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आर्मीनियाई जनसंहार और मध्य एशिया

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

आर्मीनियाई जनसंहार और मध्य एशिया के बीच अंतर

आर्मीनियाई जनसंहार vs. मध्य एशिया

सशत्र ऑटोमान सैनिक आर्मीनियाई नागरिकों को मार्च कराकर जेल ले जाते हुए (अप्रैल १०१५) ऑटोमान सरकार द्वारा योजनाबद्ध रूप से अल्पसंख्यक आर्मीनियों का जो संहार कराया गया वह आर्मीनियाई नरसंहार (Armenian Genocide या Armenian Holocaust) कहलाता है। (Hayots Tseghaspanutyun)। इस दौरान १० लाख से १५ लाख लोगों की हत्या का अनुमान है। यह जनसंहार २४ अप्रैल १९१५ से शुरू हुआ जब ऑटोमान सरकार ने 250 आर्मीनियाई बुद्धिजीवियों को कांन्स्टेनटीनोपोल में बन्दी बना लिया। इसके बाद प्रथम विश्वयुद्ध और उसके बाद तक नरसंहार जारी रहा। इसे दो चरणों में किया गया: पुरुषों की एकमुश्त हत्याएँ, सेना द्वारा जबरन गुलामी व महिलाओं, बच्चों व बूढों को सीरिया के रेगिस्तान में मौत की पदयात्रा (डेथ मार्च) पर भेजना। सैनिकों द्वारा खदेडे जाते हुए प्राय ही इन लोगो के साथ बार बार लूटपाट, भूखे रखे जाने, बलात्कार, मारपीट व हत्याएँ हुईं। इनके साथ ही अन्य ईसाई समूहों जैसे कि असीरियाई व ओट्टोमन के यूनानियों को भी निशाना बनाया गया। इतिहासकार इसे ओट्टोमन साम्राज्य की उसी नरसंहार नीति का हिस्सा मानते हैं। राफाएल लेम्किन इस घटना से इतने आहत हुए थे कि उन्होने १९४३ में नरसंहार genocide शब्द की परिभाषा दी। अपने प्रायोजित व योजनाबद्ध कत्लेआम के लिये आर्मीनियाई नरसंहार को आधुनिक काल के पहले नरसंहारों में गिना जाता है। यहूदी नरसंहार के बाद यह दूसरा सबसे ज्यादा अध्ययन किया जाने वाला नरसंहार है। हालाँकि तुर्की हमेशा ही इस घटना को नरसंहार कहे जाने का विरोध करता रहा है। . मध्य एशिया एशिया के महाद्वीप का मध्य भाग है। यह पूर्व में चीन से पश्चिम में कैस्पियन सागर तक और उत्तर में रूस से दक्षिण में अफ़ग़ानिस्तान तक विस्तृत है। भूवैज्ञानिकों द्वारा मध्य एशिया की हर परिभाषा में भूतपूर्व सोवियत संघ के पाँच देश हमेशा गिने जाते हैं - काज़ाख़स्तान, किरगिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़बेकिस्तान। इसके अलावा मंगोलिया, अफ़ग़ानिस्तान, उत्तरी पाकिस्तान, भारत के लद्दाख़ प्रदेश, चीन के शिनजियांग और तिब्बत क्षेत्रों और रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिणी भाग को भी अक्सर मध्य एशिया का हिस्सा समझा जाता है। इतिहास में मध्य एशिया रेशम मार्ग के व्यापारिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। चीन, भारतीय उपमहाद्वीप, ईरान, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच लोग, माल, सेनाएँ और विचार मध्य एशिया से गुज़रकर ही आते-जाते थे। इस इलाक़े का बड़ा भाग एक स्तेपी वाला घास से ढका मैदान है हालाँकि तियान शान जैसी पर्वत शृंखलाएँ, काराकुम जैसे रेगिस्तान और अरल सागर जैसी बड़ी झीलें भी इस भूभाग में आती हैं। ऐतिहासिक रूप मध्य एशिया में ख़ानाबदोश जातियों का ज़ोर रहा है। पहले इसपर पूर्वी ईरानी भाषाएँ बोलने वाली स्किथी, बैक्ट्रियाई और सोग़दाई लोगों का बोलबाला था लेकिन समय के साथ-साथ काज़ाख़, उज़बेक, किरगिज़ और उईग़ुर जैसी तुर्की जातियाँ अधिक शक्तिशाली बन गई।Encyclopædia Iranica, "CENTRAL ASIA: The Islamic period up to the Mongols", C. Edmund Bosworth: "In early Islamic times Persians tended to identify all the lands to the northeast of Khorasan and lying beyond the Oxus with the region of Turan, which in the Shahnama of Ferdowsi is regarded as the land allotted to Fereydun's son Tur.

आर्मीनियाई जनसंहार और मध्य एशिया के बीच समानता

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