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आर्कटिक और हिमानी

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

आर्कटिक और हिमानी के बीच अंतर

आर्कटिक vs. हिमानी

right कृत्रिम रूप से रंगा हुआ आर्कटिक का स्थलाकृतिक मानचित्र आर्कटिक, पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव के आसपास के क्षेत्र को ठीक उसी प्रकार कहते हैं, जिस तरह दक्षिणी ध्रुव के आसपास का क्षेत्र अंटार्कटिक कहलाता है। आर्कटिक क्षेत्र में आर्कटिक महासागर (जो उत्तरी ध्रुव पर फैला है), कनाडा के कुछ भाग, ग्रीनलैंड (डेनमार्क का एक क्षेत्र), रूस का कुछ हिस्सा, संयुक्त राज्य अमेरिका (अलास्का), आइसलैंड, नार्वे, स्वीडन और फिनलैंड शामिल हैं। आर्कटिक शब्द यूनानी शब्द αρκτικός (आर्टिकोस) से आता है जो या तो नक्षत्र-मंड़ल सप्तऋषि या फिर ध्रुव तारे को इंगित करता है। आर्कटिक क्षेत्र को आर्कटिक वृत (66°33'N) के उत्तरी क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो अर्धरात्रि सूर्य और ध्रुवीय रात की अनुमानित सीमा है। इसको एक दूसरी तरह से परिभाषित करने के लिए कहा जा सकता है कि, यह वह क्षेत्र है जहां सबसे गर्म माह (जुलाई) का औसत तापमान 10 डिग्री सेल्सियस (50 °F) से कम होता है और सबसे उत्तरी वृक्ष रेखा इस क्षेत्र की सीमा की समताप रेखा से लगभग मिलती है। सामाजिक और राजनीतिक रूप से आर्कटिक क्षेत्र में आठ आर्कटिक देशों के उत्तरी क्षेत्र शामिल है, हालांकि प्राकृतिक विज्ञान की परिभाषाओं के अनुसार इन देशों के इन उत्तरी क्षेत्रों को उप-आर्कटिक क्षेत्र माना जाता है। आर्कटिक क्षेत्र में एक विशाल बर्फ से ढका महासागर है (जिसे कभी कभी अटलांटिक महासागर का उत्तरी भाग भी माना जाता है) जिसके चारों ओर वनस्पतिविहीन पर्माफ्रोस्ट (स्थायीतुषार) उपस्थित है। हाल के वर्षों में समुद्र में बर्फ की मात्रा में कमी आई है। आर्कटिक के जीवनचक्र में बर्फ में रहने वाले जीव, प्राणीप्लवक, पादपप्लवक, मछलियां, समुद्री स्तनपायी, पक्षी, स्थलचर जीव, पादप और मानव शामिल हैं। आर्कटिक क्षेत्र पृथ्वी की पारिस्थितिकी प्रणालियों के बीच एक अद्वितीय क्षेत्र है। आर्कटिक के मूल निवासी और उनकी संस्कृति इस क्षेत्र की विषम शीत और चरम परिस्थितियों के लिए अभ्यस्त हो गये हैं। भूमंडलीय ऊष्मीकरण के परिणामस्वरूप ध्रुवों की ओर खिसकती समताप रेखाओं (पिछले 30 वर्षों के दौरान लगभग 35 मील प्रति दशक) के कारण आर्कटिक क्षेत्र जिसे वृक्ष रेखा और तापमान के द्वारा परिभाषित किया जाता है, वर्तमान में सिकुड़ रहा है, जिसका शायद सबसे बड़ा परिणाम समुद्री बर्फ की मात्रा में आई कमी है। भिन्न भिन्न परीक्षण अनुमानों के अनुसार आर्कटिक सागर की ज्यादातर बर्फ या तो पूरी तरह से या फिर इसकी ज्यादातर सितंबर 2040 से लेकर सन 2100 के बाद के कुछ समय तक, नष्ट हो जायेगी। . काराकोरम की बाल्तोरो हिमानी हिमानी या हिमनद (अंग्रेज़ी Glacier) पृथ्वी की सतह पर विशाल आकार की गतिशील बर्फराशि को कहते है जो अपने भार के कारण पर्वतीय ढालों का अनुसरण करते हुए नीचे की ओर प्रवाहमान होती है। ध्यातव्य है कि यह हिमराशि सघन होती है और इसकी उत्पत्ति ऐसे इलाकों में होती है जहाँ हिमपात की मात्रा हिम के क्षय से अधिक होती है और प्रतिवर्ष कुछ मात्रा में हिम अधिशेष के रूप में बच जाता है। वर्ष दर वर्ष हिम के एकत्रण से निचली परतों के ऊपर दबाव पड़ता है और वे सघन हिम (Ice) के रूप में परिवर्तित हो जाती हैं। यही सघन हिमराशि अपने भार के कारण ढालों पर प्रवाहित होती है जिसे हिमनद कहते हैं। प्रायः यह हिमखंड नीचे आकर पिघलता है और पिघलने पर जल देता है। पृथ्वी पर ९९% हिमानियाँ ध्रुवों पर ध्रुवीय हिम चादर के रूप में हैं। इसके अलावा गैर-ध्रुवीय क्षेत्रों के हिमनदों को अल्पाइन हिमनद कहा जाता है और ये उन ऊंचे पर्वतों के सहारे पाए जाते हैं जिन पर वर्ष भर ऊपरी हिस्सा हिमाच्छादित रहता है। ये हिमानियाँ समेकित रूप से विश्व के मीठे पानी (freshwater) का सबसे बड़ा भण्डार हैं और पृथ्वी की धरातलीय सतह पर पानी के सबसे बड़े भण्डार भी हैं। हिमानियों द्वारा कई प्रकार के स्थलरूप भी निर्मित किये जाते हैं जिनमें प्लेस्टोसीन काल के व्यापक हिमाच्छादन के दौरान बने स्थलरूप प्रमुख हैं। इस काल में हिमानियों का विस्तार काफ़ी बड़े क्षेत्र में हुआ था और इस विस्तार के दौरान और बाद में इन हिमानियों के निवर्तन से बने स्थलरूप उन जगहों पर भी पाए जाते हैं जहाँ आज उष्ण या शीतोष्ण जलवायु पायी जाती है। वर्तमान समय में भी उन्नीसवी सदी के मध्य से ही हिमानियों का निवर्तन जारी है और कुछ विद्वान इसे प्लेस्टोसीन काल के हिम युग के समापन की प्रक्रिया के तौर पर भी मानते हैं। हिमानियों का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि ये जलवायु के दीर्घकालिक परिवर्तनों जैसे वर्षण, मेघाच्छादन, तापमान इत्यादी के प्रतिरूपों, से प्रभावित होते हैं और इसीलिए इन्हें जलवायु परिवर्तन और समुद्र तल परिवर्तन का बेहतर सूचक माना जाता है। .

आर्कटिक और हिमानी के बीच समानता

आर्कटिक और हिमानी आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): पृथ्वी

पृथ्वी

पृथ्वी, (अंग्रेज़ी: "अर्थ"(Earth), लातिन:"टेरा"(Terra)) जिसे विश्व (The World) भी कहा जाता है, सूर्य से तीसरा ग्रह और ज्ञात ब्रह्माण्ड में एकमात्र ग्रह है जहाँ जीवन उपस्थित है। यह सौर मंडल में सबसे घना और चार स्थलीय ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है। रेडियोधर्मी डेटिंग और साक्ष्य के अन्य स्रोतों के अनुसार, पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 बिलियन साल हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण, अंतरिक्ष में अन्य पिण्ड के साथ परस्पर प्रभावित रहती है, विशेष रूप से सूर्य और चंद्रमा से, जोकि पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह हैं। सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के दौरान, पृथ्वी अपनी कक्षा में 365 बार घूमती है; इस प्रकार, पृथ्वी का एक वर्ष लगभग 365.26 दिन लंबा होता है। पृथ्वी के परिक्रमण के दौरान इसके धुरी में झुकाव होता है, जिसके कारण ही ग्रह की सतह पर मौसमी विविधताये (ऋतुएँ) पाई जाती हैं। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण के कारण समुद्र में ज्वार-भाटे आते है, यह पृथ्वी को इसकी अपनी अक्ष पर स्थिर करता है, तथा इसकी परिक्रमण को धीमा कर देता है। पृथ्वी न केवल मानव (human) का अपितु अन्य लाखों प्रजातियों (species) का भी घर है और साथ ही ब्रह्मांड में एकमात्र वह स्थान है जहाँ जीवन (life) का अस्तित्व पाया जाता है। इसकी सतह पर जीवन का प्रस्फुटन लगभग एक अरब वर्ष पहले प्रकट हुआ। पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिये आदर्श दशाएँ (जैसे सूर्य से सटीक दूरी इत्यादि) न केवल पहले से उपलब्ध थी बल्कि जीवन की उत्पत्ति के बाद से विकास क्रम में जीवधारियों ने इस ग्रह के वायुमंडल (the atmosphere) और अन्य अजैवकीय (abiotic) परिस्थितियों को भी बदला है और इसके पर्यावरण को वर्तमान रूप दिया है। पृथ्वी के वायुमंडल में आक्सीजन की वर्तमान प्रचुरता वस्तुतः जीवन की उत्पत्ति का कारण नहीं बल्कि परिणाम भी है। जीवधारी और वायुमंडल दोनों अन्योन्याश्रय के संबंध द्वारा विकसित हुए हैं। पृथ्वी पर श्वशनजीवी जीवों (aerobic organisms) के प्रसारण के साथ ओजोन परत (ozone layer) का निर्माण हुआ जो पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र (Earth's magnetic field) के साथ हानिकारक विकिरण को रोकने वाली दूसरी परत बनती है और इस प्रकार पृथ्वी पर जीवन की अनुमति देता है। पृथ्वी का भूपटल (outer surface) कई कठोर खंडों या विवर्तनिक प्लेटों में विभाजित है जो भूगर्भिक इतिहास (geological history) के दौरान एक स्थान से दूसरे स्थान को विस्थापित हुए हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से धरातल का करीब ७१% नमकीन जल (salt-water) के सागर से आच्छादित है, शेष में महाद्वीप और द्वीप; तथा मीठे पानी की झीलें इत्यादि अवस्थित हैं। पानी सभी ज्ञात जीवन के लिए आवश्यक है जिसका अन्य किसी ब्रह्मांडीय पिण्ड के सतह पर अस्तित्व ज्ञात नही है। पृथ्वी की आतंरिक रचना तीन प्रमुख परतों में हुई है भूपटल, भूप्रावार और क्रोड। इसमें से बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और एक ठोस लोहे और निकल के आतंरिक कोर (inner core) के साथ क्रिया करके पृथ्वी मे चुंबकत्व या चुंबकीय क्षेत्र को पैदा करता है। पृथ्वी बाह्य अंतरिक्ष (outer space), में सूर्य और चंद्रमा समेत अन्य वस्तुओं के साथ क्रिया करता है वर्तमान में, पृथ्वी मोटे तौर पर अपनी धुरी का करीब ३६६.२६ बार चक्कर काटती है यह समय की लंबाई एक नाक्षत्र वर्ष (sidereal year) है जो ३६५.२६ सौर दिवस (solar day) के बराबर है पृथ्वी की घूर्णन की धुरी इसके कक्षीय समतल (orbital plane) से लम्बवत (perpendicular) २३.४ की दूरी पर झुका (tilted) है जो एक उष्णकटिबंधीय वर्ष (tropical year) (३६५.२४ सौर दिनों में) की अवधी में ग्रह की सतह पर मौसमी विविधता पैदा करता है। पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा (natural satellite) है, जिसने इसकी परिक्रमा ४.५३ बिलियन साल पहले शुरू की। यह अपनी आकर्षण शक्ति द्वारा समुद्री ज्वार पैदा करता है, धुरिय झुकाव को स्थिर रखता है और धीरे-धीरे पृथ्वी के घूर्णन को धीमा करता है। ग्रह के प्रारंभिक इतिहास के दौरान एक धूमकेतु की बमबारी ने महासागरों के गठन में भूमिका निभाया। बाद में छुद्रग्रह (asteroid) के प्रभाव ने सतह के पर्यावरण पर महत्वपूर्ण बदलाव किया। .

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आर्कटिक और हिमानी के बीच तुलना

आर्कटिक 20 संबंध है और हिमानी 15 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 2.86% है = 1 / (20 + 15)।

संदर्भ

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