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आहारीय जस्ता और प्रोटीन

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

आहारीय जस्ता और प्रोटीन के बीच अंतर

आहारीय जस्ता vs. प्रोटीन

आहारीय जस्ता शरीर में कई एन्जाइमों के लिये सह-घटक के रूप में कई कार्य करता है। यह ऊतकों के सामान्य कार्य में सहायता करता है और शरीर में प्रोटीन और कार्बोजों को संभालने के लिए आवश्यक है। जस्ते की कमी मघपान, आहार के परिष्कार, कम प्रोटीन के आहार, जुकाम, गर्भावस्था और रोग के कारण हो सकती है। जस्ते की कमी यकृत से विटामिन ‘ए’ के मोचन को कम कर देती है। इस प्रकार की कमी के परिणाम हो सकते है। आहार में जस्ते की कमी के कारण स्वाद और भूख की कमी, घाव भरने में विलम्ब, गंजापन, वृद्धि में विलम्ब, हृदय-रोग, मानसिक रोग, विलम्बित यौन परिपकवता और प्रजनन – संबंधी दुष्क्रिया हो सकते हैं। मध्य-पूर्व के कुछ देशों में बौनापन का कारण आहार में जस्ते की कमी को ही माना जाता है। जस्ता अपेक्षाकृत अविषाक्त है। आंतों में शरीर के लिये अनावश्यक जस्ते की अतिरिक्त मात्रा को समाप्त करने के लिये कार्यकुशल यंत्र-रेचन है। आयु के साथ जस्ते की कमी संभावना बढती है। . रुधिरवर्णिका(हीमोग्लोबिन) की संरचना- प्रोटीन की दोनो उपइकाईयों को लाल एंव नीले रंग से तथा लौह भाग को हरे रंग से दिखाया गया है। प्रोटीन या प्रोभूजिन एक जटिल भूयाति युक्त कार्बनिक पदार्थ है जिसका गठन कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन एवं नाइट्रोजन तत्वों के अणुओं से मिलकर होता है। कुछ प्रोटीन में इन तत्वों के अतिरिक्त आंशिक रूप से गंधक, जस्ता, ताँबा तथा फास्फोरस भी उपस्थित होता है। ये जीवद्रव्य (प्रोटोप्लाज्म) के मुख्य अवयव हैं एवं शारीरिक वृद्धि तथा विभिन्न जैविक क्रियाओं के लिए आवश्यक हैं। रासायनिक गठन के अनुसार प्रोटीन को सरल प्रोटीन, संयुक्त प्रोटीन तथा व्युत्पन्न प्रोटीन नामक तीन श्रेणियों में बांटा गया है। सरल प्रोटीन का गठन केवल अमीनो अम्ल द्वारा होता है एवं संयुक्त प्रोटीन के गठन में अमीनो अम्ल के साथ कुछ अन्य पदार्थों के अणु भी संयुक्त रहते हैं। व्युत्पन्न प्रोटीन वे प्रोटीन हैं जो सरल या संयुक्त प्रोटीन के विघटन से प्राप्त होते हैं। अमीनो अम्ल के पॉलीमराईजेशन से बनने वाले इस पदार्थ की अणु मात्रा १०,००० से अधिक होती है। प्राथमिक स्वरूप, द्वितीयक स्वरूप, तृतीयक स्वरूप और चतुष्क स्वरूप प्रोटीन के चार प्रमुख स्वरुप है। प्रोटीन त्वचा, रक्त, मांसपेशियों तथा हड्डियों की कोशिकाओं के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। जन्तुओं के शरीर के लिए कुछ आवश्यक प्रोटीन एन्जाइम, हार्मोन, ढोने वाला प्रोटीन, सिकुड़ने वाला प्रोटीन, संरचनात्मक प्रोटीन एवं सुरक्षात्मक प्रोटीन हैं। प्रोटीन का मुख्य कार्य शरीर की आधारभूत संरचना की स्थापना एवं इन्जाइम के रूप में शरीर की जैवरसायनिक क्रियाओं का संचालन करना है। आवश्यकतानुसार इससे ऊर्जा भी मिलती है। एक ग्राम प्रोटीन के प्रजारण से शरीर को ४.१ कैलीरी ऊष्मा प्राप्त होती है। प्रोटीन द्वारा ही प्रतिजैविक (एन्टीबॉडीज़) का निर्माण होता है जिससे शरीर प्रतिरक्षा होती है। जे.

आहारीय जस्ता और प्रोटीन के बीच समानता

आहारीय जस्ता और प्रोटीन आम में 5 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): दूध, प्रकिण्व, बाकला, मटर, गेहूँ

दूध

एक गिलास दूध दूध एक अपारदर्शी सफेद द्रव है जो मादाओं के दुग्ध ग्रन्थियों द्वारा बनाया जता है। नवजात शिशु तब तक दूध पर निर्भर रहता है जब तक वह अन्य पदार्थों का सेवन करने में अक्षम होता है। साधारणतया दूध में ८५ प्रतिशत जल होता है और शेष भाग में ठोस तत्व यानी खनिज व वसा होता है। गाय-भैंस के अलावा बाजार में विभिन्न कंपनियों का पैक्ड दूध भी उपलब्ध होता है। दूध प्रोटीन, कैल्शियम और राइबोफ्लेविन (विटामिन बी -२) युक्त होता है, इनके अलावा इसमें विटामिन ए, डी, के और ई सहित फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयोडीन व कई खनिज और वसा तथा ऊर्जा भी होती है। इसके अलावा इसमें कई एंजाइम और कुछ जीवित रक्त कोशिकाएं भी हो सकती हैं।। इकॉनोमिक टाइम्स, २२ मार्च २००९ .

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प्रकिण्व

ग्लायेक्सेलेज़ १। अपनी अभिक्रिया को कैटालाइज़ करने हेतु आवश्यक दो जस्ता आयन पर्पल गोले में दर्शित हैं और एक प्रकिण्व इन्हिबिटर, एस-हेक्साइलग्लूटाथाइओन स्पेस-फिलिंग-प्रतिरूप के रूप में दो सक्रिय स्थलों को भरता दिखाया गया है। प्रकिण्व (अंग्रेज़ी:एंज़ाइम) रासायनिक क्रियाओं को उत्प्रेरित करने वाले प्रोटीन को कहते हैं। इनके लिये एंज़ाइम शब्द का प्रयोग सन १८७८ में कुह्ने ने पहली बार किया था। प्रकिण्वों के स्रोत मुख्यतः सूक्ष्मजीव और फिर पौधे तथा जंतु होते हैं। किसी प्रकिण्व के अमीनो अम्ल में परिवर्तन द्वारा उसके गुणधर्म में उपयोगी परिवर्तन लाने हेतु अध्ययन को प्रकिण्व अभियांत्रिकी या एंज़ाइम इंजीनियरिंग कहते हैं। एंज़ाइम इंजीनियरिंग का एकमात्र उद्देश्य औद्योगिक अथवा अन्य उद्योगों के लिये अधिक क्रियाशील, स्थिर एवं उपयोगी एंज़ाइमों को प्राप्त करना है।। हिन्दुस्तान लाइव। २४ मई २०१० पशुओं से प्राप्त रेनेट भी एक प्रकिण्व ही होता है। ये शरीर में होने वाली जैविक क्रियाओं के उत्प्रेरक होने के साथ ही आवश्यक अभिक्रियाओं के लिए शरीर में विभिन्न प्रकार के प्रोटीन का निर्माण करते हैं। इनकी भूमिका इतनी महत्वपूर्ण है कि ये या तो शरीर की रासायनिक क्रियाओं को आरंभ करते हैं या फिर उनकी गति बढ़ाते हैं। इनका उत्प्रेरण का गुण एक चक्रीय प्रक्रिया है। सभी उत्प्रेरकों की ही भांति, प्रकिण्व भी अभिक्रिया की उत्प्रेरण ऊर्जा (Ea‡) को कम करने का कार्य करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अभिक्रिया की गति में वृद्धि हो जाती है। अधिकांश प्रकिण्वन अभिक्रियाएं अन्य गैर-उत्प्रेरित अभिक्रियाओं की तुलना में लाखों गुना तेज गति से होती हैं। इसी प्रकार अन्य सभि उत्प्रेरण अभिक्रियाओं की तरह ही प्रकिण्व भी अभिक्रिया में खपते नहीं हैं, न ही अभिक्रिया साम्य में परिवर्तन करते हैं। फिर भी प्रकिण्व अन्य अधिकां उत्प्रेरकों से इस बाट में अलग होते हैं, कि प्रकिण्व किसी विशेष अभिक्रिया के लिये विशिष्ट होते हैं। प्रकिण्वों द्वारा लगभग ४००० से अधिक ज्ञात जैवरासायनिक अभिक्रियाएं संपन्न होती हैं। कुछ आर एन ए अणु भी अभिक्रियाओं को उत्प्रेरित करते हैं, जिसका एक अच्छा उदाहरण है राइबोसोम के कुछ भागों में होती अभिक्रियाएं। कुछ कृत्रिम अणु भी प्रकिण्वों जैसी उत्प्रेरक क्रियाएं दिखाते हैं। इन्हें कृत्रिम प्रकिण्व कहते हैं। World fast enzyme - जाइमेज .

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बाकला

बाकला या कॉमन बीन, (वैज्ञानिक नाम: फैसेयोलस वल्गैरिस) एक वार्षिक पौधा है, जो कि मीज़ो अमरीका और एंडीज़ पर्वत पर मूलतः उगता था। अब यह विश्व भर में उगाया जाता है। इसकी खाद्य फलियां और बीज ही इसके उत्पाद होते हैं। इसकी पत्तियां कहीं कहीं हरी सब्जी के काम आती हैं और इसका भूसा मवेशियों के लिए काम में आता है। जैविक दृष्टि से यह एक द्विबीजपत्री पौधा है। इसकी फलियां लेग्यूम श्रेणी की होने से भूमि को नाइट्रोजन दायक होती हैं। यह प्रक्रिया र्हाइज़ोबिया नामक नाइट्रोजन दायक जीवाणु द्वारा होती है। .

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मटर

मटर एक फूल धारण करने वाला द्विबीजपत्री पौधा है। इसकी जड़ में गांठे मिलती हैं। इसकी संयुक्त पत्ती के अगल कुछ पत्रक प्रतान में बदल जाते हैं। यह शाकीय पौधा है जिसका तना खोखला होता है। इसकी पत्ती सेयुक्त होती है। इसके फूल पूर्ण एवं तितली के आकार के होते हैं। इसकी फली लम्बी, चपटी एवं अनेक बीजों वाली होती है। मटर के एक बीज का वजन ०.१ से ०.३६ ग्राम होता है। .

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गेहूँ

गेहूँ गेहूं (Wheat; वैज्ञानिक नाम: Triticum spp.),Belderok, Bob & Hans Mesdag & Dingena A. Donner.

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आहारीय जस्ता और प्रोटीन के बीच तुलना

आहारीय जस्ता 15 संबंध है और प्रोटीन 38 है। वे आम 5 में है, समानता सूचकांक 9.43% है = 5 / (15 + 38)।

संदर्भ

यह लेख आहारीय जस्ता और प्रोटीन के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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