ऊपरी क्रेन और बेयरिंग
शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
ऊपरी क्रेन और बेयरिंग के बीच अंतर
ऊपरी क्रेन vs. बेयरिंग
ऊपरी क्रेन या सेतु क्रेन (bridge crane) या ऊपरी क्रेन (मोनोरल) स्थानांतरण का उपकरण है और इसमें सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाने का सामर्थ्य है। यह सामान को हवा में लटकाते हुए ले जाता है और भूमि से ऊपर ही ऊपर चलता रहता है। इसकी क्रिया आवश्यकतानुसार रुक रुककर हो सकती है। साधारणत: यह एक सीमित क्षेत्र में ही काम करता है। ऊपरी क्रेन पुल पर चलनेवाला क्रेन और शक्ति से चलनेवाला क्रेन, ये दोनों, एक दूसरे से भिन्न दिखाई पड़ने पर भी, एक ही श्रेणी में आते हैं। ऊपरी क्रेन यंत्र का उपयोग अपेक्षाकृत हल्के भार को स्थानांतरित करने में होता है। यातायात के साधारण साधन भूमि पर बिछी दो पटरियों पर चलते हैं, किंतु ऊपरी क्रेन के डब्बे भूमि से ऊपर आकाश में लगी एकल पटरी की सहायता से लटकते हुए चलते हैं। भूमि पर यातायात की अपेक्षा भूमि से ऊपर यातायात में एक सुविधा यह रहती है कि इसमें भूमि छेंकने की असुविधा नहीं होती, यह कम महत्त्व की बात नहीं है। यह विविध प्रकार के माल कारखाने के भीतर एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने में बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है। ऊपरी क्रेन यंत्र के तीन आवश्यक अंग होते हैं: पथ, डब्बे या ठेला (ट्रॉली) और वाहक। इसके डब्बे जंजीर अथवा तार द्वारा चलनेवाले डब्बों की भाँति एक दूसरे से संयुक्त नहीं रहते और न जंजीर अथवा तार द्वारा चलते हैं। इसके डब्बों को साधारणत: हाथ से ढकेला जाता है। यद्यपि ये एक निश्चित पथ पर चलते हैं, तथापि उस पथ के ओर और छोर का जुड़ा रहना आवश्यक नहीं है। . चार बिन्दुओं पर सम्पर्क वाला बाल-बेयरिंग बाल-बेयरिंग का एनिमेशन किसी घूमनेवाली मशीन के अंग को संभालने के लिए धारुक या बेयरिंग (Bearings) का उपयोग होता है। यह एक ऐसी यांत्रिक युक्ति है जो मशीन के दो या अधिक भागों के बीच कम से कम घर्षण के साथ सापेक्ष गति (रेखीय गति या घूर्णन गति) की सुविधा प्रदान करती है। धुरी या तकले (शाफ्ट) के उस भाग को, जो बेयरिंग पर रखा जाता है, जर्नल (journal) कहा जाता है। जर्नल, धारुक के भीतर घूमती रहती है और इस प्रकार एक तो धारुक धुरी का भार और दूसरे उसपर डाले हुए बलों को सहन करती है तथा धूरी को बिना किसी रुकावट के घूमने का अवसर देती है। सरल धारुक एक नली के समान होता है, जिसमें धुरी को डाल दिया जाता है। परंतु तेज चलनेवाली धुरियों के लिए, या जहाँ घर्षण के कारण धारुक तपकर खराब हो सकता हो, धारुक के दो पाटों में बनाया जाता है जो विभिन्न प्रकार के होते हैं। किसी मशीन का धारुक ऐसा भाग है जिसपर मशीन के चलने से हर समय भार रहता है और धुरी के घूमने के कारण धारुक कुछ न कुछ घिसता ही रहता है। यदि धारुक को ठीक प्रकार से न बनाया जाए तो बहुत जल्द उसको बदलना पड़ता है। इसलिए सब बातों को ध्यान में रखते हुए धारुक को इस प्रकार बनाना पड़ता है कि वह कम से कम घिसे तथा घिसे हुए भागों को सुविधा से बदला जा सके। धारुक के दो भाग होते हैं, एक बंधनी (bracket) कहलाता है, जो मशीन में कसा जाता है और इस बंधनी के भीतर धारुक को जमाया जाता है, जो पीतल "गन" धातु (gun metal), या काँसे का होता है। इसी प्रकार की दूसरी धातुएँ भी इस भाग के बनाने में काम आती हैं। इसी भाग के भीतर धुरी घूमती है। .
ऊपरी क्रेन और बेयरिंग के बीच समानता
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संदर्भ
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