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उपरिस्तर प्रभाव और रेडियो आवृत्ति

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

उपरिस्तर प्रभाव और रेडियो आवृत्ति के बीच अंतर

उपरिस्तर प्रभाव vs. रेडियो आवृत्ति

जब किसी चालक में प्रत्यावर्ती धारा बहती है तो चालक के परिच्छेद (cross-setion) में धारा घनत्व समान नहीं होता बल्कि चालक के केन्द्रीय भाग में कम और बाहरू भाग में अधिक होता है। इस प्रभाव को उपरिस्तर प्रभाव (Skin effect) कहते हैं। दूसरे शब्दों में, विद्युत धारा मुख्यतः 'चालक की त्वचा' ("skin") में बहती है। इस प्रभाव के कारण चालकों का प्रभावी प्रतिरोध अधिक आवृत्तियों पर अधिक होता है। उपरिस्तर प्रभाव,भंवर धारा के कारण होती है। 60 हर्ट्ज पर ताँबा में उपरिस्तर गहराई (skin depth) लगभग 8.5 मिमी होती है। अधिक आवृत्ति पर प्रतिरोध के बढ़ने को रोकने के लिये विशेष रूप से बुने हुए लिट्ज तार (litz wire) प्रयोग किये जाते हैं। चूंकि अधिक क्षेत्रफल वाले चालकों के आन्तरिक भाग में बहुत कम धारा प्रवाहित होती है, ट्यूब के आकार के चालक (जैसे पाइप आदि) का प्रयोग करने से चालक का वजन और मूल्य कम रखा जा सकता है। . 3 किलोहर्ट्ज से 300 गीगा हर्ट्ज़ की आवृत्ति वाली तरंगों को रेडियो आवृत्ति (RF) कहते हैं। रेडियो तरंगें, रेडियो आवृत्ति की तरंगे ही होतीं हैं। रेडियो आवृत्ति के कम्पन - यांत्रिक कम्पन और वैद्युत कम्पन दोनों हो सकते हैं किन्तु प्रायः रेडियो आवृत्ति से आशय विद्युत कम्पन से ही होता है न कि यांत्रिक कम्पन से। .

उपरिस्तर प्रभाव और रेडियो आवृत्ति के बीच समानता

उपरिस्तर प्रभाव और रेडियो आवृत्ति आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): प्रत्यावर्ती धारा

प्रत्यावर्ती धारा

प्रत्यावर्ती धारा वह धारा है जो किसी विद्युत परिपथ में अपनी दिशा बदलती रहती हैं। इसके विपरीत दिष्ट धारा समय के साथ अपनी दिशा नहीं बदलती। भारत में घरों में प्रयुक्त प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति ५० हर्ट्स होती हैं अर्थात यह एक सेकेण्ड में पचास बार अपनी दिशा बदलती है। वेस्टिंगहाउस का आरम्भिक दिनों का प्रत्यावर्ती धारा निकाय प्रत्यावर्ती धारा या पत्यावर्ती विभव का परिमाण (मैग्निट्यूड) समय के साथ बदलता रहता है और वह शून्य पर पहुंचकर विपरीत चिन्ह का (धनात्मक से ऋणात्मक या इसके उल्टा) भी हो जाता है। विभव या धारा के परिमाण में समय के साथ यह परिवर्तन कई तरह से सम्भव है। उदाहरण के लिये यह साइन-आकार (साइनस्वायडल) हो सकता है, त्रिभुजाकार हो सकता है, वर्गाकार हो सकता है, आदि। इनमें साइन-आकार का विभव या धारा का सर्वाधिक उपयोग किया जाता है। आजकल दुनिया के लगभग सभी देशों में बिजली का उत्पादन एवं वितरण प्रायः प्रत्यावर्ती धारा के रूप में ही किया जाता है, न कि दिष्ट-धारा (डीसी) के रूप में। इसका प्रमुख कारण है कि एसी का उत्पादन आसान है; इसके परिमाण को बिना कठिनाई के ट्रान्सफार्मर की सहायता से कम या अधिक किया जा सकता है; तरह-तरह की त्रि-फेजी मोटरों की सहायता से इसको यांत्रिक उर्जा में बदला जा सकता है। इसके अलावा श्रव्य आवृत्ति, रेडियो आवृत्ति, दृश्य आवृत्ति आदि भी प्रत्यावर्ती धारा के ही रूप हैं। .

उपरिस्तर प्रभाव और प्रत्यावर्ती धारा · प्रत्यावर्ती धारा और रेडियो आवृत्ति · और देखें »

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उपरिस्तर प्रभाव और रेडियो आवृत्ति के बीच तुलना

उपरिस्तर प्रभाव 4 संबंध है और रेडियो आवृत्ति 11 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 6.67% है = 1 / (4 + 11)।

संदर्भ

यह लेख उपरिस्तर प्रभाव और रेडियो आवृत्ति के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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