आयुर्वेद और चरक संहिता के बीच समानता
आयुर्वेद और चरक संहिता आम में 6 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): चरक, सुश्रुत, सुश्रुत संहिता, वाग्भट, अष्टांगसंग्रह, अग्निवेश।
चरक
पतंजलि योगपीठ हरिद्वार में महर्षि चरक की प्रतिमा चरक एक महर्षि एवं आयुर्वेद विशारद के रूप में विख्यात हैं। वे कुषाण राज्य के राजवैद्य थे। इनके द्वारा रचित चरक संहिता एक प्रसिद्ध आयुर्वेद ग्रन्थ है। इसमें रोगनाशक एवं रोगनिरोधक दवाओं का उल्लेख है तथा सोना, चाँदी, लोहा, पारा आदि धातुओं के भस्म एवं उनके उपयोग का वर्णन मिलता है। आचार्य चरक ने आचार्य अग्निवेश के अग्निवेशतन्त्र में कुछ स्थान तथा अध्याय जोड्कर उसे नया रूप दिया जिसे आज चरक संहिता के नाम से जाना जाता है । 300-200 ई. पूर्व लगभगआयुर्वेद के आचार्य महर्षि चरक की गणना भारतीय औषधि विज्ञान के मूल प्रवर्तकों में होती है।चरक की शिक्षा तक्षशिला में हुई ।इनका रचा हुआ ग्रंथ 'चरक संहिता' आज भी वैद्यक का अद्वितीय ग्रंथ माना जाता है। इन्हें ईसा की प्रथम शताब्दी का बताते हैं। कुछ विद्वानों का मत है कि चरक कनिष्क के राजवैद्य थे परंतु कुछ लोग इन्हें बौद्ध काल से भी पहले का मानते हैं।आठवीं शताब्दी में इस ग्रंथ का अरबी भाषा में अनुवाद हुआ और यह शास्त्र पश्चिमी देशों तक पहुंचा।चरक संहिता में व्याधियों के उपचार तो बताए ही गए हैं, प्रसंगवश स्थान-स्थान पर दर्शन और अर्थशास्त्र के विषयों की भी उल्लेख है।उन्होंने आयुर्वेद के प्रमुख ग्रन्थों और उसके ज्ञान को इकट्ठा करके उसका संकलन किया । चरक ने भ्रमण करके चिकित्सकों के साथ बैठकें की, विचार एकत्र किए और सिद्धांतों को प्रतिपादित किया और उसे पढ़ाई लिखाई के योग्य बनाया । .
आयुर्वेद और चरक · चरक और चरक संहिता ·
सुश्रुत
सुश्रुत प्राचीन भारत के महान चिकित्साशास्त्री एवं शल्यचिकित्सक थे। उनको शल्य चिकित्सा का जनक कहा जाता है। .
आयुर्वेद और सुश्रुत · चरक संहिता और सुश्रुत ·
सुश्रुत संहिता
सुश्रुतसंहिता आयुर्वेद एवं शल्यचिकित्सा का प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ है। सुश्रुतसंहिता आयुर्वेद के तीन मूलभूत ग्रन्थों में से एक है। आठवीं शताब्दी में इस ग्रन्थ का अरबी भाषा में 'किताब-ए-सुस्रुद' नाम से अनुवाद हुआ था। सुश्रुतसंहिता में १८४ अध्याय हैं जिनमें ११२० रोगों, ७०० औषधीय पौधों, खनिज-स्रोतों पर आधारित ६४ प्रक्रियाओं, जन्तु-स्रोतों पर आधारित ५७ प्रक्रियाओं, तथा आठ प्रकार की शल्य क्रियाओं का उल्लेख है। इसके रचयिता सुश्रुत हैं जो छठी शताब्दी ईसापूर्व काशी में जन्मे थे। सुश्रुतसंहिता बृहद्त्रयी का एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। यह संहिता आयुर्वेद साहित्य में शल्यतन्त्र की वृहद साहित्य मानी जाती है। सुश्रुतसंहिता के उपदेशक काशिराज धन्वन्तरि हैं, एवं श्रोता रूप में उनके शिष्य आचार्य सुश्रुत सम्पूर्ण संहिता की रचना की है। इस सम्पूर्ण ग्रंथ में रोगों की शल्यचिकित्सा एवं शालाक्य चिकित्सा ही मुख्य उद्देश्य है। शल्यशास्त्र को आचार्य धन्वन्तरि पृथ्वी पर लाने वाले पहले व्यक्ति थे। बाद में आचार्य सुश्रुत ने गुरू उपदेश को तंत्र रूप में लिपिबद्ध किया, एवं वृहद ग्रन्थ लिखा जो सुश्रुत संहिता के नाम से वर्तमान जगत में रवि की तरह प्रकाशमान है। आचार्य सुश्रुत त्वचा रोपण तन्त्र (Plastic-Surgery) में भी पारंगत थे। आंखों के मोतियाबिन्दु निकालने की सरल कला के विशेषज्ञ थे। सुश्रुत संहिता शल्यतंत्र का आदि ग्रंथ है। .
आयुर्वेद और सुश्रुत संहिता · चरक संहिता और सुश्रुत संहिता ·
वाग्भट
वाग्भट नाम से कई महापुरुष हुए हैं। इनका वर्णन इस प्रकार है: .
आयुर्वेद और वाग्भट · चरक संहिता और वाग्भट ·
अष्टांगसंग्रह
अष्टांगसंग्रह आयुर्वेद का प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इसके रचयिता वाग्भट हैं। इसके आठ भाग (स्थान) हैं-.
अष्टांगसंग्रह और आयुर्वेद · अष्टांगसंग्रह और चरक संहिता ·
अग्निवेश
अग्निवेश या वह्रिवेश आयुर्वेदाचार्य थे जिन्होंने अग्निवेशतंत्र संहिता की रचनाकी। अग्निवेश, पुनर्वसु आत्रेय के सबसे अधिक प्रतिभाशाली शिष्य थे। इनके अन्य सहपाठी भेल, जतूकर्ण, पराशर, क्षीरपाणि एवं हारीत थे। अग्निवेशतंत्र संहिता का ही प्रतिसंस्कार चरक ने किया तथा उसका नाम चरक संहिता पड़ा। अग्निवेश के नाम से नाड़ी परीक्षा तथा हस्तिशास्त्र भी प्रसिद्ध हैं। इनके लिए वह्रिवेश (चरकसू.-13। 3), हुतावेश (चरक सू. 17। 15) नाम भी आते हैं। वह्रिवेश का समय वही है जो पुनर्वसु आत्रेय (700 ई. पू.) का है। अग्निवेश का नाम उपनिषद् (बृहदा 2। 6। 2-3) में भी आता है। श्रेणी:भारत के प्राचीन वैज्ञानिक श्रेणी:प्राचीन भारत श्रेणी:चित्र जोड़ें.
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आयुर्वेद और चरक संहिता के बीच तुलना
आयुर्वेद 69 संबंध है और चरक संहिता 41 है। वे आम 6 में है, समानता सूचकांक 5.45% है = 6 / (69 + 41)।
संदर्भ
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