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ऐन्तलिया तारामंडल

सूची ऐन्तलिया तारामंडल

ऐन्तलिया तारामंडल ऐन्तलिया (अंग्रेज़ी: Antlia) दक्षिणी आकाश में स्थित एक तारामंडल है। इसके तारे काफ़ी धुंधले हैं और इस तारामंडल को 18वी सदी में एक फ़्रांसिसी खगोलशास्त्री ने घोषित किया था। यूनानी भाषा में "ऐन्तलिया" (ἀντλία) शब्द का अर्थ पम्प (pump) होता है और इसके नामकरण के समय के आसपास ही यूरोप में हवाई पम्प का आविष्कार हुआ था। ऐन्तलिया तारामंडल अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई 88 तारामंडलों की सूची में शामिल है। .

15 संबंधों: चमक, तारामंडल, दानव तारा, प्रकाश-वर्ष, बायर नामांकन, बौनी गैलेक्सी, मन्दाकिनी, सर्पिल गैलेक्सी, सापेक्ष कांतिमान, स्थानीय समूह, खगोल विज्ञानी, खगोलीय मैग्निट्यूड, आकाशगंगा, अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ, अंग्रेज़ी भाषा

चमक

चमक, चमकीलापन या रोशनपन दृश्य बोध का एक पहलु है जिसमें प्रकाश किसी स्रोत से उभरता हुआ या प्रतिबिंबित होता हुआ लगता है। दुसरे शब्दों में चमक वह बोध है जो किसी देखी गई वस्तु की प्रकाश प्रबलता से होता है। चमक कोई कड़े तरीके से माप सकने वाली चीज़ नहीं है और अधिकतर व्यक्तिगत बोध के बारे में ही प्रयोग होती है। चमक के माप के लिए प्रकाश प्रबलता जैसी अवधारणाओं का प्रयोग होता है। .

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तारामंडल

मृगशीर्ष या ओरायन (शिकारी तारामंडल) एक जाना-माना तारामंडल है - पीली धारी के अन्दर के क्षेत्र को ओरायन क्षेत्र बोलते हैं और उसके अंदर वाली हरी आकृति ओरायन की आकृति है खगोलशास्त्र में तारामंडल आकाश में दिखने वाले तारों के किसी समूह को कहते हैं। इतिहास में विभिन्न सभ्यताओं नें आकाश में तारों के बीच में कल्पित रेखाएँ खींचकर कुछ आकृतियाँ प्रतीत की हैं जिन्हें उन्होंने नाम दे दिए। मसलन प्राचीन भारत में एक मृगशीर्ष नाम का तारामंडल बताया गया है, जिसे यूनानी सभ्यता में ओरायन कहते हैं, जिसका अर्थ "शिकारी" है। प्राचीन भारत में तारामंडलों को नक्षत्र कहा जाता था। आधुनिक काल के खगोलशास्त्र में तारामंडल उन्ही तारों के समूहों को कहा जाता है जिन समूहों पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ में सहमति हो। आधुनिक युग में किसी तारों के तारामंडल के इर्द-गिर्द के क्षेत्र को भी उसी तारामंडल का नाम दे दिया जाता है। इस प्रकार पूरे खगोलीय गोले को अलग-अलग तारामंडलों में विभाजित कर दिया गया है। अगर यह बताना हो कि कोई खगोलीय वस्तु रात्री में आकाश में कहाँ मिलेगी तो यह बताया जाता है कि वह किस तारामंडल में स्थित है।, Neil F. Comins, pp.

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दानव तारा

एक लाल दानव तारे और सूरज के अंदरूनी ढाँचे की तुलना खगोलशास्त्र में दानव तारा ऐसे तारे को बोलते हैं जिसका आकार और चमक दोनों उस से बढ़ के हो जो उसकी सतह के तापमान के आधार पर मुख्य अनुक्रम के किसी तारे के होते। ऐसे तारे आम तौर पर सूरज से १० से १०० गुना व्यास (डायामीटर) में बड़े होते हैं और चमक में १० से १००० गुना ज़्यादा रोशन होते हैं। अपने तापमान के हिसाब से ऐसे दानव तारे कई रंगों में मिलते हैं - लाल, नारंगी, नीले, सफ़ेद, वग़ैराह। महादानव तारे और परमदानव तारे इन दानव तारों से भी बड़े और अधिक रोशन होते हैं। .

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प्रकाश-वर्ष

प्रकाश वर्ष (चिन्ह:ly) लम्बाई की मापन इकाई है। यह लगभग 950 खरब (9.5 ट्रिलियन) किलोमीटर के अन्दर होती है। यहां एक ट्रिलियन 1012 (दस खरब, या अरब पैमाने) के रूप में लिया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के अनुसार, प्रकाश वर्ष वह दूरी है, जो प्रकाश द्वारा निर्वात में, एक वर्ष में पूरी की जाती है। यह लम्बाई मापने की एक इकाई है जिसे मुख्यत: लम्बी दूरियों यथा दो नक्षत्रों (या ता‍रों) बीच की दूरी या इसी प्रकार की अन्य खगोलीय दूरियों को मापने मैं प्रयोग किया जाता है। .

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बायर नामांकन

शिकारी तारामंडल के तारे, जिनमें बायर नामांकन के यूनानी अक्षर दिख रहे हैं बायर नामांकन तारों को नाम देने का एक तरीक़ा है जिसमें किसी भी तारामंडल में स्थित तारे को एक यूनानी अक्षर और उसके तारामंडल के यूनानी नाम से बुलाया जाता है। बायर नामों में तारामंडल के यूनानी नाम का सम्बन्ध रूप इस्तेमाल होता है। मिसाल के लिए, पर्णिन अश्व तारामंडल (पॅगासस तारामंडल) के तारों में से तीन तारों के नाम इस प्रकार हैं - α पॅगासाए (α Pegasi), β पॅगासाए (β Pegasi) और γ पॅगासाए (γ Pegasi)। .

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बौनी गैलेक्सी

यु॰जी॰सी॰ ९१२८ एक बेढंगी बौनी गैलेक्सी है जिसमें सिर्फ़ लगभग १० करोड़ तारे हैं बौनी गैलेक्सी (ड्वॉर्फ़ गैलॅक्सी) ऐसी गैलेक्सी को कहते हैं जिसमें चंद अरब तारे ही हों, जो की हमारी गैलेक्सी, आकाशगंगा के २-४ खरब तारों की तुलना में काफ़ी कम हैं। आकाशगंगा की परिक्रमा कर रहा छोटा मॅजलॅनिक बादल एक ऐसी बौनी गैलेक्सी है। हमारे स्थानीय समूह में बहुत सी बौनी गैलेक्सियाँ हैं और यह अक्सर बड़ी गैलेक्सियों के उपग्रहों के रूप में पाई जाती हैं। .

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मन्दाकिनी

समान नाम के अन्य लेखों के लिए देखें मन्दाकिनी (बहुविकल्पी) जहाँ तक ज्ञात है, गैलेक्सी ब्रह्माण्ड की सब से बड़ी खगोलीय वस्तुएँ होती हैं। एनजीसी ४४१४ एक ५५,००० प्रकाश-वर्ष व्यास की गैलेक्सी है मन्दाकिनी या गैलेक्सी, असंख्य तारों का समूह है जो स्वच्छ और अँधेरी रात में, आकाश के बीच से जाते हुए अर्धचक्र के रूप में और झिलमिलाती सी मेखला के समान दिखाई पड़ता है। यह मेखला वस्तुत: एक पूर्ण चक्र का अंग हैं जिसका क्षितिज के नीचे का भाग नहीं दिखाई पड़ता। भारत में इसे मंदाकिनी, स्वर्णगंगा, स्वर्नदी, सुरनदी, आकाशनदी, देवनदी, नागवीथी, हरिताली आदि भी कहते हैं। हमारी पृथ्वी और सूर्य जिस गैलेक्सी में अवस्थित हैं, रात्रि में हम नंगी आँख से उसी गैलेक्सी के ताराओं को देख पाते हैं। अब तक ब्रह्मांड के जितने भाग का पता चला है उसमें लगभग ऐसी ही १९ अरब गैलेक्सीएँ होने का अनुमान है। ब्रह्मांड के विस्फोट सिद्धांत (बिग बंग थ्योरी ऑफ युनिवर्स) के अनुसार सभी गैलेक्सीएँ एक दूसरे से बड़ी तेजी से दूर हटती जा रही हैं। ब्रह्माण्ड में सौ अरब गैलेक्सी अस्तित्व में है। जो बड़ी मात्रा में तारे, गैस और खगोलीय धूल को समेटे हुए है। गैलेक्सियों ने अपना जीवन लाखो वर्ष पूर्व प्रारम्भ किया और धीरे धीरे अपने वर्तमान स्वरूप को प्राप्त किया। प्रत्येक गैलेक्सियाँ अरबों तारों को को समेटे हुए है। गुरुत्वाकर्षण तारों को एक साथ बाँध कर रखता है और इसी तरह अनेक गैलेक्सी एक साथ मिलकर तारा गुच्छ में रहती है। प्रारंभ में खगोलशास्त्रियों की धारणा थी कि ब्रह्मांड में नई गैलेक्सियों और क्वासरों का जन्म संभवत: पुरानी गैलेक्सियों के विस्फोट के फलस्वरूप होता है। लेकिन यार्क विश्वविद्यालय के खगोलशास्त्रियों-डॉ॰सी.आर.

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सर्पिल गैलेक्सी

मॅसिये १०१ और एन॰जी॰सी॰ ५४५७ के नाम से भी जानी जाती है) एक सर्पिल गैलेक्सी है सर्पिल गैलेक्सी किसी सर्पिल (स्पाइरल) आकार वाली गैलेक्सी को कहते हैं, जैसे की हमारी अपनी गैलेक्सी, आकाशगंगा है। इनमें एक चपटा घूर्णन करता (यानि घूमता हुआ) भुजाओं वाला चक्र होता है जिसमें तारे, गैस और धूल होती है और जिसके बीच में एक मोटा उभरा हुआ तारों से घना गोला होता है। इसके इर्द-गिर्द एक कम घना गैलेक्सीय सेहरा होता है जिसमें तारे अक्सर गोल तारागुच्छों में पाए जाते हैं। सर्पिल गैलेक्सियों में भुजाओं में नवजात तारे और केंद्र में पुराने तारों की बहुतायत होती है। क्योंकि नए तारे अधिक गरम होते हैं इसलिए भुजाएं केंद्र से ज़्यादा चमकती हैं। दो-तिहाई सर्पिल गैलेक्सियों में भुजाएं केंद्र से शुरू नहीं होती, बल्कि केंद्र का रूप एक खिचे मोटे डंडे सा होता है जिसके बीच में केन्द्रीय गोला होता है। भुजाएं फिर इस डंडे से निकलती हैं। क्योंकि मनुष्य पृथ्वी पर आकाशगंगा के अन्दर स्थित है, इसलिए हम पूरी आकाशगंगा के चक्र और उसकी भुजाओं को देख नहीं सकते। २००८ तक माना जाता था के आकाशगंगा का एक गोल केंद्र है जिस से भुजाएँ निकलती हैं, लेकिन अब वैज्ञानिकों का यह सोचना है के हमारी आकाशगंगा भी ऐसी डन्डीय सर्पिल गैलेक्सियों की श्रेणी में आती है। .

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सापेक्ष कांतिमान

क्षुद्रग्रह ६५ सिबअली और २ तारे जिनकें सापेक्ष कान्तिमान (apmag) लिखे गए हैं सापेक्ष कांतिमान किसी खगोलीय वस्तु के पृथ्वी पर बैठे दर्शक द्वारा प्रतीत होने वाले चमकीलेपन को कहते हैं। सापेक्ष कान्तिमान को मापने के लिए यह शर्त होती है कि आकाश में कोई बादल, धूल, वगैरा न हो और वह वस्तु साफ़ देखी जा सके। निरपेक्ष कांतिमान और सापेक्ष कांतिमान दोनों को मापने की इकाई "मैग्निट्यूड" (magnitude) कहलाती है। .

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स्थानीय समूह

सॅक्सटॅन्स गैलेक्सी हमसे ४३ लाख प्रकाश-वर्ष दूर स्थित एक बेढंगी गैलेक्सी है जो हमारे स्थानीय समूह की सदस्य है स्थानीय समूह या लोकल ग्रुप गैलेक्सियों का एक समूह है जिसमें हमारी गैलेक्सी, आकाशगंगा, भी शामिल है। इस समूह में ३० से ज़्यादा गैलेक्सियाँ शामिल हैं जिनमें से बहुत सी बौनी गैलेक्सियाँ हैं। स्थानीय समूह का द्रव्यमान केंद्र आकाशगंगा और एण्ड्रोमेडा गैलेक्सी के बीच में कही स्थित है और यह दोनों ही समूह की सब से बड़ी गैलेक्सियाँ हैं। कुल मिलाकर स्थानीय समूह का व्यास (डायामीटर) एक करोड़ प्रकाश-वर्ष तक फैला हुआ है। इसमें तीन सर्पिल गैलेक्सियाँ हैं - क्षीरमार्ग, एण्ड्रोमेडा और ट्राऐन्गुलम गैलेक्सी। .

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खगोल विज्ञानी

खगोल विज्ञानी अथवा खगोल शास्त्री वे वैज्ञानिक अध्ययनकर्ता हैं जी आकाशीय पिण्डों, उनकी गतियों और अंतरिक्ष में मौजूद विविध प्रकार की चीजों की खोज और अध्ययन का कार्य करते हैं। पश्चिमी संस्कृति में गैलीलियो नामक खगोल विज्ञानी को आधुनिक खगोलशास्त्र का पिता माना जाता है। हालाँकि कुछ लोग यह नाम कॉपरनिकस को देते हैं। .

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खगोलीय मैग्निट्यूड

खगोलशास्त्र में खगोलीय मैग्निट्यूड या खगोलीय कान्तिमान किसी खगोलीय वस्तु की चमक का माप है। इसका अनुमान लगाने के लिए लघुगणक (लॉगरिदम) का इस्तेमाल किया जाता है। मैग्निट्यूड के आंकडे परखते हुए एक ध्यान-योग्य चीज़ यह है के किसी वस्तु का मैग्निट्यूड जितना कम हो वह वस्तु उतनी ही अधिक रोशन होती है। पृथ्वी पर बैठे हुए दर्शक के लिए -.

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आकाशगंगा

स्पिट्ज़र अंतरिक्ष दूरबीन से ली गयी आकाशगंगा के केन्द्रीय भाग की इन्फ़्रारेड प्रकाश की तस्वीर। अलग रंगों में आकाशगंगा की विभिन्न भुजाएँ। आकाशगंगा के केंद्र की तस्वीर। ऍन॰जी॰सी॰ १३६५ (एक सर्पिल गैलेक्सी) - अगर आकाशगंगा की दो मुख्य भुजाएँ हैं जो उसका आकार इस जैसा होगा। आकाशगंगा, मिल्की वे, क्षीरमार्ग या मन्दाकिनी हमारी गैलेक्सी को कहते हैं, जिसमें पृथ्वी और हमारा सौर मण्डल स्थित है। आकाशगंगा आकृति में एक सर्पिल (स्पाइरल) गैलेक्सी है, जिसका एक बड़ा केंद्र है और उस से निकलती हुई कई वक्र भुजाएँ। हमारा सौर मण्डल इसकी शिकारी-हन्स भुजा (ओरायन-सिग्नस भुजा) पर स्थित है। आकाशगंगा में १०० अरब से ४०० अरब के बीच तारे हैं और अनुमान लगाया जाता है कि लगभग ५० अरब ग्रह होंगे, जिनमें से ५० करोड़ अपने तारों से जीवन-योग्य तापमान रखने की दूरी पर हैं। सन् २०११ में होने वाले एक सर्वेक्षण में यह संभावना पायी गई कि इस अनुमान से अधिक ग्रह हों - इस अध्ययन के अनुसार आकाशगंगा में तारों की संख्या से दुगने ग्रह हो सकते हैं। हमारा सौर मण्डल आकाशगंगा के बाहरी इलाक़े में स्थित है और आकाशगंगा के केंद्र की परिक्रमा कर रहा है। इसे एक पूरी परिक्रमा करने में लगभग २२.५ से २५ करोड़ वर्ष लग जाते हैं। .

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अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ

अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ का चिह्न अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (International Astronomical Union (IAU)), पेशेवर खगोलशास्त्रियों का एक संगठन है। इसका केंद्रीय सचिवालय पैरिस, फ़्रांस में है। इस संघ का ध्येय खगोलशास्त्र के क्षेत्र में अनुसन्धान और अध्ययन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देना है। जब भी ब्रह्माण्ड में कोई नई वस्तु पाई जाती है तो खगोलीय संघ द्वारा दिए गए नाम ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्य होते हैं। .

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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