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आधुनिक हिंदी पद्य का इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

आधुनिक हिंदी पद्य का इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम के बीच अंतर

आधुनिक हिंदी पद्य का इतिहास vs. स्वतंत्रता संग्राम

आधुनिक काल १८५० से हिंदी साहित्य के इस युग को भारत में राष्ट्रीयता के बीज अंकुरित होने लगे थे। स्वतंत्रता संग्राम लड़ा और जीता गया। छापेखाने का आविष्कार हुआ, आवागमन के साधन आम आदमी के जीवन का हिस्सा बने, जन संचार के विभिन्न साधनों का विकास हुआ, रेडिओ, टी वी व समाचार पत्र हर घर का हिस्सा बने और शिक्षा हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार। इन सब परिस्थितियों का प्रभाव हिंदी साहित्य पर अनिवार्यतः पड़ा। आधुनिक काल का हिंदी पद्य साहित्य पिछली सदी में विकास के अनेक पड़ावों से गुज़रा। जिसमें अनेक विचार धाराओं का बहुत तेज़ी से विकास हुआ। जहां काव्य में इसे छायावादी युग, प्रगतिवादी युग, प्रयोगवादी युग,नयी कविता युग और साठोत्तरी कविता इन नामों से जाना गया, छायावाद से पहले के पद्य को भारतेंदु हरिश्चंद्र युग और महावीर प्रसाद द्विवेदी युग के दो और युगों में बांटा गया। इसके विशेष कारण भी हैं। . किसी देश या प्रदेश की स्वाधीनता या स्वायत्ता के लिये उसके विरोधियों (प्रायः शासक) से युद्ध करने को स्वतंत्रता संग्राम कहते है। उदाहरणार्थ सुभाष चन्द्र बोस ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया । हिन्दी के महान लेेखक फणीश्वर नाथ रेणु 1942 में स्वत्त्रता संग्राम में कूद पड़े। स्वतंत्रता संग्राम में संघर्ष करने वालों को स्वतंत्रता सेनानी कहते हैं। .

आधुनिक हिंदी पद्य का इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम के बीच समानता

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संदर्भ

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