आर्कटिक और ओजोन ह्रास के बीच समानता
आर्कटिक और ओजोन ह्रास आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): दक्षिणी ध्रुव, पृथ्वी, भूमंडलीय ऊष्मीकरण।
दक्षिणी ध्रुव
दक्षिणी ध्रुवदक्षिणी ध्रुव पृथ्वी का सबसे दक्षिणी छोर है। इसे अंटार्कटिका के नाम से भी जाना जाता है। तथ्यानुसार दो मुख्य दक्षिणी ध्रुव हैं, एक स्थिर और दूसरा जो घूमता है। चुम्बकीय उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव वहाँ होते है जहाँ पर कम्पास संकेत करता है। ये ध्रुव वर्ष प्रतिवर्ष घूमते रहते हैं। केवल कम्पास को देखकर ही लोग यह बता सकते हैं की वे इन ध्रुवों के निकट है। दक्षिणी ध्रुव से सारी दिशाएँ उत्तर में होती हैं, पर ध्रुवों के बिल्कुल निकट कम्पास भरोसेमंद नहीं है। भौगोलिक उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव वे ध्रुव हैं जिनपर पृथ्वी घूमती है, वहीं जिन्हें लोग एक ग्लोब पर देखते हैं कहाँ पर साती उत्तर/दक्षिण की रेखाएँ मिलती है। ये ध्रुव एक ही स्थान पर रहते है और यही वे ध्रुव होते हैं जब हम केवल उत्तरी या दक्षिणी ध्रुव कहते हैं। लोग कुछ विशेष तारों को देखकर ये बता सकते हैं कि वे इन ध्रुवों पर है। ध्रुवों पर एक तारा समान ऊँचाई पर चक्कर लगाता है और क्षितिज पर कबी भी अस्त नहीं होता। दक्षिणी ध्रुव पर पड़ने वाला महाद्वीप है अंटार्कटिका। यह बहुत ही ठंडा स्थान है। सर्दियों के दौरान कई सप्ताहों तक यहाँ सूर्योदय नहीं होता। और गर्मियों के दौरान, दिसंबर के अंत से मार्च के अंत तक सूर्यास्त नहीं होता। स्वयं ध्रुवीय बिन्दु पर भी छः महीने की सर्दियाँ होती हैं और इतने समय तक सूर्योदय नहीं होता। और जब सूर्योदय होता है तो, यह छः महीनों की लंबी गर्मियाँ आरंभ होती हैं, जब कोई व्यक्ति दिन के किसी भी समय खड़े होकर सूरज को क्षितिज के ऊपर घड़ी की उल्टी दिशा में अपने चारो ओर घूमते हुए देख सकता है। दक्षिणी ध्रुव पर पहुँचना कठिन है। उत्तरी ध्रुव के विपरीत, जोकि समुद्र और समतल समुद्री बर्फ से ढका होता है, दक्षिणी ध्रुव एक पर्वतीय महाद्वीप पर स्थित है। यह महाद्वीप है अंटार्कटिका। यह बर्फ की मोटी चादर से ढका है और अपने केंद्र पर तो १.५ किमी से भी मोटी बर्फ से। दक्षिणी ध्रुव बहुत ऊँचे स्थान पर है और बहुत वातमय (तूफ़ानी)। यह उन स्थानों से बहुत दूर है जहाँ पर वैज्ञानिकों की बस्तियाँ हैं और यहाँ जाने वाले जहाज़ों को प्रायः बर्फ़ीले समुद्री रास्ते से होकर जाना पड़ता है। तट पर पहुँचने के बाद भी भूमार्ग से यात्रा करने वाले खोजियों को ध्रुव तक पहुँचने के लिए १,६०० किलोमीटर से भी अधिक की यात्रा करनी पड़ती है। उन्हें तैरते हिमखंडों को पार करके बर्फ़ से ढकी भूमि और फ़िर सीधे खड़े पर्वतीय हिमनदों को जो टूटी, मुड़ी हुई समुद्र में गिरती बर्फ से ढके होते हैं और तेज़ जमाने वाली बर्फीली हवाओं वाले पठार को भी पार करना होता है। .
आर्कटिक और दक्षिणी ध्रुव · ओजोन ह्रास और दक्षिणी ध्रुव ·
पृथ्वी
पृथ्वी, (अंग्रेज़ी: "अर्थ"(Earth), लातिन:"टेरा"(Terra)) जिसे विश्व (The World) भी कहा जाता है, सूर्य से तीसरा ग्रह और ज्ञात ब्रह्माण्ड में एकमात्र ग्रह है जहाँ जीवन उपस्थित है। यह सौर मंडल में सबसे घना और चार स्थलीय ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है। रेडियोधर्मी डेटिंग और साक्ष्य के अन्य स्रोतों के अनुसार, पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 बिलियन साल हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण, अंतरिक्ष में अन्य पिण्ड के साथ परस्पर प्रभावित रहती है, विशेष रूप से सूर्य और चंद्रमा से, जोकि पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह हैं। सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के दौरान, पृथ्वी अपनी कक्षा में 365 बार घूमती है; इस प्रकार, पृथ्वी का एक वर्ष लगभग 365.26 दिन लंबा होता है। पृथ्वी के परिक्रमण के दौरान इसके धुरी में झुकाव होता है, जिसके कारण ही ग्रह की सतह पर मौसमी विविधताये (ऋतुएँ) पाई जाती हैं। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण के कारण समुद्र में ज्वार-भाटे आते है, यह पृथ्वी को इसकी अपनी अक्ष पर स्थिर करता है, तथा इसकी परिक्रमण को धीमा कर देता है। पृथ्वी न केवल मानव (human) का अपितु अन्य लाखों प्रजातियों (species) का भी घर है और साथ ही ब्रह्मांड में एकमात्र वह स्थान है जहाँ जीवन (life) का अस्तित्व पाया जाता है। इसकी सतह पर जीवन का प्रस्फुटन लगभग एक अरब वर्ष पहले प्रकट हुआ। पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिये आदर्श दशाएँ (जैसे सूर्य से सटीक दूरी इत्यादि) न केवल पहले से उपलब्ध थी बल्कि जीवन की उत्पत्ति के बाद से विकास क्रम में जीवधारियों ने इस ग्रह के वायुमंडल (the atmosphere) और अन्य अजैवकीय (abiotic) परिस्थितियों को भी बदला है और इसके पर्यावरण को वर्तमान रूप दिया है। पृथ्वी के वायुमंडल में आक्सीजन की वर्तमान प्रचुरता वस्तुतः जीवन की उत्पत्ति का कारण नहीं बल्कि परिणाम भी है। जीवधारी और वायुमंडल दोनों अन्योन्याश्रय के संबंध द्वारा विकसित हुए हैं। पृथ्वी पर श्वशनजीवी जीवों (aerobic organisms) के प्रसारण के साथ ओजोन परत (ozone layer) का निर्माण हुआ जो पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र (Earth's magnetic field) के साथ हानिकारक विकिरण को रोकने वाली दूसरी परत बनती है और इस प्रकार पृथ्वी पर जीवन की अनुमति देता है। पृथ्वी का भूपटल (outer surface) कई कठोर खंडों या विवर्तनिक प्लेटों में विभाजित है जो भूगर्भिक इतिहास (geological history) के दौरान एक स्थान से दूसरे स्थान को विस्थापित हुए हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से धरातल का करीब ७१% नमकीन जल (salt-water) के सागर से आच्छादित है, शेष में महाद्वीप और द्वीप; तथा मीठे पानी की झीलें इत्यादि अवस्थित हैं। पानी सभी ज्ञात जीवन के लिए आवश्यक है जिसका अन्य किसी ब्रह्मांडीय पिण्ड के सतह पर अस्तित्व ज्ञात नही है। पृथ्वी की आतंरिक रचना तीन प्रमुख परतों में हुई है भूपटल, भूप्रावार और क्रोड। इसमें से बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और एक ठोस लोहे और निकल के आतंरिक कोर (inner core) के साथ क्रिया करके पृथ्वी मे चुंबकत्व या चुंबकीय क्षेत्र को पैदा करता है। पृथ्वी बाह्य अंतरिक्ष (outer space), में सूर्य और चंद्रमा समेत अन्य वस्तुओं के साथ क्रिया करता है वर्तमान में, पृथ्वी मोटे तौर पर अपनी धुरी का करीब ३६६.२६ बार चक्कर काटती है यह समय की लंबाई एक नाक्षत्र वर्ष (sidereal year) है जो ३६५.२६ सौर दिवस (solar day) के बराबर है पृथ्वी की घूर्णन की धुरी इसके कक्षीय समतल (orbital plane) से लम्बवत (perpendicular) २३.४ की दूरी पर झुका (tilted) है जो एक उष्णकटिबंधीय वर्ष (tropical year) (३६५.२४ सौर दिनों में) की अवधी में ग्रह की सतह पर मौसमी विविधता पैदा करता है। पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा (natural satellite) है, जिसने इसकी परिक्रमा ४.५३ बिलियन साल पहले शुरू की। यह अपनी आकर्षण शक्ति द्वारा समुद्री ज्वार पैदा करता है, धुरिय झुकाव को स्थिर रखता है और धीरे-धीरे पृथ्वी के घूर्णन को धीमा करता है। ग्रह के प्रारंभिक इतिहास के दौरान एक धूमकेतु की बमबारी ने महासागरों के गठन में भूमिका निभाया। बाद में छुद्रग्रह (asteroid) के प्रभाव ने सतह के पर्यावरण पर महत्वपूर्ण बदलाव किया। .
आर्कटिक और पृथ्वी · ओजोन ह्रास और पृथ्वी ·
भूमंडलीय ऊष्मीकरण
वैश्विक माध्य सतह का ताप 1961-1990 के सापेक्ष से भिन्न है 1995 से 2004 के दौरान औसत धरातलीय तापमान 1940 से 1980 तक के औसत तापमान से भिन्न है भूमंडलीय ऊष्मीकरण (या ग्लोबल वॉर्मिंग) का अर्थ पृथ्वी की निकटस्थ-सतह वायु और महासागर के औसत तापमान में 20वीं शताब्दी से हो रही वृद्धि और उसकी अनुमानित निरंतरता है। पृथ्वी की सतह के निकट विश्व की वायु के औसत तापमान में 2005 तक 100 वर्षों के दौरान 0.74 ± 0.18 °C (1.33 ± 0.32 °F) की वृद्धि हुई है। जलवायु परिवर्तन पर बैठे अंतर-सरकार पैनल ने निष्कर्ष निकाला है कि "२० वीं शताब्दी के मध्य से संसार के औसत तापमान में जो वृद्धि हुई है उसका मुख्य कारण मनुष्य द्वारा निर्मित ग्रीनहाउस गैसें हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, धरती के वातावरण के तापमान में लगातार हो रही विश्वव्यापी बढ़ोतरी को 'ग्लोबल वार्मिंग' कहा जा रहा है। हमारी धरती सूर्य की किरणों से उष्मा प्राप्त करती है। ये किरणें वायुमंडल से गुजरती हुईं धरती की सतह से टकराती हैं और फिर वहीं से परावर्तित होकर पुन: लौट जाती हैं। धरती का वायुमंडल कई गैसों से मिलकर बना है जिनमें कुछ ग्रीनहाउस गैसें भी शामिल हैं। इनमें से अधिकांश धरती के ऊपर एक प्रकार से एक प्राकृतिक आवरण बना लेती हैं जो लौटती किरणों के एक हिस्से को रोक लेता है और इस प्रकार धरती के वातावरण को गर्म बनाए रखता है। गौरतलब है कि मनुष्यों, प्राणियों और पौधों के जीवित रहने के लिए कम से कम 16 डिग्री सेल्शियस तापमान आवश्यक होता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रीनहाउस गैसों में बढ़ोतरी होने पर यह आवरण और भी सघन या मोटा होता जाता है। ऐसे में यह आवरण सूर्य की अधिक किरणों को रोकने लगता है और फिर यहीं से शुरू हो जाते हैं ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव। आईपीसीसी द्वारा दिये गये जलवायु परिवर्तन के मॉडल इंगित करते हैं कि धरातल का औसत ग्लोबल तापमान 21वीं शताब्दी के दौरान और अधिक बढ़ सकता है। सारे संसार के तापमान में होने वाली इस वृद्धि से समुद्र के स्तर में वृद्धि, चरम मौसम (extreme weather) में वृद्धि तथा वर्षा की मात्रा और रचना में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है। ग्लोबल वार्मिंग के अन्य प्रभावों में कृषि उपज में परिवर्तन, व्यापार मार्गों में संशोधन, ग्लेशियर का पीछे हटना, प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा आदि शामिल हैं। .
आर्कटिक और भूमंडलीय ऊष्मीकरण · ओजोन ह्रास और भूमंडलीय ऊष्मीकरण ·
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- आर्कटिक और ओजोन ह्रास के बीच समानता
आर्कटिक और ओजोन ह्रास के बीच तुलना
आर्कटिक 20 संबंध है और ओजोन ह्रास 66 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 3.49% है = 3 / (20 + 66)।
संदर्भ
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