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इस्लाम और ग़ायबाना नमाज़-ए-जनाज़ा

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

इस्लाम और ग़ायबाना नमाज़-ए-जनाज़ा के बीच अंतर

इस्लाम vs. ग़ायबाना नमाज़-ए-जनाज़ा

इस्लाम (अरबी: الإسلام) एक एकेश्वरवादी धर्म है, जो इसके अनुयायियों के अनुसार, अल्लाह के अंतिम रसूल और नबी, मुहम्मद द्वारा मनुष्यों तक पहुंचाई गई अंतिम ईश्वरीय पुस्तक क़ुरआन की शिक्षा पर आधारित है। कुरान अरबी भाषा में रची गई और इसी भाषा में विश्व की कुल जनसंख्या के 25% हिस्से, यानी लगभग 1.6 से 1.8 अरब लोगों, द्वारा पढ़ी जाती है; इनमें से (स्रोतों के अनुसार) लगभग 20 से 30 करोड़ लोगों की यह मातृभाषा है। हजरत मुहम्मद साहब के मुँह से कथित होकर लिखी जाने वाली पुस्तक और पुस्तक का पालन करने के निर्देश प्रदान करने वाली शरीयत ही दो ऐसे संसाधन हैं जो इस्लाम की जानकारी स्रोत को सही करार दिये जाते हैं। . इस्लाम में ग़ायबाना नमाज़-ए-जनाज़ा (उर्दू: غائبانہ نماز جنازہ) या सलात अल-ग़ाइब (अरबी: صلاة الغائب) ऐसी नमाज़ होती है जो किसी मुस्लिम व्यक्ति की मृत्यु पर तब पढ़ी जाती है जब मृतक के पास कोई जीवित नामाज़ पढ़ सकने वाला मुस्लिम मौजूद न हो। यानि यह मृतक के लिए उसके शव की ग़ैर-मौजूदगी में पढ़ी जाती है। हदीस के अनुसार यह मृत्यु के एक मास के भीतर पढ़ी जानी चाहिए। इसके विपरीत यदी मरणोपरांत मृतक के लिए नमाज़ पढ़ी जा चुकी हो तो यह अनावश्यक होती है। .

इस्लाम और ग़ायबाना नमाज़-ए-जनाज़ा के बीच समानता

इस्लाम और ग़ायबाना नमाज़-ए-जनाज़ा आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): नमाज़, इस्लाम

नमाज़

काहिरा में नमाज़, 1865। ज़ाँ-लेयॉ ज़ेरोम। नामाज़ (उर्दू: نماز) या सलाह (अरबी: صلوة), नमाज फारसी शब्द है, जो उर्दू में अरबी शब्द सलात का पर्याय है। कुरान शरीफ में सलात शब्द बार-बार आया है और प्रत्येक मुसलमान स्त्री और पुरुष को नमाज पढ़ने का आदेश ताकीद के साथ दिया गया है। इस्लाम के आरंभकाल से ही नमाज की प्रथा और उसे पढ़ने का आदेश है। यह मुसलमानों का बहुत बड़ा कर्तव्य है और इसे नियमपूर्वक पढ़ना पुण्य तथा त्याग देना पाप है। .

इस्लाम और नमाज़ · ग़ायबाना नमाज़-ए-जनाज़ा और नमाज़ · और देखें »

इस्लाम

इस्लाम (अरबी: الإسلام) एक एकेश्वरवादी धर्म है, जो इसके अनुयायियों के अनुसार, अल्लाह के अंतिम रसूल और नबी, मुहम्मद द्वारा मनुष्यों तक पहुंचाई गई अंतिम ईश्वरीय पुस्तक क़ुरआन की शिक्षा पर आधारित है। कुरान अरबी भाषा में रची गई और इसी भाषा में विश्व की कुल जनसंख्या के 25% हिस्से, यानी लगभग 1.6 से 1.8 अरब लोगों, द्वारा पढ़ी जाती है; इनमें से (स्रोतों के अनुसार) लगभग 20 से 30 करोड़ लोगों की यह मातृभाषा है। हजरत मुहम्मद साहब के मुँह से कथित होकर लिखी जाने वाली पुस्तक और पुस्तक का पालन करने के निर्देश प्रदान करने वाली शरीयत ही दो ऐसे संसाधन हैं जो इस्लाम की जानकारी स्रोत को सही करार दिये जाते हैं। .

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इस्लाम और ग़ायबाना नमाज़-ए-जनाज़ा के बीच तुलना

इस्लाम 98 संबंध है और ग़ायबाना नमाज़-ए-जनाज़ा 7 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 1.90% है = 2 / (98 + 7)।

संदर्भ

यह लेख इस्लाम और ग़ायबाना नमाज़-ए-जनाज़ा के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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