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उत्तर उपनिवेशवाद और उपनिवेशवाद

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

उत्तर उपनिवेशवाद और उपनिवेशवाद के बीच अंतर

उत्तर उपनिवेशवाद vs. उपनिवेशवाद

उत्तर उपनिवेशवाद (postcolonialism) अध्ययन की एक शाखा है जिसमें उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद से उत्पन्न होने वाले सांस्कृतिक और सामाजिक प्रभावों को समझा जाता है। इसमें किसी विदेशी शक्ति द्वारा किसी क्षेत्र पर क़ब्ज़ा होने से स्थानीय लोगों के जीवन पर होने वाले प्रभावों का अध्ययन करा जाता है। उत्तर आधुनिकतावाद के दृष्टिकोण से इन उपनिवेशी या भूतपूर्व उपनिवेशी क्षेत्रों में सूचना व ज्ञान के प्रसार का अध्ययन करा जाता है और यह भी समझा जाता है कि किस प्रकार बाहरी शक्ति स्थानीय लोगों की मानसिकता में हीन भावना उत्पन्न कर के उनपर लम्बे अरसे तक नियंत्रण रखते हैं। विदेशी साम्राज्यवादी शक्ति द्वारा शासक समाज और अधीन समाज की राजनैतिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक छवियों को प्रस्तुत करने की शैलियों को भी देखा जाता है, क्योंकि यह भी विदेशी समाज द्वारा स्थानीय समाज को अधीन कर लेने का एक महत्वपूर्ण साधन होता है। . उपनिवेशवाद के विरुद्ध संघर्ष के महान योद्धा '''महात्मा गाँधी''' किसी एक भौगोलिक क्षेत्र के लोगों द्वारा किसी दूसरे भौगोलिक क्षेत्र में उपनिवेश (कॉलोनी) स्थापित करना और यह मान्यता रखना कि यह एक अच्छा काम है, उपनिवेशवाद (Colonialism) कहलाता है। इतिहास में प्राय: पन्द्रहवीं शताब्दी से लेकर बीसवीं शताब्दी तक उपनिवेशवाद का काल रहा। इस काल में यूरोप के लोगों ने विश्व के विभिन्न भागों में उपनिवेश बनाये। इस काल में उपनिवेशवाद में विश्वास के मुख्य कारण थे -.

उत्तर उपनिवेशवाद और उपनिवेशवाद के बीच समानता

उत्तर उपनिवेशवाद और उपनिवेशवाद आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): साम्राज्यवाद, उपनिवेशवाद

साम्राज्यवाद

सन १४९२ से अब तक के उपनिवेशी साम्राज्य विश्व के वे क्षेत्र जो किसी न किसी समय ब्रितानी साम्राज्य के भाग थे। साम्राज्यवाद (Imperialism) वह दृष्टिकोण है जिसके अनुसार कोई महत्त्वाकांक्षी राष्ट्र अपनी शक्ति और गौरव को बढ़ाने के लिए अन्य देशों के प्राकृतिक और मानवीय संसाधनों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लेता है। यह हस्तक्षेप राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक या अन्य किसी भी प्रकार का हो सकता है। इसका सबसे प्रत्यक्ष रूप किसी क्षेत्र को अपने राजनीतिक अधिकार में ले लेना एवं उस क्षेत्र के निवासियों को विविध अधिकारों से वंचित करना है। देश के नियंत्रित क्षेत्रों को साम्राज्य कहा जाता है। साम्राज्यवादी नीति के अन्तर्गत एक राष्ट्र-राज्य (Nation State) अपनी सीमाओं के बाहर जाकर दूसरे देशों और राज्यों में हस्तक्षेप करता है। साम्राज्यवाद का विज्ञानसम्मत सिद्धांत लेनिन ने विकसित किया था। लेनिन ने 1916 में अपनी पुस्तक "साम्राज्यवाद पूंजीवाद का अंतिम चरण" में लिखा कि साम्राज्यवाद एक निश्चित आर्थिक अवस्था है जो पूंजीवाद के चरम विकास के समय उत्पन्न होती है। जिन राष्ट्रों में पूंजीवाद का चरमविकास नहीं हुआ वहाँ साम्राज्यवाद को ही लेनिन ने समाजवादी क्रांति की पूर्ववेला माना है। चार्ल्स ए-बेयर्ड के अनुसार "सभ्य राष्ट्रों की कमजोर एवं पिछड़े लोगों पर शासन करने की इच्छा व नीति ही साम्राज्यवाद कहलाती है।" .

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उपनिवेशवाद

उपनिवेशवाद के विरुद्ध संघर्ष के महान योद्धा '''महात्मा गाँधी''' किसी एक भौगोलिक क्षेत्र के लोगों द्वारा किसी दूसरे भौगोलिक क्षेत्र में उपनिवेश (कॉलोनी) स्थापित करना और यह मान्यता रखना कि यह एक अच्छा काम है, उपनिवेशवाद (Colonialism) कहलाता है। इतिहास में प्राय: पन्द्रहवीं शताब्दी से लेकर बीसवीं शताब्दी तक उपनिवेशवाद का काल रहा। इस काल में यूरोप के लोगों ने विश्व के विभिन्न भागों में उपनिवेश बनाये। इस काल में उपनिवेशवाद में विश्वास के मुख्य कारण थे -.

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उत्तर उपनिवेशवाद और उपनिवेशवाद के बीच तुलना

उत्तर उपनिवेशवाद 3 संबंध है और उपनिवेशवाद 38 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 4.88% है = 2 / (3 + 38)।

संदर्भ

यह लेख उत्तर उपनिवेशवाद और उपनिवेशवाद के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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