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आर्यभट की ज्या सारणी और भास्कर प्रथम

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

आर्यभट की ज्या सारणी और भास्कर प्रथम के बीच अंतर

आर्यभट की ज्या सारणी vs. भास्कर प्रथम

आर्यभट द्वारा रचित आर्यभटीय में दिये गये २४ संख्याओं का समुच्चय आर्यभट की ज्या-सारणी (Āryabhaṭa's sine table) कहलाता है। आधुनिक अर्थ में यह कोई गणितीय सारणी (टेबुल) नहीं है जिसमें संख्याएँ पंक्ति व स्तम्भ के रूप में विन्यस्त (arranged) हों। वृत्त में चाप (Arc) तथा जीवा (chord) परम्परागत अर्थों में यह त्रिकोणमिति में प्रयुक्त ज्या फलन (sine function) के मानों की सूची भी नहीं है बल्कि यह ज्या फलन के मानों के प्रथम अन्तर (first differences) है। इसी लिये इसे 'आर्यभट की ज्या-अन्तर सारणी (Āryabhaṭa's table of sine-differences) भी कहा जाता है। आर्यभट की यह सारणी, गणित के इतिहास में, विश्व की सबसे पहले रचित ज्या-सारणी है। . भास्कर प्रथम (600 ई – 680 ईसवी) भारत के सातवीं शताब्दी के गणितज्ञ थे। संभवतः उन्होने ही सबसे पहले संख्याओं को हिन्दू दाशमिक पद्धति में लिखना आरम्भ किया। उन्होने आर्यभट्ट की कृतियों पर टीका लिखी और उसी सन्दर्भ में ज्या य (sin x) का परिमेय मान बताया जो अनन्य एवं अत्यन्त उल्लेखनीय है। आर्यभटीय पर उन्होने सन् ६२९ में आर्यभटीयभाष्य नामक टीका लिखी जो संस्कृत गद्य में लिखी गणित एवं खगोलशास्त्र की प्रथम पुस्तक है। आर्यभट की परिपाटी में ही उन्होने महाभास्करीय एवं लघुभास्करीय नामक दो खगोलशास्त्रीय ग्रंथ भी लिखे। .

आर्यभट की ज्या सारणी और भास्कर प्रथम के बीच समानता

आर्यभट की ज्या सारणी और भास्कर प्रथम आम में 4 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): भास्कर प्रथम का ज्या सन्निकटन सूत्र, माधवाचार्य की ज्या सारणी, आर्यभट, आर्यभटीय

भास्कर प्रथम का ज्या सन्निकटन सूत्र

भारत के महान गणितज्ञ भास्कर प्रथम ने अपने 'महाभास्करीय' नामक ग्रंथ में त्रिकोणमितीय फलन ज्या य (Sin x) का मान निकालने का एक परिमेय व्यंजक दिया है। यह पता नहीं है कि भास्कर ने यह सन्निकटन सूत्र कैसे निकाला होगा। किन्तु गणित के अनेकों इतिहासकारों ने अपने-अपने अनुमान लगाये हैं कि भास्कर ने यह सूत्र किस प्रकार निकाला होगा। यह सूत्र सुन्दर एवं सहज है तथा इसके द्वारा Sin x का पर्याप्त शुद्ध मान प्राप्त होता है। (p.104) महाभास्करीय में आठ अध्याय हैं। सातवें अध्याय के श्लोक १७, १८ और १९ में उन्होने sin x का सन्निकट मान (approximate value) निकालने का निम्नलिखित सूत्र दिया है- इस सूत्र को उन्होने आर्यभट्ट द्वारा दिया हुआ बताया है। इस सूत्र से प्राप्त ज्या य के मानों का आपेक्षिक त्रुटि 1.9% से कम है। (अधिकतम विचलन \frac - 1 \approx 1.859\% जो x.

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माधवाचार्य की ज्या सारणी

केरलीय गणित सम्प्रदाय के गणितज्ञ तथा खगोलशास्त्री माधवाचार्य ने चौदहवीं शताब्दी में विभिन्न कोणों के ज्या के मानों की एक सारणी निर्मित की थी। इस सारणी में चौबीस कोणों के ज्या के मान दिए गये हैं। जिन कोणों के ज्या के मान दिए गये हैं वे हैं: यह सारणी एक संस्कृत श्लोक के रूप में है जिसमें संख्यात्मक मानों को कटपयादि पद्धति का उपयोग करके निरूपित किया गया है। इससे सम्बन्धित माधव के मूल कार्य प्राप्त नहीं होते हैं किन्तु नीलकण्ठ सोमयाजि (1444–1544) के 'आर्यभटीयभाष्य' तथा शंकर वरियार (circa. 1500-1560) द्वारा रचित तन्त्रसंग्रह की 'युक्तिदीपिका/लघुवृत्ति' नामक टीका में भी हैं। .

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आर्यभट

आर्यभट (४७६-५५०) प्राचीन भारत के एक महान ज्योतिषविद् और गणितज्ञ थे। इन्होंने आर्यभटीय ग्रंथ की रचना की जिसमें ज्योतिषशास्त्र के अनेक सिद्धांतों का प्रतिपादन है। इसी ग्रंथ में इन्होंने अपना जन्मस्थान कुसुमपुर और जन्मकाल शक संवत् 398 लिखा है। बिहार में वर्तमान पटना का प्राचीन नाम कुसुमपुर था लेकिन आर्यभट का कुसुमपुर दक्षिण में था, यह अब लगभग सिद्ध हो चुका है। एक अन्य मान्यता के अनुसार उनका जन्म महाराष्ट्र के अश्मक देश में हुआ था। उनके वैज्ञानिक कार्यों का समादर राजधानी में ही हो सकता था। अतः उन्होंने लम्बी यात्रा करके आधुनिक पटना के समीप कुसुमपुर में अवस्थित होकर राजसान्निध्य में अपनी रचनाएँ पूर्ण की। .

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आर्यभटीय

आर्यभटीय नामक ग्रन्थ की रचना आर्यभट प्रथम (४७६-५५०) ने की थी। यह संस्कृत भाषा में आर्या छंद में काव्यरूप में रचित गणित तथा खगोलशास्त्र का ग्रंथ है। इसकी रचनापद्धति बहुत ही वैज्ञानिक और भाषा बहुत ही संक्षिप्त तथा मंजी हुई है। इसमें चार अध्यायों में १२३ श्लोक हैं। आर्यभटीय, दसगीतिका पाद से आरम्भ होती है। इसके चार अध्याय इस प्रकार हैं: 1.

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आर्यभट की ज्या सारणी और भास्कर प्रथम के बीच तुलना

आर्यभट की ज्या सारणी 7 संबंध है और भास्कर प्रथम 14 है। वे आम 4 में है, समानता सूचकांक 19.05% है = 4 / (7 + 14)।

संदर्भ

यह लेख आर्यभट की ज्या सारणी और भास्कर प्रथम के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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