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आबेल तास्मान और प्रवाल शैल-श्रेणी

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

आबेल तास्मान और प्रवाल शैल-श्रेणी के बीच अंतर

आबेल तास्मान vs. प्रवाल शैल-श्रेणी

आबेल तास्मान की यात्रा का पथ आबेल जैनजून तास्मान, (Abel Janozoon Tasman; १६०३ - १६५९) डच नाविक, साहसिक अन्वेषक तथा व्यापारी थे। उनका स्थान १७वीं सदी के डच नाविकों तथा अन्वेषकों में सर्वश्रेष्ठ है। इन्होंने दक्षिणी प्रशांत महासागरीय क्षेत्र का विशद भ्रमण किया और तस्मानिया, न्यूजीलैंड, फीजी तथा छोटे-छोटे अन्य द्वीपों, समुद्रों तथा खाड़ियों का अन्वेषण किया। टैजमन अन्वेषक तथा नाविक होने के अतिरिक्त कुशल मानचित्रकार भी थे। डच ईस्ट इण्डिया कम्पनी (VOC) की सेवा में उनकी १६४२ से १६४४ की समुद्री यात्रा प्रसिद्ध है। . प्रवालभित्तियों की जैवविविधता प्रवालभित्तियाँ या प्रवाल शैल-श्रेणियाँ (Coral reefs) समुद्र के भीतर स्थित चट्टान हैं जो प्रवालों द्वारा छोड़े गए कैल्सियम कार्बोनेट से निर्मित होती हैं। वस्तुतः ये इन छोटे जीवों की बस्तियाँ होती हैं। साधारणत: प्रवाल-शैल-श्रेणियाँ, उष्ण एवं उथले जलवो सागरों, विशेषकर प्रशांत महासागर में स्थित, अनेक उष्ण अथवा उपोष्णदेशीय द्वीपों के सामीप्य में बहुतायत से पाई जाती है। ऐसा आँका गया है कि सब मिलाकर प्रवाल-शेल-श्रेणियाँ लगभग पाँच लाख वर्ग मील में फैली हुई हैं और तरंगों द्वारा इनके अपक्षरण से उत्पन्न कैसियम मलवा इससे भी कहीं अधिक क्षेत्र में समुद्र के पेदें में फैला हुआ है। कैल्सियम कार्बोनेट की इन भव्य शैलश्रेणियों का निर्माण प्रवालों में प्रजनन अंडों या मुकुलन (budding) द्वारा होता है, जिससे कई सहस्र प्रवालों के उपनिवेश मिलकर इन महान आकार के शैलों की रचना करते हैं। पॉलिप समुद्र जल से घुले हुए कैल्सियम को लेकर अपने शरीर के चारों प्याले के रूप में कैल्सियम कार्बोनेट का स्रावण करते हैं। इन पॉलिपों के द्वारा ही प्रवाल निवह का निर्माण होता है। ज्यों ज्यों प्रवाल निवहों का विस्तार होता जाता है, उनकी ऊर्ष्वमुखी वृद्धि होती रहती है। वृद्ध प्रवाल मरते जाते हैं, इन मृत्तक प्रवालों के कैल्सियमी कंकाल, जिनपर अन्य भविष्य की संततियां की वृद्धि होती है, नीचे दबते जाते हैं। कालांतर में इस प्रकार से संचित अवसाद श्वेत स्पंजी चूनापत्थर के रूप में संयोजित (cemented) हो जाते हैं। इनकी ऊपरी सतह पर प्रवाल निवास पलते और बढ़ते रहते हैं। इन्हीं से प्रवाल-शैल-श्रेणियाँ बनती हैं समुद्र सतह तक आ जाने पर इनकी ऊर्ध्वमुखी वृद्धि अवरुद्ध हो जाता है, क्योंकि खुले हुए वातावरण में प्रवाल कतिपय घंटों से अधिक जीवि नहीं रह सकते। सागर की गह्वरता और ताप का प्रवालशृंखलाओं के विस्तरर पर अत्याधिक प्रभाव पड़ता है, क्योंकि शैलनिर्माण करने वाले जीव केवल उन्हीं स्थानों पर जीवित रह सकते है, जहाँ पर जल निर्मल, उथला और उष्ण होता है। प्रवाल के लिये २०० सें.

आबेल तास्मान और प्रवाल शैल-श्रेणी के बीच समानता

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