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एस्पिरिन और ग्लाइकोलिसिस

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

एस्पिरिन और ग्लाइकोलिसिस के बीच अंतर

एस्पिरिन vs. ग्लाइकोलिसिस

एस्पिरिन (यूएसएएन)(USAN), जिसे एसिटाइलसैलिसाइलिक एसिड (संक्षिप्त में एएसए), भी कहते हैं, एक सैलिसिलेट औषधि है, जो अकसर हल्के दर्दों से छुटकारा पाने के लिये दर्दनिवारक के रूप में, ज्वर कम करने के लिये ज्वरशामक के रूप में और शोथ-निरोधी दवा के रूप में प्रयोग में लाई जाती है। एस्पिरिन का एक प्लेटलेट-विरोधी प्रभाव भी होता है, जो थ्राम्बाक्सेन उत्पादन के अवरोध से उत्पन्न होता है, जो सामान्य परिस्थितियों में प्लेटलेटों के अणुओं को आपस में बांधकर रक्त नलिकाओं के भीतर की भित्तियों पर हुई चोट पर एक चकत्ते का निर्माण करता है। चूंकि प्लेटलेटों का चकत्ता काफी बड़ा होकर रक्त-प्रवाह में उस स्थान पर या आगे कहीं भी रूकावट पैदा कर सकता है, इसलिये रक्त के थक्कों के विकास के अधिक जोखम वाले लोगों में एस्पिरिन का प्रयोग लंबे समय के लिये कम मात्रा में हृदयाघात, मस्तिष्क-आघात और रक्त के थक्कों की रोकथाम के लिये भी किया जाता है। यह भी पाया गया है कि हृदयाघात के तुरंत बाद थोड़ी मात्रा में एस्पिरिन देकर एक और हृदयाघात या हृदय के ऊतक की मृत्यु का जोखम कम किया जा सकता है। एस्पिरिन के, विशेषकर अधिक मात्रा में लेने पर, मुख्य अवांछित दुष्प्रभावों में आमाशय व आंतों में छाले, आमाशय में रक्तस्राव और कानों में आवाज आना शामिल हैं। बच्चों और किशोरों में रेइज़ सिंड्रोम के जोखम के कारण, फ्लू जैसे लक्षणों या छोटी चेचक (चिकनपॉक्स) या अन्य वाइरस रोगों के लक्षणों के नियंत्रण के लिये अब एस्पिरिन का इस्तेमाल नहीं किया जाता. ग्लाइकोलिसिस (Glycolysis) या ग्लाइको अपघटन, श्वसन की प्रथम अवस्था है जो कोशिका द्रव में होती है। इस क्रिया में ग्लूकोज का आंशिक आक्सीकरण होता है, फलस्वरूप ग्लूकोज के एक अणु से पाइरूविक अम्ल के 2 अणु बनते हैं तथा कुछ ऊर्जा मुक्त होती है। यह क्रिया कई चरणों में होती है एवं प्रत्येक चरण में एक विशिष्ठ इन्जाइम उत्प्रेरक का कार्य करता है। इस क्रिया को इएणपी पाथवे भी कहा जाता है। इसमें ग्लूकोज में संचित ऊर्जा का 4 प्रतिशत भाग मुक्त होकर एनएडीएच (NADH2) में चली जाती है तथा शेष 96 प्रतिशत ऊर्जा पाइरूविक अम्ल में संचित हो जाती है। ग्लाइकोलिसिस की अभिक्रिया माइट्रोकांड्रिया के मैट्रिक्स में संपन्न होती है ग्लाइकोसिस की प्रक्रिया ग्लूकोकोज से आरम्भ होकर विभिन्न मध्यवर्ती उपापचयजों (metabolites) से होते हुए पाइरुवेट तक जाती है। हर रासायनिक परिवर्तन (लाल बक्सा) एक अलग एंजाइम द्वारा सम्पन्न होता है। चरण 1 तथा 3 में ATP (नीला) का उपभोग होता है और चरण 7 तथा 10 में ATP (पीला) बनता है। चूँकि चरण 6-10 प्रत्येक ग्लूकोज अणु के लिये दो बार होती है, इस कारण नेट ATP उत्पादन होता है। श्रेणी:श्वसन.

एस्पिरिन और ग्लाइकोलिसिस के बीच समानता

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एस्पिरिन और ग्लाइकोलिसिस के बीच तुलना

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संदर्भ

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