एफ सी बेयर्न म्यूनिख और द्वितीय विश्वयुद्ध
शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
एफ सी बेयर्न म्यूनिख और द्वितीय विश्वयुद्ध के बीच अंतर
एफ सी बेयर्न म्यूनिख vs. द्वितीय विश्वयुद्ध
फुटबॉल क्लब बेयर्न म्यूनिख e. V, आमतौर एफसी बेयर्न, एफसी बेयर्न म्यूनिख के रूप में जाने जाते, म्यूनिख, बवरिअ में स्थित एक जर्मन स्पोर्ट्स क्लब है। यह सबसे अच्छा एक रिकॉर्ड 23 राष्ट्रीय खिताब और 16 राष्ट्रीय कप जीत चुके हैं, जर्मनी में सबसे सफल फुटबॉल क्लब बुन्देस्लिग, जर्मन फुटबॉल लीग प्रणाली के शीर्ष स्तर में खेलता है और जो अपने पेशेवर फुटबॉल टीम के लिए जाना जाता है। एफसी बेयर्न फ्रांज जॉन के नेतृत्व में ग्यारह फुटबॉल खिलाड़ियों द्वारा 1900 में स्थापित किया गया था। बेयर्न 1932 में अपनी पहली राष्ट्रीय चैम्पियनशिप जीत ली क्लब 1963 में अपनी स्थापना के समय में बुन्देस्लिग के लिए नहीं चुना गया था। फ्रांज बेकनबावर के नेतृत्व में, यह एक पंक्ति (1974-76) में यूरोपीय कप तीन बार जीता है, जब क्लब में 1970 के दशक के मध्य में सबसे बड़ी सफलता की अपनी अवधि था। 2005-06 सीजन बायर्न एलियांज एरीना में अपने घरेलू मैच खेला है। इससे पहले टीम के 33 साल के लिए म्यूनिख ओलंपिया स्टेडियम में खेला था। राजस्व के मामले में, बेयर्न म्यूनिख 2012 में € 368,400,000 सृजन, जर्मनी में सबसे बड़ा खेल क्लब और दुनिया में चौथी सबसे बड़ी फुटबॉल क्लब है। बेयर्न 200,000 से अधिक सदस्यों के साथ एक सदस्यता आधारित क्लब है। 231197 के सदस्यों के साथ 3202 आधिकारिक तौर पर पंजीकृत प्रशंसक क्लब भी हैं। . द्वितीय विश्वयुद्ध १९३९ से १९४५ तक चलने वाला विश्व-स्तरीय युद्ध था। लगभग ७० देशों की थल-जल-वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं। इस युद्ध में विश्व दो भागों मे बँटा हुआ था - मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र। इस युद्ध के दौरान पूर्ण युद्ध का मनोभाव प्रचलन में आया क्योंकि इस युद्ध में लिप्त सारी महाशक्तियों ने अपनी आर्थिक, औद्योगिक तथा वैज्ञानिक क्षमता इस युद्ध में झोंक दी थी। इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग १० करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया, तथा यह मानव इतिहास का सबसे ज़्यादा घातक युद्ध साबित हुआ। इस महायुद्ध में ५ से ७ करोड़ व्यक्तियों की जानें गईं क्योंकि इसके महत्वपूर्ण घटनाक्रम में असैनिक नागरिकों का नरसंहार- जिसमें होलोकॉस्ट भी शामिल है- तथा परमाणु हथियारों का एकमात्र इस्तेमाल शामिल है (जिसकी वजह से युद्ध के अंत मे मित्र राष्ट्रों की जीत हुई)। इसी कारण यह मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध था। हालांकि जापान चीन से सन् १९३७ ई. से युद्ध की अवस्था में था किन्तु अमूमन दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत ०१ सितम्बर १९३९ में जानी जाती है जब जर्मनी ने पोलैंड पर हमला बोला और उसके बाद जब फ्रांस ने जर्मनी पर युद्ध की घोषणा कर दी तथा इंग्लैंड और अन्य राष्ट्रमंडल देशों ने भी इसका अनुमोदन किया। जर्मनी ने १९३९ में यूरोप में एक बड़ा साम्राज्य बनाने के उद्देश्य से पोलैंड पर हमला बोल दिया। १९३९ के अंत से १९४१ की शुरुआत तक, अभियान तथा संधि की एक शृंखला में जर्मनी ने महाद्वीपीय यूरोप का बड़ा भाग या तो अपने अधीन कर लिया था या उसे जीत लिया था। नाट्सी-सोवियत समझौते के तहत सोवियत रूस अपने छः पड़ोसी मुल्कों, जिसमें पोलैंड भी शामिल था, पर क़ाबिज़ हो गया। फ़्रांस की हार के बाद युनाइटेड किंगडम और अन्य राष्ट्रमंडल देश ही धुरी राष्ट्रों से संघर्ष कर रहे थे, जिसमें उत्तरी अफ़्रीका की लड़ाइयाँ तथा लम्बी चली अटलांटिक की लड़ाई शामिल थे। जून १९४१ में युरोपीय धुरी राष्ट्रों ने सोवियत संघ पर हमला बोल दिया और इसने मानव इतिहास में ज़मीनी युद्ध के सबसे बड़े रणक्षेत्र को जन्म दिया। दिसंबर १९४१ को जापानी साम्राज्य भी धुरी राष्ट्रों की तरफ़ से इस युद्ध में कूद गया। दरअसल जापान का उद्देश्य पूर्वी एशिया तथा इंडोचायना में अपना प्रभुत्व स्थापित करने का था। उसने प्रशान्त महासागर में युरोपीय देशों के आधिपत्य वाले क्षेत्रों तथा संयुक्त राज्य अमेरीका के पर्ल हार्बर पर हमला बोल दिया और जल्द ही पश्चिमी प्रशान्त पर क़ब्ज़ा बना लिया। सन् १९४२ में आगे बढ़ती धुरी सेना पर लगाम तब लगी जब पहले तो जापान सिलसिलेवार कई नौसैनिक झड़पें हारा, युरोपीय धुरी ताकतें उत्तरी अफ़्रीका में हारीं और निर्णायक मोड़ तब आया जब उनको स्तालिनग्राड में हार का मुँह देखना पड़ा। सन् १९४३ में जर्मनी पूर्वी युरोप में कई झड़पें हारा, इटली में मित्र राष्ट्रों ने आक्रमण बोल दिया तथा अमेरिका ने प्रशान्त महासागर में जीत दर्ज करनी शुरु कर दी जिसके कारणवश धुरी राष्ट्रों को सारे मोर्चों पर सामरिक दृश्टि से पीछे हटने की रणनीति अपनाने को मजबूर होना पड़ा। सन् १९४४ में जहाँ एक ओर पश्चिमी मित्र देशों ने जर्मनी द्वारा क़ब्ज़ा किए हुए फ़्रांस पर आक्रमण किया वहीं दूसरी ओर से सोवियत संघ ने अपनी खोई हुयी ज़मीन वापस छीनने के बाद जर्मनी तथा उसके सहयोगी राष्ट्रों पर हमला बोल दिया। सन् १९४५ के अप्रैल-मई में सोवियत और पोलैंड की सेनाओं ने बर्लिन पर क़ब्ज़ा कर लिया और युरोप में दूसरे विश्वयुद्ध का अन्त ८ मई १९४५ को तब हुआ जब जर्मनी ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया। सन् १९४४ और १९४५ के दौरान अमेरिका ने कई जगहों पर जापानी नौसेना को शिकस्त दी और पश्चिमी प्रशान्त के कई द्वीपों में अपना क़ब्ज़ा बना लिया। जब जापानी द्वीपसमूह पर आक्रमण करने का समय क़रीब आया तो अमेरिका ने जापान में दो परमाणु बम गिरा दिये। १५ अगस्त १९४५ को एशिया में भी दूसरा विश्वयुद्ध समाप्त हो गया जब जापानी साम्राज्य ने आत्मसमर्पण करना स्वीकार कर लिया। .
एफ सी बेयर्न म्यूनिख और द्वितीय विश्वयुद्ध के बीच समानता
एफ सी बेयर्न म्यूनिख और द्वितीय विश्वयुद्ध आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): नाज़ीवाद।
नाजीवादी जर्मनी का ध्वज नाज़ीवाद, जर्मन तानाशाह एडोल्फ़ हिटलर की विचार धारा थी। यह विचारधारा सरकार और आम जन के बीच एक नये से रिश्ते के पक्ष में थी। इस के अनुसार सरकार की हर योजना में पहल हो परंतु फिर वह योजना जनता-समाज की भागिदारी से चले। कट्टर जर्मन राष्ट्रवाद, देशप्रेम, विदेशी विरोधी, आर्य और जर्मन हित इस विचार धारा के मूल अंग है। नाज़ी यहुदियों से सख़्त नफ़रत करते थें और यूरोप और जर्मनी में हर बुराई के लिये उन्हें ही दोषी मानते थे। नाज़ीयों ने केंद्र में अपनी सरकार बनते ही जर्मनी में हिटलर की तानाशाही स्थापिक की और फिर यहुदियों के जर्मनी में दिन भर गये। द्वितीय विश्व युद्ध में यहुदियों के क़त्ले-आम के पीछे भी नाज़ीयों का ही हाथ था। श्रेणी:नाज़ी जर्मनी श्रेणी:नाज़ीवाद.
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एफ सी बेयर्न म्यूनिख और द्वितीय विश्वयुद्ध के बीच तुलना
एफ सी बेयर्न म्यूनिख 25 संबंध है और द्वितीय विश्वयुद्ध 60 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 1.18% है = 1 / (25 + 60)।
संदर्भ
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