आमवातीय संधिशोथ और श्रोगेन सिन्ड्रोम
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आमवातीय संधिशोथ और श्रोगेन सिन्ड्रोम के बीच अंतर
आमवातीय संधिशोथ vs. श्रोगेन सिन्ड्रोम
आमवातीय संधिशोथ या आमवातीय संध्यार्ति (अंग्रेज़ी:Rheumatoid arthritis) के आरंभिक अवस्था में जोड़ों में जलन होती है। आरंभिक अवस्था में यह काफी कम होती है। यह जलन एक समय में एक से अधिक संधियों (जोड़ों) में होती है। शुरुआत में छोटे-मोटे जोड़ जैसे- उंगलियों के जोड़ों में दर्द आरंभ होकर यह कलाई, घुटनों, अंगूठों में बढ़ता जाता है। गठिया संधि शोथ होने का सही कारण अभी तक अज्ञात है, आनुवांशिक पर्यावरण और हार्मोनल कारणों की वजह से होने वाले ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया से जलन शुरु होकर बाद में यह संधियों की विरूपता और उन्हें नष्ट करने का कारण बन जाती हैं। (शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रणाली अपनी ही कोशिकाओं को पहचान नहीं पाती हैं और इसलिए उसे संक्रमित कर देती है)। आनुवांशिकी कारक की वजह से रोग के होने की संभावना बनी रहती हैं। यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहती है। कुछ व्यक्तियों में पर्यावरणीय कारणों से भी यह रोग हो सकता है। कई संक्रामक अभिकरणों का पता चला है। रोग के बढ़ने या कम होने में हार्मोन विशेष भूमिका निभाते हैं। महिलाओं में रजोनिवृति के दौरान ऐसे मामले अधिकतर देखने में आते हैं।;आयु हालांकि यह रोग कभी भी हो सकता है परंतु २०-४० वर्ष के आयु वालों में यह रोग ज्यादा देखने में आया है।;लिंग महिलाओं, विशेषकर रजोनिवृत्ति को प्राप्त करने वाली महिलाओं में यह रोग पुरुषों की तुलना में तीन गुना अधिक पाया जाता है। . श्रोगेन सिन्ड्रोम (Sjögren's syndrome (SjS, SS)) वह रोग है जिसमें शरीर की नमी पैदा करने वाली ग्रन्थियाँ नमी बनाना बन्द कर देतीं हैं। इसके कारण शुष्क मुख एवं शुष्क नेत्र की समस्या एवं अन्य कई समस्याएँ पैदा होतीं हैं। शोग्रेन्स सिन्ड्रोम से उत्पन्न शुष्क त्वचा की विशेष देखभाल जरूरी है। खुजली, लालिमा, फटना या गलना - यह सब शुष्क त्वचा के लक्षण हैं। शुष्क त्वचा का प्रमुख कारण है शोग्रेन्स रोग द्वारा शरीर में प्रतिरोधक क्षमता की कमी और इससे नमी पैदा करने वाली ग्रंथियों का निष्क्रिय होना। एक बार निष्क्रिय होने पर तेल अथवा पसीने की ग्रंथियां पुनः सक्रिय नहीं हो सकतीं। हालांकि शोग्रेन्स सिन्ड्रोम से पीड़ित रोगी को सूखी त्वचा से परेशानी लगभग पूरे वर्ष बनी रहती है, फिर भी इसके लक्षण सर्दी के मौसम में अधिक प्रबल हो जाते हैं। बाहों, पैरों व कमर पर शुष्क त्वचा का सबसे गंभीर असर होता है। .
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