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उपनाम और मोदनवाल

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

उपनाम और मोदनवाल के बीच अंतर

उपनाम vs. मोदनवाल

नाम के साथ प्रयोग हुआ दूसरा शब्द जो नाम कि जाति या किसी विशेषता को व्यक्त करता है उपनाम (Surname / सरनेम) कहलाता है। जैसे महात्मा गाँधी, सचिन तेंदुलकर, भगत सिंह आदि में दूसरा शब्द गाँधी, तेंदुलकर, सिंह उपनाम हैं। . मोदनवाल एक भारतीय उपनाम हैं।ये कान्यकुब्ज वैश्य हलवाई गुप्ता मोदनवाल समाज वैश्य केटेगरी में आते है  भारत में मुख्य रूप से शहरो  में इनकी संख्या ज्यादा पायी जाती है  मोदनवाल हलवाई समाज के लोग अपने नाम के आगे लिखते है  ये भारत के बनियो में  उच्च जाति के होते है ये लोग भगवान मोदनसेन के वंसज है ब्रह्मा जी  के  दो  पुत्रो  में  एक  पुत्र  का  नाम  मोदनसेन  था,  दूसरे  का  नाम पुत्र का नाम अग्रसेन था अग्रसेन के वंसज अग्रवाल समाज के लोग है तो मोदनसेन के वंसज मोदनवाल समाज के लोग.....समाज में वैसे तो इनकी संख्या बहुत है पर सब लोग अपने नाम के आगे अलग अलग सरनेम लगते है जैसे आर्य, गुप्ता, बैस्य,शाह,गडकरी,जैन,कुमार, राठौर, सिंह, हलवाई इत्यादि /// इस समाज के लोगो का पेसा मुख्य रूप से बिज़नेस  होता है इस समाज के लोग अधिकतर सम्पन होते है  ये लगभग भारत सभी भागो में पाए जाते है....ये जनरल केटेगरी में आते है लेकिन कुछ लोग रिजर्वेशन के फायदे के लिए ओ.बी.सी भी लिखते है......     हलुवाई जाति का उत्पति (देव–मानव वृक्ष) हलवाई समाज का इतिहास मनु द्वारा स्थापित वर्ण व्यवस्था से बहुत पुराना आदिकालीन है। वर्ण व्यवस्था के अनुसार चार वर्णों (ब्राह्मण, क्षत्रीय, वैश्य और शूद्र) मे से हलवाई वैश्य वर्ण अन्तर्गत पड़ता है। वैश्य तथा हलवाई समाज का इतिहास गौरवशाली है। सभी पुरानी गाथाओं में राजाओं के बाद वैश्यों का नाम सम्मानपूर्वक लिया गया है। इनका उत्पत्ति प्रजापति ब्रह्मा के द्वारा है। प्रजापति ब्रह्मा से मुनि मरीचि उत्पन्न हुए। मरीचि से कश्यप एवं कश्यप से विवस्वत मनु उत्पन्न हुए। विवस्वत मनु से निदिस्थ तथा निदिस्थ से नाभाग (वैश्यतांगताः) उत्पन्न हुए। नाभाग से भलनन्दन तथा भलनन्दन से वत्सप्रीति उत्पन्न हुए। वत्सप्रीति से प्रांशु उत्पन्न हुए। प्रांशु से मोदन उत्पन्न हुए। मोदन से मोदनसेन कहलाए। मोदनसेन के वंशज मोदनसेनी या मोदनवाल कहलाए। भारतीय वाङमय के अनुसार मोदनसेन जी महाराज, यज्ञसेन जी महाराज, गणीनाथ जी महाराज तथा महान संत पलटु दास एवं महाकवि जय शंकर प्रसाद जैसे वैश्य–हलुवाई जाति की महानतम विभुति इस समाज के नहीं बल्कि विश्व के गौरव हैं।.

उपनाम और मोदनवाल के बीच समानता

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उपनाम और मोदनवाल के बीच तुलना

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संदर्भ

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