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ऐतरेय ब्राह्मण और वैदिक शाखाएँ

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

ऐतरेय ब्राह्मण और वैदिक शाखाएँ के बीच अंतर

ऐतरेय ब्राह्मण vs. वैदिक शाखाएँ

ऐतरेय ब्राह्मण ऋग्वेद की एक शाखा है जिसका केवल "ब्राह्मण" ही उपलब्ध है, संहिता नहीं। ऐतरेय ब्राह्मण ऋग्वेदीय ब्राह्मणों में अपनी महत्ता के कारण प्रथम स्थान रखता है। यह "ब्राह्मण" हौत्रकर्म से संबद्ध विषयों का बड़ा ही पूर्ण परिचायक है और यही इसका महत्व है। इस "ब्राह्मण" के अन्य अंश भी उपलब्ध होते हैं जो "ऐतरेय आरण्यक" तथा "ऐतरेय उपनिषद्" कहलाते हैं। . मूलवस्तु से निकले हुए विभाग अथवा अंग को शाखा कहते हैं - जैसे वृक्ष की शाखा। वैदिक साहित्य के संदर्भ में वैदिक शाखा शब्द से उन विशेष परंपराओं का बोध होता है जो गुरु-शिष्य-प्रणाली, देशविभाग, उच्चारण की भिन्नता, काल एवं विशेष परिस्थितिजन्य कारणों से चार वेदों के भिन्न-भिन्न पाटों के रूप में विकसित हुई। शाखाओं को कभी कभी 'चरण' भी कहा जाता है। इन शाखाओं का विवरण शौनक के चरणव्यूह और पुराणों में विशद रूप से मिलता है। वैदिक शाखाओं की संख्याएँ सब जगह एक रूप में दी गई हों, ऐसा नहीं। फिर, विभिन्न स्थलों में वर्णित सभी वैदिक शाखाएँ आजकल उपलब्ध भी नहीं है। पतंजलि ने ऋग्वेद की 21, यजुर्वेद की 100, सामवेद की 100 तथा अथर्ववेद की 9 शाखाएँ बताई है। किंतु चरणव्यूह में उल्लिखित संख्याएँ इनसे भिन्न हैं। चरणव्यूह से ऋग्वेद की पाँच शाखाएँ ज्ञात होती हैं - शाकलायन, वाष्कलायन, आश्वलायन, शाखायन और मांडूकायन। पुराणों से उसकी केवल तीन ही शाखाएँ ज्ञात होती हैं - शाकलायन, वाष्कलायन और मांडूकायन। यजुर्वेद की दो शाखायें ज्ञात होती है - शुक्ल यजुर्वेद और कृष्ण यजुर्वेद। शुक्ल यजुर्वेद की 85 शाखाओं की चर्चा मिलती है, किंतु आज उनमें से केवल ये चार ही उपलब्ध है तैत्तिरीय, मैत्रायणी, कठ और कपिष्ठकलकठशाखा। कितु कपिष्ठलशाखा कठ की ही एक उपशाखा है। कठशाखा पंजाब में तथा तैत्तिरीय और मैत्रायणी शाखाएँ क्रमश: नर्मदा नदी के निचले प्रदेशों एव दक्षिण भार में प्रचलित हुई। वहाँ उनकी और भी उपशाखाएँ हो गई। सामवेद की शाखासंख्या पुराणों में १००० बताई गई है। पतंजलि ने भी सामवेद को 'सहस्रवर्त्मा' कहा है। भागवत, विष्णु और वायुपुराणों के अनुसार वेदव्यास के शिष्य जैमिनी हुए। उन्हीं के वंश में सुकर्मा हुए, जिनके दो शिष्य थे - एक हिरण्यनाभ कौसल्य, जो कोसल के राजा थे और दूसरे पौष्पंजि। कोसल की स्थिति पूर्वी (वास्तव में उत्तर पूर्वी) भारत में थी और इस कारण हिरण्यनाभ से चलनेवाली 500 शाखाएँ 'प्राच्य' कहलाई। पौष्यंजि से चलनेवाली 500 शाखाएँ 'उदीच्य' कहलाई। अथर्ववेद की नौ शाखाएँ मिलती हैं। उनमें नाम हैं - पिप्पलाद, स्तौद, मौद, शौनक, जाजल, जलद, ब्रह्मवद, देवदर्श तथा चारणवैद्य। इनमें सर्वाधिक प्रसिद्ध शाखाएँ हैं पिप्पलाद और शौनक। .

ऐतरेय ब्राह्मण और वैदिक शाखाएँ के बीच समानता

ऐतरेय ब्राह्मण और वैदिक शाखाएँ आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): ऋग्वेद

ऋग्वेद

ऋग्वेद सनातन धर्म का सबसे आरंभिक स्रोत है। इसमें १०२८ सूक्त हैं, जिनमें देवताओं की स्तुति की गयी है इसमें देवताओं का यज्ञ में आह्वान करने के लिये मन्त्र हैं, यही सर्वप्रथम वेद है। ऋग्वेद को इतिहासकार हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की अभी तक उपलब्ध पहली रचनाऔं में एक मानते हैं। यह संसार के उन सर्वप्रथम ग्रन्थों में से एक है जिसकी किसी रूप में मान्यता आज तक समाज में बनी हुई है। यह एक प्रमुख हिन्दू धर्म ग्रंथ है। ऋक् संहिता में १० मंडल, बालखिल्य सहित १०२८ सूक्त हैं। वेद मंत्रों के समूह को सूक्त कहा जाता है, जिसमें एकदैवत्व तथा एकार्थ का ही प्रतिपादन रहता है। ऋग्वेद में ही मृत्युनिवारक त्र्यम्बक-मंत्र या मृत्युंजय मन्त्र (७/५९/१२) वर्णित है, ऋग्विधान के अनुसार इस मंत्र के जप के साथ विधिवत व्रत तथा हवन करने से दीर्घ आयु प्राप्त होती है तथा मृत्यु दूर हो कर सब प्रकार का सुख प्राप्त होता है। विश्व-विख्यात गायत्री मन्त्र (ऋ० ३/६२/१०) भी इसी में वर्णित है। ऋग्वेद में अनेक प्रकार के लोकोपयोगी-सूक्त, तत्त्वज्ञान-सूक्त, संस्कार-सुक्त उदाहरणतः रोग निवारक-सूक्त (ऋ०१०/१३७/१-७), श्री सूक्त या लक्ष्मी सूक्त (ऋग्वेद के परिशिष्ट सूक्त के खिलसूक्त में), तत्त्वज्ञान के नासदीय-सूक्त (ऋ० १०/१२९/१-७) तथा हिरण्यगर्भ सूक्त (ऋ०१०/१२१/१-१०) और विवाह आदि के सूक्त (ऋ० १०/८५/१-४७) वर्णित हैं, जिनमें ज्ञान विज्ञान का चरमोत्कर्ष दिखलाई देता है। ऋग्वेद के विषय में कुछ प्रमुख बातें निम्नलिखित है-.

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ऐतरेय ब्राह्मण और वैदिक शाखाएँ के बीच तुलना

ऐतरेय ब्राह्मण 6 संबंध है और वैदिक शाखाएँ 24 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 3.33% है = 1 / (6 + 24)।

संदर्भ

यह लेख ऐतरेय ब्राह्मण और वैदिक शाखाएँ के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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