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एकीकृत परिपथ और लॉजिक गेट

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

एकीकृत परिपथ और लॉजिक गेट के बीच अंतर

एकीकृत परिपथ vs. लॉजिक गेट

माइक्रोचिप कम्पनी की इप्रोम (EPROM) स्मृति के एकीकृत परिपथ आधुनिक सरफेस माउण्ट आईसी ऐटमेल (Atmel) की एक आईसी, जिसके अन्दर स्मृति ब्लॉक, निवेश निर्गम (इन्पुट-ऑउटपुट) एवं तर्क के ब्लॉक देखे जा सकते हैं। यह एक ही चिप में पूरा तन्त्र (System on Chip) है। एलेक्ट्रॉनिकी में एकीकृत परिपथ या एकीपरि (इन्टीग्रेटेड सर्किट (IC)) को सूक्ष्मपरिपथ (माइक्रोसर्किट), सूक्ष्मचिप, सिलिकॉन चिप, या केवल चिप के नाम से भी जाना जाता है। यह एक अर्धचालक पदार्थ के अन्दर बना हुआ एलेक्ट्रॉनिक परिपथ ही होता है जिसमें प्रतिरोध, संधारित्र आदि पैसिव कम्पोनेन्ट (निष्क्रिय घटक) के अलावा डायोड, ट्रान्जिस्टर आदि अर्धचालक अवयव निर्मित किये जाते हैं। जिस प्रकार सामान्य परिपथ का निर्माण अलग-अलग (डिस्क्रीट) अवयव जोड़कर किया जाता है, आईसी का निर्माण वैसे न करके एक अर्धचालक के भीतर सभी अवयव एक साथ ही एक विशिष्ट प्रक्रिया का पालन करते हुए निर्मित कर दिये जाते हैं। एकीकृत परिपथ आजकल जीवन के हर क्षेत्र में उपयोग में लाये जा रहे हैं। इनके कारण एलेक्ट्रानिक उपकरणों का आकार अत्यन्त छोटा हो गया है, उनकी कार्य क्षमता बहुत अधिक हो गयी है एवं उनकी शक्ति की जरूरत बहुत कम हो गयी है। संकर एकीकृत परिपथ भी लघु आकार के एकीपरि (एकीकृत परिपथ) होते हैं किन्तु वे अलग-अलग अवयवों को एक छोटे बोर्ड पर जोड़कर एवं एपॉक्सी आदि में जड़कर (इम्बेड करके) बनाये जाते हैं। अतः ये मोनोलिथिक आई सी से भिन्न हैं। . 74 शृंखला के एक NAND गेट आईसी का व्यवस्था आरेख (उपर) तथा वास्तविक फोटो (नीचे) तर्कद्वार या लॉजिक गेट (logic gate) वह युक्ति है जिसका आउटपुट उसके इनपुट पर उपस्थित वर्तमान संकेतों या पूर्व संकेतों का कोई लॉजिकल फलन (Boolean function) हो। यह भौतिक युक्ति हो सकती है या कोई आदर्शीकृत युक्ति। आजकल अधिकतर अर्धचालक लॉजिक गेट प्रयोग किये जाते हैं किन्तु सिद्धान्ततः ये विद्युतचुम्बकीय रिले, तरल लॉजिक, दाब लॉजिक, प्रकाशिक लॉजिक, अणुओं आदि से भी बनाये जा सकते हैं। बूलीय लॉजिक से जिन अल्गोरिथ्म का वर्णन किया जा सकता है उन्हें इन भौतिक गेटों से उन अल्गोरिद्मों को साकार रूप भी दिया जा सकता है (बनाया भी जा सकता है)। जिस प्रकार एक दरवाजा (द्वार) दो अवस्थाओं - 'खुला या बन्द' में हो सकता है, उसी तरह लॉजिक गेट का आउटपुट भी 'हाई या लो' (High/Low) हो सकता है। लॉजिक गेट, ऐण्ड (AND) और ऑर (OR) जैसे सरल भी हो सकते हैं और एक कम्प्युटर जितना जटिल भी। डायोड का उपयोग करके बनाया गया लॉजिक गेट सबसे सरल लॉजिक गेट है। किन्तु इसके केवल AND तथा OR गेट ही बनाये जा सकते हैं, 'इन्वर्टर' नहीं बनाया जा सकता। अतः इसे एक 'अपूर्ण लॉजिक परिवार' कह सकते हैं। इन्वर सहित सभी लॉजिक गेट बनाने में सक्षम होने के लिये किसी प्रकार के प्रवर्धक की जरूरत होगी। इसलिये 'सम्पूर्ण लॉजिक परिवार' बनाने के लिये रिले, निर्वात नलिका या ट्रांजिस्टर का प्रयोग अपरिहार्य है। बाइपोलर ट्रांजिस्टरों का प्रयोग करके बना लॉजिक परिवार रेजिस्टर-ट्रांजिस्टर लॉजिक (RTL) कहलाता है। आरम्भिक एकीकृत परिपथों में इसी का उपयोग किया गया था। इसके बाद विभिन्न दृष्टियों से सुधार करते हुए डायोड-ट्रांजिस्टर लॉजिक (DTL) और ट्रांजिस्टर-ट्रांजिस्टर लॉजिक (TTL) आये। अब लगभग सब जगह ट्रांजिस्टर का स्थान मॉसफेट (MOSFETs) ने ले लिया है जिससे आईसी कम स्थान घेरती है और काम करने के लिये कम उर्जा क्षय होती है। वर्तमान में प्रयुक्त लॉजिक परिवार का नाम कम्प्लिमेन्टरी मेटल-आक्साइड-सेमिकंडक्टर (CMOS) है। .

एकीकृत परिपथ और लॉजिक गेट के बीच समानता

एकीकृत परिपथ और लॉजिक गेट आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): ट्रांजिस्टर, मॉसफेट

ट्रांजिस्टर

अलग-अलग रेटिंग के कुछ प्रथनक ट्रान्जिस्टर (प्रथनक) एक अर्धचालक युक्ति है जिसे मुख्यतः प्रवर्धक (Amplifier) के रूप में प्रयोग किया जाता है। कुछ लोग इसे बीसवीं शताब्दी की सबसे महत्वपूर्ण खोज मानते हैं। ट्रान्जिस्टर का उपयोग अनेक प्रकार से होता है। इसे प्रवर्धक, स्विच, वोल्टेज नियामक (रेगुलेटर), संकेत न्यूनाधिक (सिग्नल माडुलेटर), थरथरानवाला (आसिलेटर) आदि के रूप में काम में लाया जाता है। पहले जो कार्य ट्रायोड या त्रयाग्र से किये जाते थे वे अधिकांशत: अब ट्रान्जिस्टर के द्वारा किये जाते हैं। .

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मॉसफेट

n-चैनेल मॉस्फेट का V-I वैशिष्ट्य: इसमें लाल रंग से रंजित भाग को 'रैखिक क्षेत्र' (लिनियर जोन) और पीले रंग से रंजित भाग को 'संतृप्त क्षेत्र' (सैचुरेटेड जोन) कहते हैं। मॉसफेट (Mmetal–Oxide–Semiconductor Field-Effect Transistor या MOSFET / MOS-FET / MOS FET) एक एलेक्ट्रॉनिक युक्ति है जो विद्युत संकेतों को प्रवर्धित करने या स्विच करने के काम आती है। वैसे तो यह चार टांगों (टर्मिनल) वाली युक्ति है (स्त्रोत (S), गेट (G), ड्रेन (D) और बॉडी (B)) किन्तु प्रायः B टर्मिनल को स्रोत टर्मिनल के साथ जोड़कर ही इसका उपयोग किया जाता है। अतः व्यावहारिक रूप से अन्य फिल्ड-इफेक्ट ट्रांजिस्टरों की भांति यह भी तीन टर्मिनल वाली युक्ति बन जाती है। किसी समय बीजेटी सर्वाधिक प्रयुक्त युक्ति थी, किन्तु अब मॉसफेट ही डिजिटल और एनालॉग दोनों परिपथों में सर्वाधिक प्रयुक्त युक्ति बन गयी है। इसका कारण यह है कि मॉस्फेट के प्रयोग से एकीकृत परिपथों में सस्ते में बहुत अधिक 'पैकिंग घनत्व' प्राप्त किया जा रहा है। यद्यपि आजकल गेट को विलग करने के लिये 'मेटल आक्साइड' के बजाय डॉप किया हुआ पॉलीसिलिकॉन उपयोग किया जाता है फिर भी इसका पुराना नाम MOSFET अब भी अपरिवर्तित है। मॉस्फेट की ड्रेन-सोर्स धारा को गेट और सोर्स के बीच के विभवान्तर द्वारा नियंत्रित किया जाता है। चूंकि गेट, मॉस्फेट के शेष भागों से विलगित (insulated) होता है, गेत को चलाने (ड्राइव करने) के लिये अत्यन्त कम धारा की जरूरत होती है। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

एकीकृत परिपथ और लॉजिक गेट के बीच तुलना

एकीकृत परिपथ 17 संबंध है और लॉजिक गेट 18 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 5.71% है = 2 / (17 + 18)।

संदर्भ

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