3 संबंधों: राष्ट्रीय तापविद्युत निगम लिमिटेड, शक्ति, वाष्प।
राष्ट्रीय तापविद्युत निगम लिमिटेड
एनटीपीसी लिमिटेड (पूर्व नाम - राष्ट्रीय तापविद्युत निगम) भारत की सबसे बड़ी विद्युत उत्पादक कम्पनी है। सन् 2016 में के लिए विश्व की 2000 सबसे बड़ी कंपनियों में एनटीपीसी का 400 वां स्थान है। मई, 2010 को एनटीपीसी यह प्रतिष्ठा प्राप्त करने वाली सम्मानित चार कंपनियों में से, एक महारत्न कंपनी बन गई। यह भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी है जो मुम्बई स्टॉक विनिमय (Bombay Stock Exchange) में पंजीकृत है। इसमें वर्तमान में भारत सरकार का हिस्सा ८९.५% है। इसकी स्थापना ०७ नवम्बर १९७५ को हुई थी। कंपनी की कुल संस्थापित क्षमता 50,750 मेगावॉट (संयुक्त उद्यम सहित) है जिसमें पूरे भारत में स्थित 19 कोयला आधारित और 7 गैस आधारित स्टेशन शामिल हैं। संयुक्त उद्यम के तहत 9 स्टेशन कोयला आधारित हैं तथा 11 अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं भी हैं। कंपनी ने वर्ष 2032 तक 1,28,000 मेगावाट की स्थापित विद्युत् क्षमता पैदा करने का लक्ष्य रखा है। इस क्षमता में विविध मिश्रित ईंधन होंगे जिसमे 56% कोयला, 16% गैस, 11% परमाणु ऊर्जा, और हाइड्रो सहित 17% नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत होंगे। वर्ष 2032 तक, गैर जीवाश्म ईंधन आधारित उत्पादन क्षमता एनटीपीसी की पोर्टफोलियो का लगभग 30% होगी। कंपनी में कुल राष्ट्रीय क्षमता की 17.73 प्रतिशत हिस्सेदारी है, यह उच्च दक्षता पर अपना ध्यान केन्द्रित करने के कारण कुल विद्युत उत्पादन में 25.91 प्रतिशत का योगदान देता है। एनटीपीसी का मुख्य काम तापविद्युत संयंत्रों का प्रौद्योगिकी, निर्माण एवं संचालन है। यह भारत एवं विदेश की विद्युत उत्पादक कम्पनियों को तकनीकी सलाह भी देती है। एनटीपीसी का जब उत्तर प्रदेश में सिंगरौली में पहला पिटहैड सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट का निर्माण शुरू हुआ उस दिन से आज तक एनटीपीसी ने एक लंबी दूरी तय की है। .
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शक्ति
भौतिकी में कार्य करने की दर को शक्ति (पावर/Power) कहते हैं। इसकी इकाई वाट होती है जो १ जूल प्रति सेकेण्ड के बराबर होती है। इसके अलावा 'शक्ति' शब्द का अन्य अर्थों में भी उपयोग होता है, जैसे 'देवी', राजनीतिक शक्ति, सैन्य शक्ति आदि। .
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वाष्प
किसी पदार्थ के क्रांतिक बिन्दु से कम ताप पर उस पदार्थ के गैस प्रावस्था को उस पदार्थ का वाष्प (vapor) कहते हैं। इसका अर्थ है कि वाष्प का दाब बढ़ाकर, बिना ताप कम किये ही, उसे द्रव या ठोस में बदला जा सकता है। उदाहरण के लिये, पानी का क्रांतिक ताप 374 °C (647 K) है। इसका मतलब है कि इससे अधिक ताप पर किसी भी दशा में पानी द्रव अवस्था में नहीं रह सकता। अतः वायुमण्डल में, सामान्य तापों पर पानी की वाष्प द्रव में बदल जायेगी यदि इसका आंशिक दाब पर्याप्त बढ़ा दिया जाय। वाष्प और द्रव (या ठोस) का सह-अस्तित्व सम्भव है। .
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