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उपवास और पापस्वीकरण

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

उपवास और पापस्वीकरण के बीच अंतर

उपवास vs. पापस्वीकरण

दीर्घ उपवास के पश्चात महात्मा बुद्ध कुछ या सभी भोजन, पेय या दोनो के लिये बिना कुछ अवधि तक रहना उपवास (Fasting) कहलाता है। उपवास पूर्ण या आंशिक हो सकता है। यह बहुत छोटी अवधि से लेकर महीनो तक का हो सकता है। उपवास के अनेक रूप हैं। धार्मिक एवं आध्यात्मिक साधना के रूप में प्रागैतिहासिक काल से ही उपवास का प्रचलन है। . यीशु का बपतिस्मा और कनफेशन बॉक्स। ईसाई धर्म का मूलभूत विश्वास है कि ईसा मानव जाति को पाप से छुटकारा दिलाकर मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करने के उद्देश्य से पृथ्वी पर आए थे। अपने स्वर्गारोहण के पूर्व उन्होंने अपने शिष्यों को अधिकार दिया कि बपतिस्मा द्वारा पश्चात्तापी विश्वासियों को उनके पापों से मुक्त कर दें लेकिन बपतिस्मा के बाद मनुष्य पाप कर सकता है, इसीलिये ईसा ने पापस्वीकरण (कनफेशन) का संस्कार भी निश्चित कर दिया, जिसके द्वारा पश्चात्तापी मनुष्य अपने पापों का परिहार कर सकता है। शताब्दियों तक समस्त ईसाइयों का यही विश्वास रहा है। इसका आधार बाइबिल में सुरक्षित ईसा का अपने शिष्यों के प्रति यह कथन है- जिन लोगों के पाप तुम क्षमा करोगे वे अपने पापों से मुक्त हो जायँगे, जिन लोगों के पाप तुम नहीं क्षमा करोगे वे अपने पापों से बँधे रहेंगे (संत योहन का सुसमाचार, २०, २१)। ईसाई धर्म के प्रारंभ ही से पूजा के समय सामूहिक पापस्वीकरण के अतिरिक्त व्यक्तिगत पापस्वीकरण का उल्लेख मिलता है। पापी प्राय: बिशप के सामने अपना पाप स्वीकार करता था और उसे प्रायश्चित्त करने का अवसर दिया जाता था, उसे पूरा करने के बाद ही पापी के फिर यूखारिस्ट संस्कार ग्रहण करने की अनुमति दी जाती थी। किसी पुरोहित के सामने अकेले में निजी पापस्वीकरण की प्रथा चौथी शती के बाद ही धीरे धीरे प्रचलित होने लगी थी। सन् १२१५ में वर्ष भर में कम से कम एक बार पापस्वीकरण करने का नियम लागू कर दिया गया था। प्रोटेस्टैंट धर्म पापस्वीकरण को ईसा द्वारा नियम संस्कार नहीं मानता तथा नियमित रूप से निजी पापस्वीकरण करना अनावश्यक समझता है। रोमन काथलिक तथा प्राच्य चर्च समान रूप में पापस्वीकरण को ईसा द्वारा नियत किया हुआ संस्कार समझा हैं। पापस्वीकरण के लिये पापी की ओर से तीन बातों की अपेक्षा है- (१) पश्चात्ताप, (२) किसी पुरोहित के सामने अपने पापों स्वीकार करना, (३) पुरोहित द्वारा ठहराया हुआ प्रायश्चित्त का कार्य पूरा करना। पुरोहित पापों को सच्चा पश्चात्तापी जानकर उसे ईसा के नाम पर पाप से मुक्त कर देता है और बाद में किसी भी हालत में पापस्वीकरण द्वारा प्राप्त जानकारी को गुप्त रखने के लिये बाध्य होता है। श्रेणी:ईसाई धर्म.

उपवास और पापस्वीकरण के बीच समानता

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संदर्भ

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