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आर्थर शोपेनहावर और त्रोत्स्की

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

आर्थर शोपेनहावर और त्रोत्स्की के बीच अंतर

आर्थर शोपेनहावर vs. त्रोत्स्की

आर्थर शोपेनहावर आर्थर शोपेनहावर (Arthur Schopenhauer) (२२ फ़रवरी १७८८ - २१ सितम्बर १८६०) जर्मनी के प्रसिद्ध दार्शनिक थे। वे अपने 'नास्तिक निराशावाद' के दर्शन के लिये प्रसिद्ध हैं। उन्होने २५ वर्ष की आयु में अपना शोधपत्र पर्याप्त तर्क के चार मूल (On the Fourfold Root of the Principle of Sufficient Reason) प्रस्तुत किया जिसमें इस बात की मीमांसा की गयी थी कि क्या केवल तर्क (reason) संसार के गूढ रहस्यों से पर्दा उठा सकता है? बौद्ध दर्शन की भांति शोपेनहावर भी कि इच्च्हाओं (will) के शमन की आवश्यकता पर बल दिया है। . लेव त्रोत्स्की (१९२९ में) लेव त्रोत्सकी (रूसी:: Лев Дави́дович Тро́цкий; उच्चारण:; Leon Trotsky; 7 नवम्बर 1879 – 21 अगस्त 1940) रूस के मार्क्सवादी क्रांतिकारी तथा सिद्धान्तकार, सोवियत राजनेता तथा लाल सेना के संस्थापक व प्रथम नेता थे। रूसी क्रांति के बाद हुए भीषण गृह युद्ध में विजयी रही लाल सेना की कमान ट्रॉट्स्की के हाथ में ही थी। एक सिद्धांतकार के रूप में स्थायी क्रांति के सिद्धान्त के जरिये उन्होने मार्क्सवादी विमर्श में योगदान किया। इसके साथ ही ट्रॉट्स्की ने एक नियम का प्रतिपादन भी किया कि पूँजीवाद के विकास का स्तर सभी जगह एक सा नहीं होता जिसका परिणाम पिछड़े देशों में सामाजिक और ऐतिहासिक विकास के दो चरणों के एक साथ घटित हो जाने में निकलता है। बीसवीं सदी के पहले दशक में मार्क्सवादियों के बीच चल रहे बहस-मुबाहिसे के बीच ट्रॉट्स्की की इस सैद्धांतिक उपलब्धि ने रूस जैसे औद्योगिक रूप से पिछड़े देश में क्रांति करने के तर्क को मजबूती प्रदान की। लेनिन के देहांत के बाद ट्रॉट्स्की ने स्तालिन द्वारा प्रवर्तित एक देश में समाजवाद की स्थापना के सिद्धांत का विरोध किया, लेकिन वे पार्टी के भीतर होने वाले संघर्ष में अकेले पड़ते चले गये। पहले उन्हें पार्टी से निकाला गया, और फिर सोवियत राज्य के विरुद्ध षडयन्त्र करने के आरोप में देश-निकाला दे दिया गया। निष्कासन के दौरान ट्रॉट्स्की ने स्तालिन के नेतृत्व में बन रहे सोवियत संघ की कड़ी आलोचना करते हुए उसे नौकरशाह, निरंकुश और राजकीय पूँजीवादी राज्य की संज्ञा दी। सोवियत सीक्रेट पुलिस से बचने के लिए सारी दुनिया में भटकते हुए ट्रॉट्स्की ने 'परमानेंट रेवोल्यूशन' (1930), 'रेवोल्यूशन बिट्रेड' (1937) और तीन खण्डों में 'द हिस्ट्री ऑफ़ रशियन रेवोल्यूशन' (1931-33) जैसे क्लासिक ग्रंथ की रचना की। विश्व-क्रांति के अपने सपने को धरती पर उतारने के लिए उन्होंने चौथे कम्युनिस्ट इंटरनैशनल की स्थापना भी की जिसे कोई खास कामयाबी नहीं मिली। निष्कासन के दौरान ही मैक्सिको में स्तालिन के एक एजेंट के हाथों उन्हें जान से हाथ धोना पड़ा। ट्रॉट्स्की के अनुयायियों ने दुनिया के कई देशों में छोटी- छोटी कम्युनिस्ट पार्टियाँ बना रखी हैं। सोवियत शैली के कम्युनिज़म के विकल्प के रूप में उनके विचारों को ट्रॉट्स्कीवाद की संज्ञा मिल चुकी है। .

आर्थर शोपेनहावर और त्रोत्स्की के बीच समानता

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संदर्भ

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