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उमर और मिस्त्र पर मुस्लिम विजय

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

उमर और मिस्त्र पर मुस्लिम विजय के बीच अंतर

उमर vs. मिस्त्र पर मुस्लिम विजय

हजरत उमर इब्न अल-ख़त्ताब (अरबी में عمر بن الخطّاب), ई. (586–590 – 644) मुहम्मद साहब के प्रमुख चार सहाबा (साथियों) में से थे। वह हज़रत अबु बक्र के बाद मुसलमानों के दूसरे खलीफा चुने गये। मुहम्मद साहब ने फारूक नाम की उपाधि दी थी। जिसका अर्थ सत्य और असत्य में फर्क करने वाला। मुहम्मद साहब के अनुयाईयों में इनका रुतबा हज़रत अबू बक्र के बाद आता है। उमर ख़ुलफा-ए-राशीदीन में दूसरे ख़लीफा चुने गए। उमर ख़ुलफा-ए-राशीदीन में सबसे सफल ख़लीफा साबित हुए। मुसलमान इनको फारूक-ए-आज़म तथा अमीरुल मुमिनीन भी कहते हैं। युरोपीय लेखकों ने इनके बारे में कई किताबें लिखी हैं तथा उमर महान (Umar The Great) की उपाधी दी है। प्रसिद्ध लेखक माइकल एच. श्रेणी:अरब इतिहास श्रेणी:मिस्र श्रेणी:मुस्लिम विजय.

उमर और मिस्त्र पर मुस्लिम विजय के बीच समानता

उमर और मिस्त्र पर मुस्लिम विजय आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): राशिदून ख़लीफ़ा

राशिदून ख़लीफ़ा

खलीफ़ा राशिदून: (خلیفۃ راشدون) - रुष्द व हिदायत पाये खलीफ़ा। सुन्नी मुसलमानों के लिए पैगम्बर मुहम्मद की मृत्यु के बाद, सन् ६३२ से लकर सन् ६६१ के मध्य के खलीफ़ा (प्रधानों) को राशिदून या अल खलीफ़ उर्र-राशिदून (सही दिशा में चलते हुए) कहते हैं। कार्यकाल के अनुसार ये चार खलीफ़ा हैं। (इब्न माजा, अबी दाऊद).

उमर और राशिदून ख़लीफ़ा · मिस्त्र पर मुस्लिम विजय और राशिदून ख़लीफ़ा · और देखें »

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उमर और मिस्त्र पर मुस्लिम विजय के बीच तुलना

उमर 9 संबंध है और मिस्त्र पर मुस्लिम विजय 8 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 5.88% है = 1 / (9 + 8)।

संदर्भ

यह लेख उमर और मिस्त्र पर मुस्लिम विजय के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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