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आर॰ऍन॰ए॰ पॉलिमरेज़ और जीन व्यवहार

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

आर॰ऍन॰ए॰ पॉलिमरेज़ और जीन व्यवहार के बीच अंतर

आर॰ऍन॰ए॰ पॉलिमरेज़ vs. जीन व्यवहार

आर॰ऍन॰ए॰ पॉलिमरेज़ (RNA polymerase), जो संक्षिप्त रूप से आर॰ऍन॰ए॰पी॰ (RNAP) कहलाता है, एक प्रकार के प्रकिण्व समूह के सदस्यों को कहा जाता है जो हर जीव में पाया जाता है और जिसपर सभी जीव निर्भर हैं। RNAP दो-रज्जुओं वाले डी॰ऍन॰ए॰ को खोल देता है, जिस से उधड़े हुए डी॰ऍन॰ए॰ अणु के न्यूक्लियोटाइड अणु की बाहरी ओर आ जाते हैं और उन्हें साँचे की तरह प्रयोग कर के आर॰ऍन॰ए॰ का निर्माण करा जा सकता है। इस निर्माण प्रक्रिया को प्रतिलेखन (transcription) कहते हैं। . कोशिका विज्ञान और अनुवांशिकी में जीन व्यवहार (gene expression) वह प्रक्रिया होती है जिसमें किसी जीन में उपस्थित सूचना के प्रयोग से किसी जीन उत्पाद का निर्माण होता है। यह उत्पाद अक्सर प्रोटीन होते हैं लेकिन कुछ जीनों का कार्य अंतरण आर॰ऍन॰ए॰ (transfer RNA) की उत्पत्ति होता है। विश्व के सभी ज्ञात जीवों की जीववैज्ञानिक प्रक्रियाओं के लिए जीन व्यवहार आवश्यक है। यह ज़रूरी नहीं है कि किसी जीव की जीनों में उपस्थित हर सम्भव जीन व्यवहार सक्रीय हो। कई जीन व्यवहार जीव की परिस्थितियों के आधार पर सकीय या असक्रीय होते हैं। मानवों में बालों का सफ़ेद हो जाने के पीछे साधारणत जीन व्यवहार होता है, जिसमें केश श्वेत कर देने का व्यवहार किसी परिस्थिति के कारण या बढ़ती आयु में स्वयं सक्रीय हो जाता है। .

आर॰ऍन॰ए॰ पॉलिमरेज़ और जीन व्यवहार के बीच समानता

आर॰ऍन॰ए॰ पॉलिमरेज़ और जीन व्यवहार आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक अम्ल, राइबोज़ न्यूक्लिक अम्ल, जीव

डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक अम्ल

डीएनए के घुमावदार सीढ़ीनुमा संरचना के एक भाग की त्रिविम (3-D) रूप डी एन ए जीवित कोशिकाओं के गुणसूत्रों में पाए जाने वाले तंतुनुमा अणु को डी-ऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल या डी एन ए कहते हैं। इसमें अनुवांशिक कूट निबद्ध रहता है। डी एन ए अणु की संरचना घुमावदार सीढ़ी की तरह होती है। डीएनए की एक अणु चार अलग-अलग रास वस्तुओं से बना है जिन्हें न्यूक्लियोटाइड कहते है। हर न्यूक्लियोटाइड एक नाइट्रोजन युक्त वस्तु है। इन चार न्यूक्लियोटाइडोन को एडेनिन, ग्वानिन, थाइमिन और साइटोसिन कहा जाता है। इन न्यूक्लियोटाइडोन से युक्त डिऑक्सीराइबोस नाम का एक शक्कर भी पाया जाता है। इन न्यूक्लियोटाइडोन को एक फॉस्फेट की अणु जोड़ती है। न्यूक्लियोटाइडोन के सम्बन्ध के अनुसार एक कोशिका के लिए अवश्य प्रोटीनों की निर्माण होता है। अतः डी इन ए हर एक जीवित कोशिका के लिए अनिवार्य है। डीएनए आमतौर पर क्रोमोसोम के रूप में होता है। एक कोशिका में गुणसूत्रों के सेट अपने जीनोम का निर्माण करता है; मानव जीनोम 46 गुणसूत्रों की व्यवस्था में डीएनए के लगभग 3 अरब आधार जोड़े है। जीन में आनुवंशिक जानकारी के प्रसारण की पूरक आधार बाँधना के माध्यम से हासिल की है। उदाहरण के लिए, एक कोशिका एक जीन में जानकारी का उपयोग करता है जब प्रतिलेखन में, डीएनए अनुक्रम डीएनए और सही आरएनए न्यूक्लियोटाइडों के बीच आकर्षण के माध्यम से एक पूरक शाही सेना अनुक्रम में नकल है। आमतौर पर, यह आरएनए की नकल तो शाही सेना न्यूक्लियोटाइडों के बीच एक ही बातचीत पर निर्भर करता है जो अनुवाद नामक प्रक्रिया में एक मिलान प्रोटीन अनुक्रम बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। वैकल्पिक भानुमति में एक कोशिका बस एक प्रक्रिया बुलाया डीएनए प्रतिकृति में अपने आनुवंशिक जानकारी कॉपी कर सकते हैं। डी एन ए की रूपचित्र की खोज अंग्रेजी वैज्ञानिक जेम्स वॉटसन और के द्वारा सन १९५३ में किया गया था। इस खोज के लिए उन्हें सन १९६२ में नोबेल पुरस्कार सम्मानित किया गया। .

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राइबोज़ न्यूक्लिक अम्ल

आर एन ए एक अकेली बहु न्यूक्लियोटाइड शृंखला वाला लम्बा तंतुनुमा अणु, जिसमें फॉस्फेट और राइबोज़ शर्करा की इकाइयां एकांतर में स्थापित होतीं हैं। इसका पूर्ण नाम है राइबोज़ न्यूक्लिक अम्ल। डी एन ए की तरह आर एन ए में भी राइबोज़ से जुड़े चार क्षारक होते हैं। अंतर केवल इतना है, कि इसमें थाइमीन के स्थान पर यूरासिल होता है। किसी भी जीवित प्राणी के शरीर में राइबोन्यूलिक अम्ल भी उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जितनी डी एन ए। आरएनए शरीर में डीएनए के जीन्स को नकल कर के व्यापक तौर पर प्रवाहित करने का काम करता है। इसके साथ ही यह कोशिकाओं में अन्य आनुवांशिक सामग्री पहुंचाने में भी सहायक होता है। आरएनए की खोज सेवेरो ओकोआ, रॉबर्ट हॉली और कार्ल वोसे ने की थी। आरएनए के महत्त्वपूर्ण कार्यो में जीन को सुचारू बनाना और उनकी प्रतियां तैयार करना होता है। यह विभिन्न प्रकार के प्रोटीनों को जोड़ने का भी कार्य करता है। इसकी कई किस्में होती हैं जिनमें रिबोसोमल आरएनए, ट्रांसफर आरएनए और मैसेंजर आरएनए प्रमुख हैं। आरएनए की श्रृंखला फॉस्फेट्स और राइबोस के समूहों से मिलकर बनती है, जिससे इसके चार मूल तत्व, एडेनाइन, साइटोसाइन, गुआनाइन और यूरासिल जुड़े होते हैं। डीएनए से विपरीत, आरएनए एकल श्रृंखला होती है जिसकी मदद से यह खुद को कोशिका के संकरे आकार में समाहित कर लेता है। आरएनए का स्वरूप एक सहस्राब्दी यानी एक हजार वर्षो में बहुत कम बदलता है। अतएव इसका प्रयोग विभिन्न प्राणियों के संयुक्त पूर्वजों की खोज करने में किया जाता है। डीएनए ही आरएनए के संधिपात्र की भूमिका अदा करता है। मूलत: डीएनए में ही आरएनए का रूप निहित होता है। इसलिए आवश्यकतानुसार डीएनए, जिसके पास आरएनए बनाने का अधिकार होता है, आवश्यक सूचना लेकर काम में लग जाता है। .

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जीव

कवक जीव (Organism) शब्द जीवविज्ञान में सभी जीवन-सन्निहित प्राणियों के लिए प्रयुक्त होता है, जैसे: कशेरुकी जन्तु, कीट, पादप अथवा जीवाणु। एक जीव में एक या एक से अधिक कोशिकाएँ होते हैं। जिनमें एक कोशिका पाया जाता है उसे एक कोशिकीय जीव है; एक से अधिक कोशिका होने पर उस जीव को बहुकोशिकीय जीव कहा जाता है। मनुष्य का शरीर विशेष ऊतकों और अंगों में बांटा होता है, जिसमें कोशिकाओं के कई अरबों की रचना में बहुकोशिकीय जीव होते हैं। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

आर॰ऍन॰ए॰ पॉलिमरेज़ और जीन व्यवहार के बीच तुलना

आर॰ऍन॰ए॰ पॉलिमरेज़ 7 संबंध है और जीन व्यवहार 9 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 18.75% है = 3 / (7 + 9)।

संदर्भ

यह लेख आर॰ऍन॰ए॰ पॉलिमरेज़ और जीन व्यवहार के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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