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एचआईवी (HIV) और सूक्ष्मजीव

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

एचआईवी (HIV) और सूक्ष्मजीव के बीच अंतर

एचआईवी (HIV) vs. सूक्ष्मजीव

ह्युमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (Human immunodeficiency virus) (एचआईवी) (HIV) एक लेंटिवायरस (रेट्रोवायरस परिवार का एक सदस्य) है, जो अक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (acquired immunodeficiency syndrome) (एड्स) (AIDS) का कारण बनता है, जो कि मनुष्यों में एक अवस्था है, जिसमें प्रतिरक्षा तंत्र विफल होने लगता है और इसके परिणामस्वरूप ऐसे अवसरवादी संक्रमण हो जाते हैं, जिनसे मृत्यु का खतरा होता है। एचआईवी (HIV) का संक्रमण रक्त के अंतरण, वीर्य, योनिक-द्रव, स्खलन-पूर्व द्रव या मां के दूध से होता है। इन शारीरिक द्रवों में, एचआईवी (HIV) मुक्त जीवाणु कणों और प्रतिरक्षा कोशिकाओं के भीतर उपस्थित जीवाणु, दोनों के रूप में उपस्थित होता है। इसके संचरण के चार मुख्य मार्ग असुरक्षित यौन-संबंध, संक्रमित सुई, मां का दूध और किसी संक्रमित मां से उसके बच्चे को जन्म के समय होने वाला संचरण (ऊर्ध्व संचरण) हैं। एचआईवी (HIV) की उपस्थिति का पता लगाने के लिये रक्त-उत्पादों की जांच करने के कारण रक्ताधान अथवा संक्रमित रक्त-उत्पादों के माध्यम से होने वाला संचरण विकसित विश्व में बड़े पैमाने पर कम हो गया है। मनुष्यों में होने वाले एचआईवी (HIV) संक्रमण को विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) (डब्ल्यूएचओ)(WHO) द्वारा महामारी माना गया है। इसके बावजूद, एचआईवी (HIV) के बारे में व्याप्त परितोष एचआईवी (HIV) के जोखिम में एक मुख्य भूमिका निभा सकता है। 1981 में इसकी खोज से लेकर 2006 तक, एड्स (AIDS) 25 मिलियन से अधिक लोगों की जान ले चुका है। विश्व की लगभग 0.6% जनसंख्या एचआईवी (HIV) से संक्रमित है। एक अनुमान के मुताबिक केवल 2005 में ही, एड्स (AIDS) ने लगभग 2.4–3.3 मिलियन लोगों की जान ले ली, जिनमें 570,000 से अधिक बच्चे थे। इनमें से एक-तिहाई मौतें उप-सहाराई अफ्रीका में हुईं, जिससे आर्थिक विकास की गति धीमी पड़ गई और गरीबी में वृद्धि हुई। वर्तमान अनुमानों के अनुसार, एचआईवी (HIV) अफ्रीका में 90 मिलियन लोगों को संक्रमित करने को तैयार है, जिसके चलते अनुमानित रूप से कम से कम 18 मिलियन लोग अनाथ हो जाएंगे. जीवाणुओं का एक झुंड वे जीव जिन्हें मनुष्य नंगी आंखों से नही देख सकता तथा जिन्हें देखने के लिए सूक्ष्मदर्शी यंत्र की आवश्यकता पड़ता है, उन्हें सूक्ष्मजीव (माइक्रोऑर्गैनिज्म) कहते हैं। सूक्ष्मजैविकी (microbiology) में सूक्ष्मजीवों का अध्ययन किया जाता है। सूक्ष्मजीवों का संसार अत्यन्त विविधता से बह्रा हुआ है। सूक्ष्मजीवों के अन्तर्गत सभी जीवाणु (बैक्टीरिया) और आर्किया तथा लगभग सभी प्रोटोजोआ के अलावा कुछ कवक (फंगी), शैवाल (एल्गी), और चक्रधर (रॉटिफर) आदि जीव आते हैं। बहुत से अन्य जीवों तथा पादपों के शिशु भी सूक्ष्मजीव ही होते हैं। कुछ सूक्ष्मजीवविज्ञानी विषाणुओं को भी सूक्ष्मजीव के अन्दर रखते हैं किन्तु अन्य लोग इन्हें 'निर्जीव' मानते हैं। सूक्ष्मजीव सर्वव्यापी होते हैं। यह मृदा, जल, वायु, हमारे शरीर के अंदर तथा अन्य प्रकार के प्राणियों तथा पादपों में पाए जाते हैं। जहाँ किसी प्रकार जीवन संभव नहीं है जैसे गीज़र के भीतर गहराई तक, (तापीय चिमनी) जहाँ ताप 100 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा हुआ रहता है, मृदा में गहराई तक, बर्फ की पर्तों के कई मीटर नीचे तथा उच्च अम्लीय पर्यावरण जैसे स्थानों पर भी पाए जाते हैं। जीवाणु तथा अधिकांश कवकों के समान सूक्ष्मजीवियों को पोषक मीडिया (माध्यमों) पर उगाया जा सकता है, ताकि वृद्धि कर यह कालोनी का रूप ले लें और इन्हें नग्न नेत्रों से देखा जा सके। ऐसे संवर्धनजन सूक्ष्मजीवियों पर अध्ययन के दौरान काफी लाभदायक होते हैं। .

एचआईवी (HIV) और सूक्ष्मजीव के बीच समानता

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एचआईवी (HIV) और सूक्ष्मजीव के बीच तुलना

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संदर्भ

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