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इतालवी साहित्य और पैराडाइज

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

इतालवी साहित्य और पैराडाइज के बीच अंतर

इतालवी साहित्य vs. पैराडाइज

इटली में मध्ययुग में जिस सयम मोंतेकास्सीनो जैसे केंद्रों में लातीनी में अलंकृत शैली में पत्र लिखने, अलंकृत गद्य लिखने (आर्तेस दिक्तांदी, अर्थात् रचनाकला) की शिक्षा दी जा रही थी उस समय विशेष रूप से फ्रांस में तथा इटली में भी नवीन भाषा में कविता की रचना होने लगी थी। अलंकृत लययुक्त मध्ययुगीन लातीनी का प्रयोग धार्मिक क्षेत्र तथा राजदरबारों तक ही सीमित था, किंतु रोमांस बोलियों में रचित कविता लोक में प्रचलित थी। चार्ल्स मान्य तथा आर्थर की वीरगाथाओं को लेकर फ्रांस के दक्षिणी भाग (प्रोवेंसाल) में 12वीं सदी में प्रोवेंसाल बोली में पर्याप्त काव्यरचना हो चुकी थी। प्रोवेंसाल बोली में रचना करनेवाले दरबारी कवि (त्रोवातोरी) एक स्थान से दूसरे स्थान पर आश्रयदाताओं की खोज में घूमा करते थे और दरबारों में अन्य राजाओं का यश, यात्रा के अनुभव, युद्धों के वर्णन, प्रेम की कथाएँ आदि नाना विषयों पर कविताएँ रचकर यश, धन एवं सम्मान की आशा में राजा रईसों के यहाँ उन्हें सुनाया करते थे। इतालवी राजदरबार से संबंध रखनेवाला पहला दरबारी कवि (त्रोवातोरे) रामवाल्दो दे वाकेइरास कहा जा सकता है जो प्रावेंसा (फ्रांस) से आया था। इस प्रकार के कवियों के समान उसकी कविता में भी प्रेम, हर्ष, वसंत तथा हरे भरे खेतों और मैदानों का चित्रण है तथा भाषा मिश्रित है। सावोइया, मोंफेर्रातो, मालास्पीना, एस्ते और रावेन्ना के रईसों के दरबारों में ऐसे कवियों ने आकर आश्रय ग्रहण किया था। इटली के कवियों ने भी प्रावेंसाल शैली में इस प्रकार की काव्यरचना की। सोरदेल्लो दी गोइतो (मूत्यु 1270 ई.), लांफ्रोको क्वीगाला, पेरचेवाल दोरिया जैसे अनेक इतालवी त्रोवातोरी कवि हुए। दी गोइतो का तो दांते ने भी स्मरण किया है। इतालवी काव्य का आरंभिक रूप त्रोवातोरी कवियों की रचनाओं में मिलता है। . यूनानी साहित्य में फारसी राजाओं की वाटिका को पैराडाईज कहा जाता था। बाइबिल के प्रारंभ में आदम और हौवा का निवास स्थान एक वाटिका के रूप में चित्रित है और उसे पैराडाज अथवा अदनवाटिका कहा गया है। उसका तात्पर्य है कि वे सुख-शांति से जीवन व्यतीत कर रहे थे। पाप करने के बाद उनको पैराडाइज से निकाल दिया गया था, अर्थात्‌ वे अपनी सुख शांति खो बैठे। यहूदियों का विश्वास था कि मसीह मानव जाति के लिये पैराडाइज फिर खोल देगें अर्थात्‌ वह सुख शांति एवं मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर देगे, इस तरह पैराडाइज स्वर्ग का प्रतीक बन गया। .

इतालवी साहित्य और पैराडाइज के बीच समानता

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संदर्भ

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