ऊष्मा और ऊष्मागतिकी के सिद्धान्त
शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
ऊष्मा और ऊष्मागतिकी के सिद्धान्त के बीच अंतर
ऊष्मा vs. ऊष्मागतिकी के सिद्धान्त
इस उपशाखा में ऊष्मा ताप और उनके प्रभाव का वर्णन किया जाता है। प्राय: सभी द्रव्यों का आयतन तापवृद्धि से बढ़ जाता है। इसी गुण का उपयोग करते हुए तापमापी बनाए जाते हैं। ऊष्मा या ऊष्मीय ऊर्जा ऊर्जा का एक रूप है जो ताप के कारण होता है। ऊर्जा के अन्य रूपों की तरह ऊष्मा का भी प्रवाह होता है। किसी पदार्थ के गर्म या ठंढे होने के कारण उसमें जो ऊर्जा होती है उसे उसकी ऊष्मीय ऊर्जा कहते हैं। अन्य ऊर्जा की तरह इसका मात्रक भी जूल (Joule) होता है पर इसे कैलोरी (Calorie) में भी व्यक्त करते हैं। . 19वीं शताब्दी के मध्य में ऊष्मागतिकी के दो सिद्धांतों का प्रतिपादन किया गया था, जिन्हें उष्मागतिकी के प्रथम एवं द्वितीय सिद्धांत कहते हैं। 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में दो अन्य सिद्धांतों का प्रतिपादन किया गया है जिन्हें उष्मागतिकी का शून्यवाँ तथा तृतीय सिद्धांत कहते हैं।.
ऊष्मा और ऊष्मागतिकी के सिद्धान्त के बीच समानता
ऊष्मा और ऊष्मागतिकी के सिद्धान्त आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): उष्मागतिकी।
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ऊष्मा और ऊष्मागतिकी के सिद्धान्त के बीच तुलना
ऊष्मा 21 संबंध है और ऊष्मागतिकी के सिद्धान्त 7 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 3.57% है = 1 / (21 + 7)।
संदर्भ
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