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ईश्वर और योग दर्शन

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

ईश्वर और योग दर्शन के बीच अंतर

ईश्वर vs. योग दर्शन

यह लेख पारलौकिक शक्ति ईश्वर के विषय में है। ईश्वर फ़िल्म के लिए ईश्वर (1989 फ़िल्म) देखें। यह लेख देवताओं के बारे में नहीं है। ---- परमेश्वर वह सर्वोच्च परालौकिक शक्ति है जिसे इस संसार का स्रष्टा और शासक माना जाता है। हिन्दी में परमेश्वर को भगवान, परमात्मा या परमेश्वर भी कहते हैं। अधिकतर धर्मों में परमेश्वर की परिकल्पना ब्रह्माण्ड की संरचना से जुडी हुई है। संस्कृत की ईश् धातु का अर्थ है- नियंत्रित करना और इस पर वरच् प्रत्यय लगाकर यह शब्द बना है। इस प्रकार मूल रूप में यह शब्द नियंता के रूप में प्रयुक्त हुआ है। इसी धातु से समानार्थी शब्द ईश व ईशिता बने हैं। . योगदर्शन छः आस्तिक दर्शनों (षड्दर्शन) में से प्रसिद्ध है। इस दर्शन का प्रमुख लक्ष्य मनुष्य को वह परम लक्ष्य (मोक्ष) की प्राप्ति कर सके। अन्य दर्शनों की भांति योगदर्शन तत्त्वमीमांसा के प्रश्नों (जगत क्या है, जीव क्या है?, आदि) में न उलझकर मुख्यतः मोक्ष वाले दर्शन की प्रस्तुति करता है। किन्तु मोक्ष पर चर्चा करने वाले प्रत्येक दर्शन की कोई न कोई तात्विक पृष्टभूमि होनी आवश्यक है। अतः इस हेतु योगदर्शन, सांख्यदर्शन का सहारा लेता है और उसके द्वारा प्रतिपादित तत्त्वमीमांसा को स्वीकार कर लेता है। इसलिये प्रारम्भ से ही योगदर्शन, सांख्यदर्शन से जुड़ा हुआ है। प्रकृति, पुरुष के स्वरुप के साथ ईश्वर के अस्तित्व को मिलाकर मनुष्य जीवन की आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक उन्नति के लिये दर्शन का एक बड़ा व्यावहारिक और मनोवैज्ञानिक रूप योगदर्शन में प्रस्तुत किया गया है। इसका प्रारम्भ पतंजलि मुनि के योगसूत्रों से होता है। योगसूत्रों की सर्वोत्तम व्याख्या व्यास मुनि द्वारा लिखित व्यासभाष्य में प्राप्त होती है। इसमें बताया गया है कि किस प्रकार मनुष्य अपने मन (चित) की वृत्तियों पर नियन्त्रण रखकर जीवन में सफल हो सकता है और अपने अन्तिम लक्ष्य निर्वाण को प्राप्त कर सकता है। योगदर्शन, सांख्य की तरह द्वैतवादी है। सांख्य के तत्त्वमीमांसा को पूर्ण रूप से स्वीकारते हुए उसमें केवल 'ईश्वर' को जोड़ देता है। इसलिये योगदर्शन को 'सेश्वर सांख्य' (स + ईश्वर सांख्य) कहते हैं और सांख्य को ' कहा जाता है। .

ईश्वर और योग दर्शन के बीच समानता

ईश्वर और योग दर्शन आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): पतञ्जलि

पतञ्जलि

पतंजलि योगसूत्र के रचनाकार है जो हिन्दुओं के छः दर्शनों (न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, मीमांसा, वेदान्त) में से एक है। भारतीय साहित्य में पतंजलि के लिखे हुए ३ मुख्य ग्रन्थ मिलते हैः योगसूत्र, अष्टाध्यायी पर भाष्य और आयुर्वेद पर ग्रन्थ। कुछ विद्वानों का मत है कि ये तीनों ग्रन्थ एक ही व्यक्ति ने लिखे; अन्य की धारणा है कि ये विभिन्न व्यक्तियों की कृतियाँ हैं। पतंजलि ने पाणिनि के अष्टाध्यायी पर अपनी टीका लिखी जिसे महाभाष्य का नाम दिया (महा+भाष्य (समीक्षा, टिप्पणी, विवेचना, आलोचना))। इनका काल कोई २०० ई पू माना जाता है। .

ईश्वर और पतञ्जलि · पतञ्जलि और योग दर्शन · और देखें »

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ईश्वर और योग दर्शन के बीच तुलना

ईश्वर 34 संबंध है और योग दर्शन 19 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 1.89% है = 1 / (34 + 19)।

संदर्भ

यह लेख ईश्वर और योग दर्शन के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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