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उत्तराखण्ड की संस्कृति

सूची उत्तराखण्ड की संस्कृति

उत्तराखण्ड की संस्कृति इस प्रदेश के मौसम और जलवायु के अनुरूप ही है। उत्तराखण्ड एक पहाड़ी प्रदेश है और इसलिए यहाँ ठण्ड बहुत होती है। इसी ठण्डी जलवायु के आसपास ही उत्तराखण्ड की संस्कृति के सभी पहलू जैसे रहन-सहन, वेशभूषा, लोक कलाएँ इत्यादि घूमते हैं। .

19 संबंधों: तेरी सौं, देवता, देवनागरी, पराशर गौर, पाण्डव, बीबीसी, भाभर, भारत की संस्कृति, हिन्दी, गढ़वाल मण्डल, गढ़वाली भाषा, कुमाऊँ मण्डल, कुमाऊँनी भाषा, उत्तराखण्ड, उत्तराखण्ड में पर्यटन और तीर्थाटन, उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन, उत्तराखण्ड का साहित्य, उत्तराखण्ड का स्थापत्य, छलिया नृत्य

तेरी सौं

तेरी सौं 2003 में बना एक उत्तराखण्डी चलचित्र है। यह चलचित्र उत्तराखण्ड आन्दोलन पर आधारित है। तेरी सौं का हिन्दी अर्थ है, “तेरी सौगन्ध”। इस चलचित्र का लेखन, निर्माण और निर्देशन अनुज जोशी द्वारा किया गया था, जो मुम्बई-आधारित टीवी कार्यक्रम निर्देशक हैं। मदन दुकलन, जो चिट्ठी-पत्री नमक चलचित्र के सम्पादक हैं, ने इस चलचित्र के गाने लिखे और आलोक मालसी संगीतकार हैं। इस चलचित्र में उत्तराखण्ड सांस्कृतिक मोर्चा के मौसमी अभिनेताओं और अभिनेत्रियों ने अभिनय किया है जैसे रामेन्द्र कोटनला, दुर्गा कुकरेती, रोशन धस्माना, रजिनी दुकलन, कौलाना घन्स्याल, गिरिश सुन्द्रियाल, विनीत गैरोला, गोकुल पँवार और अन्य। इस बीच, हीरो मानव और हिरोइन मान्सी का अभिनय क्रमशः सक्षम जुयाल और पूजा रावत ने किया है। इस चलचित्र के ७०% संवाद हिन्दी में बदल जाते हैं, लेकिन इस चलचित्र के दो अन्य संस्करण कुमाऊँनी और गढ़वाली भाषाओं में निकाले गए ताकि राज्य के दोनों मण्डलों की मौलिकता को इस चलचित्र से जोड़ा जा सके। चलचित्र के रिलीज़ होने के प्रथम पखवाड़े में ही साउण्डट्रैक की 35,000 प्रतियाँ बिक गईं, जो किसी भी कुमाऊँनी या गढ़वाली चलचित्र के लिए एक कीर्तिमान है। यह चलचित्र पात्रों के काल्पनिक जीवन के साथ-साथ 1994 की घटनाओं से सम्बन्धित तथ्यों का मिश्रण हैं। जबकि चलचित्र के प्रथम अर्धभाग में नायक और नायिका मिलते है, वहीं मुजफ्फरनगर घटना के कुकर्म पात्रों को अधिक निराशाजनक पथ पर ले जाते हैं। आखिरकार, नायक के परिवरजनों, शिक्षकों और सम्बन्धियों का प्यार उसे हिंसा का रास्ता त्यागने के लिए आश्वस्त करता है और वह उत्तराखण्ड संघर्ष को शान्तिपूर्ण और लोकतान्त्रिक माध्यम से जारी रखता है। .

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देवता

अंकोरवाट के मन्दिर में चित्रित समुद्र मन्थन का दृश्य, जिसमें देवता और दैत्य बासुकी नाग को रस्सी बनाकर मन्दराचल की मथनी से समुद्र मथ रहे हैं। देवता, दिव् धातु, जिसका अर्थ प्रकाशमान होना है, से निकलता है। अर्थ है कोई भी परालौकिक शक्ति का पात्र, जो अमर और पराप्राकृतिक है और इसलिये पूजनीय है। देवता अथवा देव इस तरह के पुरुषों के लिये प्रयुक्त होता है और देवी इस तरह की स्त्रियों के लिये। हिन्दू धर्म में देवताओं को या तो परमेश्वर (ब्रह्म) का लौकिक रूप माना जाता है, या तो उन्हें ईश्वर का सगुण रूप माना जाता है। बृहदारण्य उपनिषद में एक बहुत सुन्दर संवाद है जिसमें यह प्रश्न है कि कितने देव हैं। उत्तर यह है कि वास्तव में केवल एक है जिसके कई रूप हैं। पहला उत्तर है ३३ करोड़; और पूछने पर ३३३९; और पूछने पर ३३; और पूछने पर ३ और अन्त में डेढ और फिर केवल एक। वेद मन्त्रों के विभिन्न देवता है। प्रत्येक मन्त्र का ऋषि, कीलक और देवता होता है। .

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देवनागरी

'''देवनागरी''' में लिखी ऋग्वेद की पाण्डुलिपि देवनागरी एक लिपि है जिसमें अनेक भारतीय भाषाएँ तथा कई विदेशी भाषाएं लिखीं जाती हैं। यह बायें से दायें लिखी जाती है। इसकी पहचान एक क्षैतिज रेखा से है जिसे 'शिरिरेखा' कहते हैं। संस्कृत, पालि, हिन्दी, मराठी, कोंकणी, सिन्धी, कश्मीरी, डोगरी, नेपाली, नेपाल भाषा (तथा अन्य नेपाली उपभाषाएँ), तामाङ भाषा, गढ़वाली, बोडो, अंगिका, मगही, भोजपुरी, मैथिली, संथाली आदि भाषाएँ देवनागरी में लिखी जाती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ स्थितियों में गुजराती, पंजाबी, बिष्णुपुरिया मणिपुरी, रोमानी और उर्दू भाषाएं भी देवनागरी में लिखी जाती हैं। देवनागरी विश्व में सर्वाधिक प्रयुक्त लिपियों में से एक है। मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया की एक ट्राम पर देवनागरी लिपि .

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पराशर गौर

पराशर गौर, गढ़वाली भाषा के चलचित्र-निर्माता, कवि और कलाकार हैं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश की पहाड़ियों (अब उत्तराखण्ड) में पौड़ी गढ़वाल जिले के कल्जीखाल ब्लाक के मिर्चोडा ग्राम में ३ मई, १९४७ को हुआ था। बहुत छोटी आयु में वे दिल्ली आ गए जहाँ वे एक थियेटर से जुड़ गए। उन्होंने अपना प्रथम चलचित्र, जगवाल (अर्थात लम्बी प्रतीक्षा) १९८३ में जारी किया। वर्तमान में वे अपने परिवार के साथ टोरण्टो, कनाडा में रहते हैं। .

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पाण्डव

पाण्डव महाभारत के मुख्य पात्र हैं। पाण्डव पाँच भाई थे - युधिष्ठिर, भीमसेन, अर्जुन, नकुल तथा सहदेव। .

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बीबीसी

बीबीसी या ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोंरेशन (ब्रिटिश प्रसारण निगम) विश्व का सबसे बड़ा प्रसारण संघ है, दर्शकों की संख्या में, जिसके केवल ग्रेट ब्रिटेन में ही २६,००० कार्यकर्ता और बजट जीबी£ ४ अरब यूएस$ ७.८ अरब) से अधिक है। and the motto of the BBC is Nation Shall Speak Peace Unto Nation. The BBC is a quasi-autonomous Public Corporation operating as a public service broadcaster. The Corporation is run by the BBC Trust; however, the BBC is, per its charter, to be "free from both political and commercial influence and answers only to its viewers and listeners". Its domestic programming and broadcasts are primarily funded by levying television licence fees (under the Wireless Telegraphy Act 1949), although money is also raised through commercial activities such as sale of merchandise and programming. The BBC World Service, however, is funded by the Foreign and Commonwealth Office. In order to justify the licence fee the BBC is expected to produce a number of high-rating shows in addition to programmes that commercial broadcasters would not normally broadcast. Quite often domestic audiences affectionately refer to the BBC as the Beeb (coined by Kenny Everett). Auntie was a nickname used during the early years, said to originate in the somewhat old fashioned Auntie knows best attitude back when John Reith was in charge. The two terms have been used together as Auntie Beeb.--> .

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भाभर

भाभर निम्न हिमालय और शिवालिक की पहाड़ियों के दक्षिणी ओर बसा एक क्षेत्र है जहाँ पर जलोढ़ ग्रेड हिन्द-गंगा क्षेत्र के मैदानों में विलीन हो जाती है। .

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भारत की संस्कृति

कृष्णा के रूप में नृत्य करते है भारत उपमहाद्वीप की क्षेत्रीय सांस्कृतिक सीमाओं और क्षेत्रों की स्थिरता और ऐतिहासिक स्थायित्व को प्रदर्शित करता हुआ मानचित्र भारत की संस्कृति बहुआयामी है जिसमें भारत का महान इतिहास, विलक्षण भूगोल और सिन्धु घाटी की सभ्यता के दौरान बनी और आगे चलकर वैदिक युग में विकसित हुई, बौद्ध धर्म एवं स्वर्ण युग की शुरुआत और उसके अस्तगमन के साथ फली-फूली अपनी खुद की प्राचीन विरासत शामिल हैं। इसके साथ ही पड़ोसी देशों के रिवाज़, परम्पराओं और विचारों का भी इसमें समावेश है। पिछली पाँच सहस्राब्दियों से अधिक समय से भारत के रीति-रिवाज़, भाषाएँ, प्रथाएँ और परंपराएँ इसके एक-दूसरे से परस्पर संबंधों में महान विविधताओं का एक अद्वितीय उदाहरण देती हैं। भारत कई धार्मिक प्रणालियों, जैसे कि हिन्दू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म जैसे धर्मों का जनक है। इस मिश्रण से भारत में उत्पन्न हुए विभिन्न धर्म और परम्पराओं ने विश्व के अलग-अलग हिस्सों को भी बहुत प्रभावित किया है। .

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हिन्दी

हिन्दी या भारतीय विश्व की एक प्रमुख भाषा है एवं भारत की राजभाषा है। केंद्रीय स्तर पर दूसरी आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। यह हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप है जिसमें संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्द का प्रयोग अधिक हैं और अरबी-फ़ारसी शब्द कम हैं। हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। हालांकि, हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत का संविधान में कोई भी भाषा को ऐसा दर्जा नहीं दिया गया था। चीनी के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार यह विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है। हिन्दी और इसकी बोलियाँ सम्पूर्ण भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम की और नेपाल की जनता भी हिन्दी बोलती है।http://www.ethnologue.com/language/hin 2001 की भारतीय जनगणना में भारत में ४२ करोड़ २० लाख लोगों ने हिन्दी को अपनी मूल भाषा बताया। भारत के बाहर, हिन्दी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में 648,983; मॉरीशस में ६,८५,१७०; दक्षिण अफ्रीका में ८,९०,२९२; यमन में २,३२,७६०; युगांडा में १,४७,०००; सिंगापुर में ५,०००; नेपाल में ८ लाख; जर्मनी में ३०,००० हैं। न्यूजीलैंड में हिन्दी चौथी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसके अलावा भारत, पाकिस्तान और अन्य देशों में १४ करोड़ १० लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली उर्दू, मौखिक रूप से हिन्दी के काफी सामान है। लोगों का एक विशाल बहुमत हिन्दी और उर्दू दोनों को ही समझता है। भारत में हिन्दी, विभिन्न भारतीय राज्यों की १४ आधिकारिक भाषाओं और क्षेत्र की बोलियों का उपयोग करने वाले लगभग १ अरब लोगों में से अधिकांश की दूसरी भाषा है। हिंदी हिंदी बेल्ट का लिंगुआ फ़्रैंका है, और कुछ हद तक पूरे भारत (आमतौर पर एक सरल या पिज्जाइज्ड किस्म जैसे बाजार हिंदुस्तान या हाफ्लोंग हिंदी में)। भाषा विकास क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी हिन्दी प्रेमियों के लिए बड़ी सन्तोषजनक है कि आने वाले समय में विश्वस्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की जो चन्द भाषाएँ होंगी उनमें हिन्दी भी प्रमुख होगी। 'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिन्दवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (स्वामी दयानन्द सरस्वती), 'हिन्दुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि हिन्दी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न सन्दर्भों में प्रयुक्त हुए हैं। .

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गढ़वाल मण्डल

यह लेख गढ़वाल मण्डल पर है। अन्य गढ़वाल लेखों के लिए देखें गढ़वाल। उत्तराखण्ड के मण्डल गढ़वाल भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख क्षेत्र है। यहाँ की मुख्य भाषा गढ़वाली तथा हिन्दी है। गढ़वाल का साहित्य तथा संस्कृति बहुत समृद्ध हैं। लोक संस्कृत भी अत्यंत प्राचीन और विकसित है। गढ़वाली लोकनृत्यों के २५ से अधिक प्रकार पाए जाते हैं इनमें प्रमुख हैं- १. मांगल या मांगलिक गीत, २. जागर गीत, ३. पंवाडा, ४. तंत्र-मंत्रात्मक गीत, ५. थड्या गीत, ६. चौंफुला गीत, ७. झुमैलौ, ८. खुदैड़, ९. वासंती गीत, १०.

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गढ़वाली भाषा

गढ़वाली भारत के उत्तराखण्ड राज्य में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। .

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कुमाऊँ मण्डल

यह लेख कुमाऊँ मण्डल पर है। अन्य कुमाऊँ लेखों के लिए देखें कुमांऊॅं उत्तराखण्ड के मण्डल कुमाऊँ मण्डल भारत के उत्तराखण्ड राज्य के दो प्रमुख मण्डलों में से एक हैं। अन्य मण्डल है गढ़वाल। कुमाऊँ मण्डल में निम्न जिले आते हैं:-.

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कुमाऊँनी भाषा

कुमांऊँनी भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ क्षेत्र में बोली जाने वाली एक बोली है। इस बोली को हिन्दी की सहायक पहाड़ी भाषाओं की श्रेणी में रखा जाता है। कुमांऊँनी भारत की ३२५ मान्यता प्राप्त भाषाओं में से एक है और २६,६०,००० (१९९८) से अधिक लोगों द्वारा बोली जाती है। उत्तराखण्ड के निम्नलिखित जिलों - अल्मोड़ा, नैनीताल, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चम्पावत, ऊधमसिंह नगर के अतिरिक्त असम, बिहार, दिल्ली, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब, तथा हिमाचल प्रदेश और नेपाल के कुछ क्षेत्रों में भी बोली जाती है। .

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उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तरांचल), उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है जिसका निर्माण ९ नवम्बर २००० को कई वर्षों के आन्दोलन के पश्चात भारत गणराज्य के सत्ताइसवें राज्य के रूप में किया गया था। सन २००० से २००६ तक यह उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। जनवरी २००७ में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं। सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था। पारम्परिक हिन्दू ग्रन्थों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। राज्य में हिन्दू धर्म की पवित्रतम और भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। देहरादून, उत्तराखण्ड की अन्तरिम राजधानी होने के साथ इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है। गैरसैण नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है। राज्य सरकार ने हाल ही में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कुछ पहल की हैं। साथ ही बढ़ते पर्यटन व्यापार तथा उच्च तकनीकी वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक कर योजनायें प्रस्तुत की हैं। राज्य में कुछ विवादास्पद किन्तु वृहत बाँध परियोजनाएँ भी हैं जिनकी पूरे देश में कई बार आलोचनाएँ भी की जाती रही हैं, जिनमें विशेष है भागीरथी-भीलांगना नदियों पर बनने वाली टिहरी बाँध परियोजना। इस परियोजना की कल्पना १९५३ मे की गई थी और यह अन्ततः २००७ में बनकर तैयार हुआ। उत्तराखण्ड, चिपको आन्दोलन के जन्मस्थान के नाम से भी जाना जाता है। .

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उत्तराखण्ड में पर्यटन और तीर्थाटन

उत्तराखण्ड में पर्यटन और तीर्थाटन इस राज्य में आय का प्रमुख स्रोत और यहाँ की अर्थव्यवस्था के सबसे महत्वपूर्ण घटकों में से एक है। उत्तराखण्ड में भारत के कुछ सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं जैसे नैनीताल, मसूरी, देहरादून, कौसानी इत्यादि। इसके अतिरिक्त यहाँ कुछ प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान भी हैं जैसे फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान, जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान, राजाजी राष्ट्रीय अभयारण्य, नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान इत्यादि। यह सब स्थल भी देश-विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। उत्तराखण्ड को देव भूमि के नाम से भी जाना जाता है। इसका कारण है कि यहाँ वैदिक संस्कृति के कुछ अति महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। उत्तराखण्ड के लगभग हर कोने में किसी ना किसी देवता या देवी का मन्दिर है। इस राज्य में भारत के सबसे प्रमुख धार्मिक नगरों में से एक हरिद्वार में प्रति वर्ष लाखों पर्यटक आते है। हरिद्वार के निकट स्थित ऋषिकेश भारत में योग क एक प्रमुख स्थल है और जो हरिद्वार के साथ मिलकर एक पवित्र हिन्दू तीर्थ स्थल है। इसके अतिरिक्त छोटा चारधाम भी इसी राज्य में स्थित हैं: केदारनाथ, गंगोत्री, बद्रीनाथ, यमुनोत्री तथा दूनागिरी। इन धामों की यात्रा के लिए भी प्रति वर्ष लाखों लोग देशभर से आते हैं। श्रेणी:उत्तराखण्ड में पर्यटन श्रेणी:उत्तराखण्ड के पर्यटन स्थल श्रेणी:उत्तराखण्ड में हिन्दू धर्म.

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उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन

उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन, उत्तराखण्ड राज्य के बनने से पहले की वे घटनाएँ हैं जो अन्ततः उत्तराखण्ड राज्य के रूप में परिणीत हुईं। राज्य का गठन ९ नवम्बर, २००० को भारत के सत्ताइसवें राज्य के रूप में हुआ। यहाँ पर यह उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड राज्य का गठन बहुत लम्बे संघर्ष और बलिदानों के फलस्वरूप हुआ। उत्तराखण्ड राज्य की माँग सर्वप्रथम १८९७ में उठी और धीरे-धीरे यह माँग अनेकों समय उठती रही। १९९४ में इस माँग ने जनान्दोलन का रूप ले लिया और अन्ततः नियत तिथि पर यह देश का सत्ताइसवाँ राज्य बना। .

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उत्तराखण्ड का साहित्य

उत्तराखण्ड का लोक-साहित्य अत्यन्त समृद्ध है। गीतों की दृष्टि से कुमाऊँ का लोक-साहित्य विशेष रूप से जन-जन को आकर्षित करता है। उत्तराखण्ड लोक साहित्य छः प्रकार के माने जाते हैं: १. लोकगीत २. कथा गीत ३. लोक-कथाएँ ४. कथाएँ ५. लोकोक्तियाँ ६. पहेलियाँ और अन्य रचनाएँ डॉ॰ कृष्णानन्द जोशी ने अपने उत्तराखण्ड लोक साहित्य में प्रमुख वर्गों में उत्तराखण्ड लोक साहित्य को बाँटकर अपने कथन की पुष्टि इस प्रकार की है। पद्यात्मक (गेय) गीत -पद्यात्मक (चम्पू काव्य) गीत -गद्य-काव्य -शौका क्षेत्र के लोकगीत एवँ नृत्य श्रेणी:उत्तराखण्ड का साहित्य.

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उत्तराखण्ड का स्थापत्य

उत्तराखण्ड का स्थापत्य भारत के मैदानी भागों की तुलना में भिन्न है और यह उत्तराखण्ड राज्य के पहाडी़ परिवेश के अनुरूप है। इस राज्य के लोगों का जीवन बहुत समय तक महानगरीय भीड़-भाड़ से दूर और प्रकृति के निकट रहा है, जो यहाँ के भवन निर्माण के ढंग और यहाँ की संस्कृति में भी दिखता है। आधुनिक समय में यहाँ भी भवन निर्माण मैदानी क्षेत्रों के आधार पर होने लगा है लेकिन यहाँ के पुराने बने घरों में यहाँ के स्थापत्य की छाप स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में बने घरों के दरवाजों और खिड़कियों पर की गई नक्काशी और लकडी़ की कामों में यहाँ के विशिष्ट स्थापत्य की झलक दिखती है। .

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छलिया नृत्य

छलिया नृत्य छलिया नृत्य (जिसे छोलिया भी कहा जाता है) उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं क्षेत्र का एक प्रचलित लोकनृत्य है। यह एक तलवार नृत्य है, जो प्रमुखतः शादी-बारातों या अन्य शुभ अवसरों पर किया जाता है। यह विशेष रूप से कुमाऊँ मण्डल के पिथौरागढ़, चम्पावत, बागेश्वर और अल्मोड़ा जिलों में लोकप्रिय है। एक छलिया टीम में सामान्यतः २२ कलाकार होते हैं, जिनमें ८ नर्तक तथा १४ संगीतकार होते हैं। इस नृत्य में नर्तक युद्ध जैसे संगीत की धुन पर क्रमबद्ध तरीके से तलवार व ढाल चलाते हैं, जो कि अपने साथी नर्तकियों के साथ नकली लड़ाई जैसा प्रतीत होता है। वे अपने साथ त्रिकोणीय लाल झंडा (निसाण) भी रखते हैं। नृत्य के समय नर्तकों के मुख पर प्रमुखतः उग्र भाव रहते हैं, जो युद्ध में जा रहे सैनिकों जैसे लगते हैं। .

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