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आर्थिक भौमिकी और खनिज विज्ञान

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

आर्थिक भौमिकी और खनिज विज्ञान के बीच अंतर

आर्थिक भौमिकी vs. खनिज विज्ञान

आर्थिक भौमिकी, भौमिकी की वह शाखा है जो पृथ्वी की खनिज संपत्ति के संबंध में बृहत्‌ ज्ञान कराती है। पृथ्वी से उत्पन्न समस्त धातुओं, पत्थर, कोयला, भूतैल (पेट्रोलियम) तथा अन्य अधातु खनिजों का अध्ययन तथा उनका आर्थिक विवेचन आर्थिक भौमिकी द्वारा ही होता है। प्रत्येक देश की समृद्धि वहाँ की खनिज संपत्ति पर बहुत कुछ निर्भर रहती है और इस दृष्टि से आर्थिकी भौतिकी का अध्ययन और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। यद्यपि भारतवर्ष प्राचीन समय से ही अपनी खनिज संपत्ति के लिए प्रसिद्ध रहा है, तथापि कुछ कारणों से यह देश अत्यंत समृद्ध नहीं कहा जा सकता। भारत में आर्थिक खनिज पाए जाते हैं जिनमें से लगभग १६ खनिज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। इनमें विशेष कर लौह अयस्क, मैंगनीज़, अभ्रक, बॉक्साइट, इल्मेनाइट, पत्थर के कोयले जिप्सम, चूना पत्थर (लाइम स्टोन), सिलीमेनाइट, कायनाइट, कुरबिंद (कोरंडम), मैग्नेसाइट, मत्तिकाओं आदि के विशाल भांडार हैं, किंतु साथ ही साथ सीसा, तांबा, जस्ता, रांगा, गंधक तथा मूतैल आदि अत्यंत न्यून मात्रा में हैं। भूतैल का उत्पादन तो इतना अल्प है कि देश की आंतरिक खपत का केवल सात प्रतिशत ही उससे पूरा हो पाता है। इस्पात उत्पादन के लिए सारे आवश्यक खनिज पर्याप्त किए जाते हैं उनमें इन धातुओं के अभाव के कारण कुछ हल्की धातुएं, जैसे ऐल्युमिनियम इत्यादि तथा उनकी मिश्र धातुएँ उपयोग में लाई जा सकती है। . खनिज विज्ञान (अंग्रेज़ी:मिनरलॉजी) भूविज्ञान की एक शाखा होती है। इसमें खनिजों के भौतिक और रासायनिक गुणों का अध्ययन किया जाता है। विज्ञान की इस शाखा के अंतर्गत खनिजों के निर्माण, बनावट, वर्गीकरण, उनके पाए जाने के भौगोलिक स्थानों और उनके गुणों को भी शामिल किया गया है। इसके माध्यम से ही खनिजों के प्रयोग और उपयोग का भी अध्ययन इसी में किया जाता है। विज्ञान की अन्य शाखाओं की भांति ही इसकी उत्पत्ति भी कई हजार वर्ष पूर्व हुई थी। वर्तमान खनिज विज्ञान का क्षेत्र, कई दूसरी शाखाओं जैसे, जीव विज्ञान और रासायनिकी तक विस्तृत हो गया है। यूनानी दार्शनिक सुकरात ने सबसे पहले खनिजों की उत्पत्ति और उनके गुणों को सिद्धांत रूप में प्रतुत किया था, हालांकि सुकरात और उनके समकालीन विचारक बाद में गलत सिद्ध हुए लेकिन उस समय के अनुसार उनके सिद्धांत नए और आधुनिक थे। किन्तु ये कहना भी अतिश्योक्ति न होगा कि उनकी अवधारणाओं के कारण ही खनिज विकास की जटिलताओं को सुलझाने में सहयोग मिला, जिस कारण आज उसके आधुनिक रूप से विज्ञान समृद्ध है। १६वीं शताब्दी के बाद जर्मन वैज्ञानिक जॉर्जियस एग्रिकोला के अथक प्रयासों के चलते खनिज विज्ञान ने आधुनिक रूप लेना शुरू किया। .

आर्थिक भौमिकी और खनिज विज्ञान के बीच समानता

आर्थिक भौमिकी और खनिज विज्ञान आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): खनिज

खनिज

विभिन्न प्रकार के खनिज खनिज ऐसे भौतिक पदार्थ हैं जो खान से खोद कर निकाले जाते हैं। कुछ उपयोगी खनिज पदार्थों के नाम हैं - लोहा, अभ्रक, कोयला, बॉक्साइट (जिससे अलुमिनियम बनता है), नमक (पाकिस्तान व भारत के अनेक क्षेत्रों में खान से नमक निकाला जाता है!), जस्ता, चूना पत्थर इत्यादि। .

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आर्थिक भौमिकी और खनिज विज्ञान के बीच तुलना

आर्थिक भौमिकी 8 संबंध है और खनिज विज्ञान 26 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 2.94% है = 1 / (8 + 26)।

संदर्भ

यह लेख आर्थिक भौमिकी और खनिज विज्ञान के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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