। १९०९ ई. में इन्हें भारतीय पुरातत्व विभाग में सुपरिंटेंडेंट नियुक्त किया गया। १९१३-१६ ई. में वे ईरान तथा मध्य एशिया गए और पुरातात्विक एवं भौगोलिक खोज की। इन यात्राओं तथा अनुसंधानों एवं प्राप्त तथ्यों का वर्णन उन्होंने लंदन से प्रकाशित जियोग्रैफिकल जर्नल के १९१६ ई. वाले अंक में किया है। पुरातात्विक एवं भौगोलिक अनुसंधानों के लिए लंदन की रायल जियोग्रैफिकल सोसायटी ने इन्हें स्वर्णपदक से विभूषित किया। . खुतन से प्राप्त कनिष्क काल का कांसे का सिक्का खुतन राज्य (The Kingdom of Khotan) रेशम पथ पर स्थित प्राचीन बौद्ध राज्य था। ख़ुतन (ख़ोतन, ख़ोतान) मध्य एशिया में चीनी तुर्किस्तान (सिंकियांग) की मरुभूमि (तकलामकान) के दक्षिणी सिरे पर स्थित नखलिस्तान के एक नगर (स्थिति: ३७० १८’ उ., ८०० २’ पूर्व)। जिस नखलिस्तान में यह स्थित है, वह यारकंद से २०० मील दक्षिण पूर्व है और अति प्राचीन काल से ही तारिम उपत्यका के दक्षिणी किनारे वाले नखलिस्तान में सबसे बड़ा है। खुतन जिले को स्थानीय लोग 'इल्वी' कहते हैं तथा इस नखलिस्तान के दो अन्य नगर युरुंगकाश और काराकाश तीनों एक ४० मील हरियाली लंबी पट्टी के रूप में कुन-लुन पर्वत के उत्तरी पेटे में हैं। इसकी हरियाली के साधन भुरुंगकाश और काराकाश नदियाँ हैं जो मिलकर खुतन नदी का रूप ले लेती है। खुतन नाम के संबंध में कहा जाता है कि वह कुस्तन (भूमि है स्तन जिसका) के नाम पर पड़ा है जिसे मातृभूमि से निर्वासित हो कर धरती माता के सहारे जीवनयापन करना पड़ा था। खुतन पूर्ववर्ती हनवंश के काल में एक सामान्य सा राज्य था। किंतु प्रथम शती ई. के उत्तरार्ध में, जिस समय चीन तारिम उपत्यका पर अधिकर करने के लिए जोर लगा रहा था, अपनी भौगोलिक स्थिति-अर्थात्‌ सबसे बड़ा नखलिस्तान होने तथा पश्चिम जाने वाले दो मार्गों में अधिक दक्षिणी मार्ग पर स्थित होने के कारण मध्य एशिया और भारत के बीच एक जोड़नेवाली कड़ी के रूप में इसे विशेष महत्व प्राप्त हुआ। भारत के साथ इसका अत्यंत घनिष्ठ संबंध बहुत दिनों तक बना रहा। खुतन के मार्ग से ही बौद्ध धर्म चीन पहुँचा। एक समय खुतन बौद्ध धर्म की शिक्षा का बहुत बड़ा केंद्र था। वहाँ भारतीय लिपि तथा प्राकृत भाषा प्रचलित थी। वहाँ गुप्तकालीन अनेक बौद्ध विहार मिले हैं जिनकी भित्ति पर अजंता शैली से मिलती जुलती शैली के चित्र पाए गए हैं। काशगर से चीन तथा चीन से भारत आनेवाले सार्थवाह, व्यापारी खुतन होकर ही आते जाते थे। फाह्यान, सुंगयुन, युवानच्वांग और मार्कोपालो ने इसी मार्ग का अनुसरण किया था। यह सुप्रसिद्ध बौद्ध विद्वान्‌ बुद्धसेना का निवासस्थान था। अपनी समृद्धि और अनेक व्यापार मार्गों का केंद्र होने के कारण इस नगर को अनेक प्रकार के उत्थान पतन का सामना करना पड़ा। ७० ई. में सेनापति पानचाउ ने इसे विजित किया। और उत्तरवर्ती हनवंश के अधीन रहा। उसके बाद पुन: सातवीं शती में टांग वंश का इसपर अधिकार था। आठवीं शती में पश्चिमी तुर्किस्तान से आनेवाले अरबों ने और दसवीं शती में काशगरवासियों ने इसपर अधिकार किया। १३वीं शती में चंगेज खाँ ने उसपर कब्जा किया। पश्चात्‌ वह मध्य एशिया में मंगोलों के अधीन हुआ। इसी काल में मार्कोपोलो इस मार्ग से गुजरा था और उसने यहाँ की खेती, विशेष रूप से कपास की खेती तथा इसके व्यापारिक महत्व और निवासियों के वीर चरित्र की चर्चा की है। हाल की शताब्दियों में यह चीनी मध्य एशिया में मुस्लिम सक्रियता का केंद्र रहा और १८६४-६५ में चीन के विरुद्ध हुए डंगन विद्रोह में इस नगर की प्रमुख भूमिका थी। १८७८ में काशगर और खुतन ने प्रख्यात कृषि सेना को आत्मसमर्पण किया। फलस्वरूप वह पुन: चीन के अधिकार में चला गया। आजकल सिंकियांग प्रांत के अंतर्गत हैं। यह क्षेत्र आज भी कृषि की दृष्टि से अपना महत्व रखता है। गेहूँ, चावल, जई, बाजरा और मक्का की यहाँ खेती होती है। कपास भी काफी मात्रा में उपजता है। फलों, में जैतुन, लूकाट, नाशपाती और सेब होते हैं। मेवे का भी काफी मात्रा में निर्यात होता है। रेशम के उद्योग के आनुषंगिक साधन के रूप में शहतूत की भी खेती की जाती है। इसके अतिरिक्त यहाँ कालीन और नमदे का भी उद्योग है। नदियों से लोग सोना छानते हैं। बहुत दिनों तक खुतन के यशद भी बहुत प्रसिद्ध थे। .

ऑरिल स्टाइन और खुतन राज्य के बीच समानता

ऑरिल स्टाइन और खुतन राज्य आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): मध्य एशिया

मध्य एशिया

मध्य एशिया एशिया के महाद्वीप का मध्य भाग है। यह पूर्व में चीन से पश्चिम में कैस्पियन सागर तक और उत्तर में रूस से दक्षिण में अफ़ग़ानिस्तान तक विस्तृत है। भूवैज्ञानिकों द्वारा मध्य एशिया की हर परिभाषा में भूतपूर्व सोवियत संघ के पाँच देश हमेशा गिने जाते हैं - काज़ाख़स्तान, किरगिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़बेकिस्तान। इसके अलावा मंगोलिया, अफ़ग़ानिस्तान, उत्तरी पाकिस्तान, भारत के लद्दाख़ प्रदेश, चीन के शिनजियांग और तिब्बत क्षेत्रों और रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिणी भाग को भी अक्सर मध्य एशिया का हिस्सा समझा जाता है। इतिहास में मध्य एशिया रेशम मार्ग के व्यापारिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। चीन, भारतीय उपमहाद्वीप, ईरान, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच लोग, माल, सेनाएँ और विचार मध्य एशिया से गुज़रकर ही आते-जाते थे। इस इलाक़े का बड़ा भाग एक स्तेपी वाला घास से ढका मैदान है हालाँकि तियान शान जैसी पर्वत शृंखलाएँ, काराकुम जैसे रेगिस्तान और अरल सागर जैसी बड़ी झीलें भी इस भूभाग में आती हैं। ऐतिहासिक रूप मध्य एशिया में ख़ानाबदोश जातियों का ज़ोर रहा है। पहले इसपर पूर्वी ईरानी भाषाएँ बोलने वाली स्किथी, बैक्ट्रियाई और सोग़दाई लोगों का बोलबाला था लेकिन समय के साथ-साथ काज़ाख़, उज़बेक, किरगिज़ और उईग़ुर जैसी तुर्की जातियाँ अधिक शक्तिशाली बन गई।Encyclopædia Iranica, "CENTRAL ASIA: The Islamic period up to the Mongols", C. Edmund Bosworth: "In early Islamic times Persians tended to identify all the lands to the northeast of Khorasan and lying beyond the Oxus with the region of Turan, which in the Shahnama of Ferdowsi is regarded as the land allotted to Fereydun's son Tur.

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ऑरिल स्टाइन और खुतन राज्य के बीच तुलना

ऑरिल स्टाइन 12 संबंध है और खुतन राज्य 6 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 5.56% है = 1 / (12 + 6)।

संदर्भ

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