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एंजाइम कैनेटीक्स

सूची एंजाइम कैनेटीक्स

एंजाइम कैनेटीक्स रासायनिक प्रतिक्रियाओं  का अध्य्यन है। जो उत्प्रेरक द्वारा एंजाइमों पर किया जाता है। एंजाइम कैनेटीक्स में प्रतिक्रिया की दर को मापा जाता है और प्रभाव की अलग-अलग स्थिति की प्रतिक्रिया की जांच करते है। अध्ययन एक एंजाइम के कैनेटीक्स में इस तरह से प्रकट कर सकते हैं उत्प्रेरक तंत्र के इस एंजाइम, में अपनी भूमिका चयापचय, कैसे अपनी गतिविधि को नियंत्रित किया जाता है, और कैसे एक दवा या एक agonist हो सकता है रोकना एंजाइम.

6 संबंधों: चयापचय, प्रकिण्व, रासायनिक गतिकी, रासायनिक अभिक्रिया, अभिक्रिया की दर, उत्प्रेरण

चयापचय

कोएन्ज़ाइम एडीनोसाइन ट्रायफ़ोस्फेट का संरचना, उर्जा मेटाबॉलिज़्म में एक केंद्र मध्यवर्ती चयापचय (metabolism) जीवों में जीवनयापन के लिये होने वाली रसायनिक प्रतिक्रियाओं को कहते हैं। ये प्रक्रियाएं जीवों को बढ़ने और प्रजनन करने, अपनी रचना को बनाए रखने और उनके पर्यावरण के प्रति सजग रहने में मदद करती हैं। साधारणतः चयापचय को दो प्रकारों में बांटा गया है। अपचय कार्बनिक पदार्थों का विघटन करता है, उदा.

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प्रकिण्व

ग्लायेक्सेलेज़ १। अपनी अभिक्रिया को कैटालाइज़ करने हेतु आवश्यक दो जस्ता आयन पर्पल गोले में दर्शित हैं और एक प्रकिण्व इन्हिबिटर, एस-हेक्साइलग्लूटाथाइओन स्पेस-फिलिंग-प्रतिरूप के रूप में दो सक्रिय स्थलों को भरता दिखाया गया है। प्रकिण्व (अंग्रेज़ी:एंज़ाइम) रासायनिक क्रियाओं को उत्प्रेरित करने वाले प्रोटीन को कहते हैं। इनके लिये एंज़ाइम शब्द का प्रयोग सन १८७८ में कुह्ने ने पहली बार किया था। प्रकिण्वों के स्रोत मुख्यतः सूक्ष्मजीव और फिर पौधे तथा जंतु होते हैं। किसी प्रकिण्व के अमीनो अम्ल में परिवर्तन द्वारा उसके गुणधर्म में उपयोगी परिवर्तन लाने हेतु अध्ययन को प्रकिण्व अभियांत्रिकी या एंज़ाइम इंजीनियरिंग कहते हैं। एंज़ाइम इंजीनियरिंग का एकमात्र उद्देश्य औद्योगिक अथवा अन्य उद्योगों के लिये अधिक क्रियाशील, स्थिर एवं उपयोगी एंज़ाइमों को प्राप्त करना है।। हिन्दुस्तान लाइव। २४ मई २०१० पशुओं से प्राप्त रेनेट भी एक प्रकिण्व ही होता है। ये शरीर में होने वाली जैविक क्रियाओं के उत्प्रेरक होने के साथ ही आवश्यक अभिक्रियाओं के लिए शरीर में विभिन्न प्रकार के प्रोटीन का निर्माण करते हैं। इनकी भूमिका इतनी महत्वपूर्ण है कि ये या तो शरीर की रासायनिक क्रियाओं को आरंभ करते हैं या फिर उनकी गति बढ़ाते हैं। इनका उत्प्रेरण का गुण एक चक्रीय प्रक्रिया है। सभी उत्प्रेरकों की ही भांति, प्रकिण्व भी अभिक्रिया की उत्प्रेरण ऊर्जा (Ea‡) को कम करने का कार्य करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अभिक्रिया की गति में वृद्धि हो जाती है। अधिकांश प्रकिण्वन अभिक्रियाएं अन्य गैर-उत्प्रेरित अभिक्रियाओं की तुलना में लाखों गुना तेज गति से होती हैं। इसी प्रकार अन्य सभि उत्प्रेरण अभिक्रियाओं की तरह ही प्रकिण्व भी अभिक्रिया में खपते नहीं हैं, न ही अभिक्रिया साम्य में परिवर्तन करते हैं। फिर भी प्रकिण्व अन्य अधिकां उत्प्रेरकों से इस बाट में अलग होते हैं, कि प्रकिण्व किसी विशेष अभिक्रिया के लिये विशिष्ट होते हैं। प्रकिण्वों द्वारा लगभग ४००० से अधिक ज्ञात जैवरासायनिक अभिक्रियाएं संपन्न होती हैं। कुछ आर एन ए अणु भी अभिक्रियाओं को उत्प्रेरित करते हैं, जिसका एक अच्छा उदाहरण है राइबोसोम के कुछ भागों में होती अभिक्रियाएं। कुछ कृत्रिम अणु भी प्रकिण्वों जैसी उत्प्रेरक क्रियाएं दिखाते हैं। इन्हें कृत्रिम प्रकिण्व कहते हैं। World fast enzyme - जाइमेज .

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रासायनिक गतिकी

अभिक्रिया की गति सांद्रण बढ़ने पबढ़ती है - इस परिघटना को संघ्ट्ट के सिद्धान्त (कोलिजन थिअरी) के द्वारा समझा जा सकता है। आधुनिक रासायनिक एवं औद्योगिक ज्ञान के विकास के साथ ही साथ रासायनिक गतिकी (केमिकल काइनेटिक्स) या 'अभिक्रिया गतिविज्ञान' (Reaction, Kinetics) का शीघ्रता से विकास हुआ है। इसके फलस्वरूप रासायनिक प्रतिक्रिया गतिविज्ञान केवल प्रयोगशालाओं में सीमित न रहकर अब औद्योगिक संयंत्र का एक अंग बन गया है। अनेक रासायनिक क्रियाओं के द्वारा ओद्यौगिक उत्पादन किया जाता है। अत: रासायनिक उद्योग में इन क्रियाओं का अत्यंत महत्व होता है। आधुनिक युग में रासायनिक क्रियाओं के केवल प्रारंभिक ज्ञान से रासायनिक उद्योगों की स्थापना एवं विकास संभव नहीं है, विशेषत: जब कम लागत के उत्पादन पर अत्याधिक बल दिया जाता है। अत: आधुनिक काल में प्रतिक्रिया गतिविज्ञान का गहन अध्ययन केवल प्रयोगशाला का विषय न होकर औद्योगिक क्षेत्र का प्रमुख विषय बन गया है। प्रतिक्रिया गतिविज्ञान के विषयक्षेत्र में वृद्धि एवं विकास का प्रमुख कारण ऊष्मा-गति-विज्ञान का विकास है। .

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रासायनिक अभिक्रिया

लकड़ी का जलना एक रासायनिक अभिक्रिया है। एक बीकर में हाइड्रोजन क्लोराइड की वाष्प में परखनली से अमोनिया की वाष्प मिलाने से एक नया पदार्थ अमोनियम क्लोराइड बनते हुए रासायनिक अभिक्रिया में एक या अधिक पदार्थ आपस में अन्तर्क्रिया (इन्टरैक्शन) करके परिवर्तित होते हैं और एक या अधिक भिन्न रासायनिक गुण वाले पदार्थ बनते हैं। किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले पदार्थों को अभिकारक (रिएक्टैन्ट्स) कहते हैं। अभिक्रिया के फलस्वरूप उत्पन्न पदार्थों को उत्पाद (प्रोडक्ट्स) कहते हैं। लैवासिये के समय से ही ज्ञात है कि रासायनिक अभिक्रिया बिना किसी मापने योग्य द्रव्यमान परिवर्तन के होती है। (द्रव्यमान परिवर्तन अत्यन्त कम होता है जिसे मापना कठिन है)। इसी को द्रव्यमान संरक्षण का नियम कहते हैं। अर्थात किसी रासायनिक अभिक्रिया में न तो द्रव्यमान नष्ट होता है न ही बनता है; केवल पदार्थों का परिवर्तन होता है। परम्परागत रूप से उन अभिक्रियाओं को ही रासायनिक अभिक्रिया कहते हैं जिनमें रासायनिक बन्धों को तोडने या बनाने में एलेक्ट्रानों की गति जिम्मेदार होती है। .

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अभिक्रिया की दर

लोहे पर जंग लगना - कम अभिक्रिया दर वाली रासायनिक अभिक्रिया है। लकड़ी का जलना - तीव्र अभिक्रिया दर वाली रासायनिक अभिक्रिया अभिक्रिया की दर (reaction rate या rate of reaction) का मतलब यह है कि किसी दी हुई रासायनिक अभिक्रिया में किसी अभिकारक या उत्पाद की मात्रा कितना धीमे या कितनी तेजी से बदल रही है। भौतिक रसायन के अन्तर्गत रासायनिक गतिकी (Chemical kinetics) में अभिक्रिया की दर का अध्ययन किया जाता है। 'अभिक्रिया की दर' का रासायनिक इंजीनियरी एवं अन्य रासायनिक विधाओं में बहुत महत्व है। .

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उत्प्रेरण

जब किसी रासायनिक अभिक्रिया की गति किसी पदार्थ की उपस्थिति मात्र से बढ जाती है तो इसे उत्प्रेरण (Catalysis) कहते हैं। जिस पदार्थ की उपस्थिति से अभिक्रिया की गति बढ जाती है उसे उत्प्रेरक (catalyst) कहते हैं। उत्प्रेरक अभिक्रिया में भाग नहीं लेता, केवल क्रिया की गति को प्रभावित करता है। औद्योगिक रूप से महत्वपूर्ण रसायनों के निर्माण में उत्प्रेरकों की बहुत बड़ी भूमिका है, क्योंकि इनके प्रयोग से अभिक्रिया की गति बढ जाती है जिससे अनेक प्रकार से आर्थिक लाभ होता है और उत्पादन तेज होता है। इसलिये उत्प्रेरण के क्षेत्र में अनुसंधान के लिये बहुत सा धन एवं मानव श्रम लगा हुआ है। .

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