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इस्लाम गढ़

सूची इस्लाम गढ़

इस्लाम गढ़ (اسلام گڑھ) जलालपुर जट्टां का एक नगर है। यह शहर के दक्षिण में स्थित है। ये एक प्राचीन शहर है जिसे 300 ई॰पू॰ में राजा चन्द्रगुप्त मौर्य ने बनवाया था। स्थानीय इतिहासकारों की मानता है कि इस्लाम गढ़ में चन्द्रगुप्त मौर्य ने एक क़िले का निर्माण किया था। क़िले की जगह का असल नाम तो मालूम नहीं मगर समय के साथ ये क़िला इस्लाम गढ़ क़िला के नाम से प्रसिद्ध हो गया। ये क़िला औरंगज़ेब, अहमद शाह अब्दाली, महाराजा रणजीत सिंह और इन की सेनाओं का टकसाल रहा है। केवल क़िले के कुछ ख़राब अवशेष ही आज मौजूद है। 1832 में इस्लाम गढ़ क़िला लाहौर के महाराजा रणजीत सिंह का टकसाल था। .

12 संबंधों: चन्द्रगुप्त मौर्य, देश, पाकिस्तान के दूरभाष कोडों की सूची, पाकिस्तान की प्रशासनिक इकाइयाँ, पाकिस्तानी मानक समय, पंजाब (पाकिस्तान), महाराजा रणजीत सिंह, जलालपुर जट्टां, ज़िला, गुजरात ज़िला, औरंगज़ेब, अहमद शाह अब्दाली

चन्द्रगुप्त मौर्य

चन्द्रगुप्त मौर्य (जन्म ३४५ ई॰पु॰, राज ३२२-२९८ ई॰पु॰) में भारत के सम्राट थे। इनको कभी कभी चन्द्रगुप्त नाम से भी संबोधित किया जाता है। इन्होंने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी। चन्द्रगुप्त पूरे भारत को एक साम्राज्य के अधीन लाने में सफ़ल रहे। भारत राष्ट्र निर्माण मौर्य गणराज्य (चन्द्रगुप्त मौर्य) सम्राट् चंद्रगुप्त मौर्य के राज्यारोहण की तिथि साधारणतया ३२२ ई.पू.

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देश

एक देश किसी भी जगह या स्थान है जिधर लोग साथ-साथ रहते है, और जहाँ सरकार होती है। संप्रभु राज्य एक प्रकार का देश है। संयुक्त राष्ट्र १९३ देशों को मानती है। .

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पाकिस्तान के दूरभाष कोडों की सूची

टेलीफ़ोन पाकिस्तान के शहरों और ज़िलों के दूरभाष कोडों की सूची निम्न है। .

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पाकिस्तान की प्रशासनिक इकाइयाँ

पाकिस्तान की प्रशासनिक इकाइयां पाकिस्तान के प्रशासनिक ढांचे के अंतर्गत चार सूबे (प्रांत), एक संघीय राजधानी क्षेत्र और संघ-शासित जनजातीय क्षेत्रों का एक समूह आता है। इस शीर्ष स्तर के नीचे सरकार के चार स्तर और हैं, जिनमें 27 डिवीजनें, एक सौ पाँच जिले, चार सौ से अधिक तहसीलें और कई हजार संघ परिषदें शामिल हैं। .

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पाकिस्तानी मानक समय

पाकिस्तानी मानक समय या पाकिस्तान का मयारी वक़्त या पाकिस्तान स्टैन्डर्ड टाइम (पी॰ऍस॰टी॰, Pakistan Standard Time) पाकिस्तान का समय मंडल है। यह ग्रीनविच मानक समय से पाँच घंटे आगे हैं, यानि यूटीसी +०५:०० में पड़ता है। यह भारतीय मानक समय से आधा घंटा पीछे है। पाकिस्तान में कभी-कभी गर्मियों के मौसम में दिवालोक बचत समय (डेलाईट सेविंग टाइम) की प्रथा चलाई गई है लेकिन सन् २०१० के बाद फ़िलहाल यह बंद है।, Asif Masood, pp.44, 2010, UN ESCAP (Economic and Social Commission for Asia and the Pacific), United Nations,...

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पंजाब (पाकिस्तान)

पंजाब पंजाब पाकिस्तान का एक प्रान्त है। इसमें ३६ जिले हैं। पंजाब आबादी के अनुपात से पाकिस्तान का सब से बड़ा राज्य है। पंजाब में रहने वाले लोग पंजाबी कहलाते हैं। पंजाब की दक्षिण की तरफ़ सिंध, पश्चिम की तरफ़ ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा और बलोचिस्तान,‎‎‎ उत्तर की तरफ़ कश्मीर और इस्लामाबाद और पूर्व में हिन्दुस्तानी पंजाब और राजस्थान से मिलता है। पंजाब में बोली जाने वाली भाषा भी पंजाबी कहलाती है। पंजाबी के अलावा वहां उर्दु और सराइकी भी बोली जाती है। पंजाब की (राजधानी) लाहौर है। पंजाब फ़ारसी भाषा के दो शब्दों - 'पंज' यानि 'पांच' (५) और 'आब' यानि 'पानी' से मिल कर बना है। इन पांच दरियाओं के नाम हैं.

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महाराजा रणजीत सिंह

महाराजा रणजीत सिंह (पंजाबी: ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ) (१७८०-१८३९) सिख साम्राज्य के राजा थे। वे शेर-ए पंजाब के नाम से प्रसिद्ध हैं। जाट सिक्ख महाराजा रणजीत एक ऐसी व्यक्ति थे, जिन्होंने न केवल पंजाब को एक सशक्त सूबे के रूप में एकजुट रखा, बल्कि अपने जीते-जी अंग्रेजों को अपने साम्राज्य के पास भी नहीं भटकने दिया। रणजीत सिंह का जन्म सन 1780 में गुजरांवाला (अब पाकिस्तान) जाट सिक्ख महाराजा महां सिंह के घर हुआ था। उन दिनों पंजाब पर सिखों और अफगानों का राज चलता था जिन्होंने पूरे इलाके को कई मिसलों में बांट रखा था। रणजीत के पिता महा सिंह सुकरचकिया मिसल के कमांडर थे। पश्चिमी पंजाब में स्थित इस इलाके का मुख्यालय गुजरांवाला में था। छोटी सी उम्र में चेचक की वजह से महाराजा रणजीत सिंह की एक आंख की रोशनी जाती रही। महज 12 वर्ष के थे जब पिता चल बसे और राजपाट का सारा बोझ इन्हीं के कंधों पर आ गया। 12 अप्रैल 1801 को रणजीत ने महाराजा की उपाधि ग्रहण की। गुरु नानक के एक वंशज ने उनकी ताजपोशी संपन्न कराई। उन्होंने लाहौर को अपनी राजधानी बनाया और सन 1802 में अमृतसर की ओर रूख किया। महाराजा रणजीत ने अफगानों के खिलाफ कई लड़ाइयां लड़ीं और उन्हें पश्चिमी पंजाब की ओर खदेड़ दिया। अब पेशावर समेत पश्तून क्षेत्र पर उन्हीं का अधिकार हो गया। यह पहला मौका था जब पश्तूनों पर किसी गैर मुस्लिम ने राज किया। उसके बाद उन्होंने पेशावर, जम्मू कश्मीर और आनंदपुर पर भी अधिकार कर लिया। पहली आधुनिक भारतीय सेना - "सिख खालसा सेना" गठित करने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। उनकी सरपरस्ती में पंजाब अब बहुत शक्तिशाली सूबा था। इसी ताकतवर सेना ने लंबे अर्से तक ब्रिटेन को पंजाब हड़पने से रोके रखा। एक ऐसा मौका भी आया जब पंजाब ही एकमात्र ऐसा सूबा था, जिस पर अंग्रेजों का कब्जा नहीं था। ब्रिटिश इतिहासकार जे टी व्हीलर के मुताबिक, अगर वह एक पीढ़ी पुराने होते, तो पूरे हिंदूस्तान को ही फतह कर लेते। महाराजा रणजीत खुद अनपढ़ थे, लेकिन उन्होंने अपने राज्य में शिक्षा और कला को बहुत प्रोत्साहन दिया। उन्होंने पंजाब में कानून एवं व्यवस्था कायम की और कभी भी किसी को मृत्युदण्ड नहीं दी। उनका सूबा धर्मनिरपेक्ष था उन्होंने हिंदुओं और सिखों से वसूले जाने वाले जजिया पर भी रोक लगाई। कभी भी किसी को सिख धर्म अपनाने के लिए विवश नहीं किया। उन्होंने अमृतसर के हरिमन्दिर साहिब गुरूद्वारे में संगमरमर लगवाया और सोना मढ़वाया, तभी से उसे स्वर्ण मंदिर कहा जाने लगा। बेशकीमती हीरा कोहिनूर महाराजा रणजीत सिंह के खजाने की रौनक था। सन 1839 में महाराजा रणजीत का निधन हो गया। उनकी समाधि लाहौर में बनवाई गई, जो आज भी वहां कायम है। उनकी मौत के साथ ही अंग्रेजों का पंजाब पर शिकंजा कसना शुरू हो गया। अंग्रेज-सिख युद्ध के बाद 30 मार्च 1849 में पंजाब ब्रिटिश साम्राज्य का अंग बना लिया गया और कोहिनूर महारानी विक्टोरिया के हुजूर में पेश कर दिया गया। .

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जलालपुर जट्टां

जलालपुर जट्टां (अंग्रेज़ी:Jalalpur Jattan उर्दू:جلالپور جٹاں) पाकिस्तानी पंजाब के ज़िला गुजरात का एक शहर है। .

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ज़िला

भारत के नागालैंड राज्य के ज़िले ज़िला (district, डिस्ट्रिक्ट​) कई देशों में पाई जाने वाली एक प्रशासनिक ईकाई होती है। ज़िलों के आकार में जगह-जगह का भारी अंतर होता है - कहीं तो कुछ गाँव जोड़कर ही ज़िला बनता है जबकि अन्य स्थानों पर विशाल भूक्षेत्र एक ही ज़िले में सम्मिलित होते हैं। भारत में हर ज़िला कई तालुकाओं, तहसीलों या प्रखण्डों को जोड़कर बनता है और कई ज़िलों को जोड़कर एक राज्य बनता है।, United Nations Human Settlements Programme, pp.

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गुजरात ज़िला

पाकिस्तानी पंजाब प्रांत में गुजरात ज़िला (लाल रंग में) गुजरात (उर्दू:, अंग्रेज़ी: Gujrat) पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का एक ज़िला है। गुजरात ज़िले की राजधानी गुजरात शहर है। इस ज़िले की तीन तहसीलें हैं - गुजरात, खारियाँ और सराय आलमगीर। यह ज़िला पाकिस्तानी पंजाब प्रान्त के पूर्वोत्तर में स्थित है। इसकी सीमाएँ पूर्वोत्तर में पाक-अधिकृत कश्मीर के मीरपुर ज़िले से, पश्चिमोत्तर में झेलम नदी से जो इसे झेलम ज़िले से अलग करती है, पूर्व और दक्षिण पूर्व में चेनाब नदी से जो इसे गुजराँवाला ज़िले से और सियालकोट ज़िले से अलग करती है और पश्चिम में मंडी बहाउद्दीन ज़िले से लगतीं हैं। कृपया ध्यान देन कि एक ही नाम होने के बावजूद पाकिस्तानी पंजाब के गुजरात ज़िले का भारत के गुजरात राज्य से कोई लेना-देना नहीं है। .

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औरंगज़ेब

अबुल मुज़फ़्फ़र मुहिउद्दीन मुहम्मद औरंगज़ेब आलमगीर (3 नवम्बर १६१८ – ३ मार्च १७०७) जिसे आमतौर पर औरंगज़ेब या आलमगीर (प्रजा द्वारा दिया हुआ शाही नाम जिसका अर्थ होता है विश्व विजेता) के नाम से जाना जाता था भारत पर राज्य करने वाला छठा मुग़ल शासक था। उसका शासन १६५८ से लेकर १७०७ में उसकी मृत्यु होने तक चला। औरंगज़ेब ने भारतीय उपमहाद्वीप पर आधी सदी से भी ज्यादा समय तक राज्य किया। वो अकबर के बाद सबसे ज्यादा समय तक शासन करने वाला मुग़ल शासक था। अपने जीवनकाल में उसने दक्षिणी भारत में मुग़ल साम्राज्य का विस्तार करने का भरसक प्रयास किया पर उसकी मृत्यु के पश्चात मुग़ल साम्राज्य सिकुड़ने लगा। औरंगज़ेब के शासन में मुग़ल साम्राज्य अपने विस्तार के चरमोत्कर्ष पर पहुंचा। वो अपने समय का शायद सबसे धनी और शातिशाली व्यक्ति था जिसने अपने जीवनकाल में दक्षिण भारत में प्राप्त विजयों के जरिये मुग़ल साम्राज्य को साढ़े बारह लाख वर्ग मील में फैलाया और १५ करोड़ लोगों पर शासन किया जो की दुनिया की आबादी का १/४ था। औरंगज़ेब ने पूरे साम्राज्य पर फ़तवा-ए-आलमगीरी (शरियत या इस्लामी क़ानून पर आधारित) लागू किया और कुछ समय के लिए ग़ैर-मुस्लिमों पर अतिरिक्त कर भी लगाया। ग़ैर-मुसलमान जनता पर शरियत लागू करने वाला वो पहला मुसलमान शासक था। मुग़ल शासनकाल में उनके शासन काल में उसके दरबारियों में सबसे ज्यादा हिन्दु थे। और सिखों के गुरु तेग़ बहादुर को दाराशिकोह के साथ मिलकर बग़ावत के जुर्म में मृत्युदंड दिया गया था। .

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अहमद शाह अब्दाली

अहमद शाह अब्दाली अहमद शाह अब्दाली, जिसे अहमद शाह दुर्रानी भी कहा जाता है, सन 1748 में नादिरशाह की मौत के बाद अफ़ग़ानिस्तान का शासक और दुर्रानी साम्राज्य का संस्थापक बना। उसने भारत पर सन 1748 से सन 1758 तक कई बार चढ़ाई की। उसने अपना सबसे बड़ा हमला सन 1757 में जनवरी माह में दिल्ली पर किया। अहमदशाह एक माह तक दिल्ली में ठहर कर लूटमार करता रहा। वहाँ की लूट में उसे करोड़ों की संपदा हाथ लगी थी।, Library of Congress Country Studies on Afghanistan, 1997, Accessed 2010-08-25 .

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