आदि शंकराचार्य और भारत में दर्शनशास्त्र के बीच समानता
आदि शंकराचार्य और भारत में दर्शनशास्त्र आम में 4 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): ब्रह्मसूत्र, मण्डन मिश्र, वेदान्त दर्शन, उपनिषद्।
ब्रह्मसूत्र
ब्रहमसूत्र, हिन्दुओं के छः दर्शनों में से एक है। इसके रचयिता बादरायण हैं। इसे वेदान्त सूत्र, उत्तर-मीमांसा सूत्र, शारीरिक सूत्र और भिक्षु सूत्र आदि के नाम से भी जाना जाता है। इस पर अनेक भाष्य भी लिखे गये हैं। वेदान्त के तीन मुख्य स्तम्भ माने जाते हैं - उपनिषद्, भगवदगीता एवं ब्रह्मसूत्र। इन तीनों को प्रस्थान त्रयी कहा जाता है। इसमें उपनिषदों को श्रुति प्रस्थान, गीता को स्मृति प्रस्थान और ब्रह्मसूत्रों को न्याय प्रस्थान कहते हैं। ब्रह्म सूत्रों को न्याय प्रस्थान कहने का अर्थ है कि ये वेदान्त को पूर्णतः तर्कपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करता है। (न्याय .
आदि शंकराचार्य और ब्रह्मसूत्र · ब्रह्मसूत्र और भारत में दर्शनशास्त्र ·
मण्डन मिश्र
श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ के संस्थापक डॉ मंडन मिश्र के बारे में अन्यत्र देखें। ---- मंडन मिश्र, पूर्व मीमांसा दर्शन के बड़े प्रसिद्ध आचार्य थे। कुमारिल भट्ट के बाद इन्हीं को प्रमाण माना जाता है। अद्वैत वेदांत दर्शन में भी इनके मत का आदर है। ये भर्तृहरि के बाद कुमारिल के अंतिम समय में तथा आदि शंकराचार्य के समकालीन थे। मीमांसा और वेदांत दोनों दर्शनों पर इन्होंने मौलिक ग्रंथ लिखे। मीमांसानुक्रमाणिका, भावनाविवेक और विधिविवेक - ये तीन ग्रंथ मीमांसा पर; शब्द दर्शन पर स्फोटसिद्धि, प्रमाणाशास्त्र पर विवेक तथा अद्वैत वेदांत पर ब्रह्मसिद्धि - ये इनके ग्रंथ हैं। शालिकनाथ तथा जयंत भट्ट ने वेदांत का खंडन करते समय मंडन का ही उल्लेख किया। शांकर भाष्य के सुप्रसिद्ध व्याख्याता, भामती के निर्माता वाचस्पति मिश्र ने मंडन की ब्रह्मसिद्धि को ध्यान में रखकर अपनी कृति लिखी। मण्डन मिश्र व शंकराचार्य का शास्त्रार्थ स्थल, मण्डलेश्वर (जिला खरगोन, तहसील महेश्वर) नर्मदा नदी पर स्थित पवित्र नगरी है ॥ छप्पन देव मन्दिर, शास्त्रार्थ स्थल प्राचीन है एवं जगद्गुरू आदि शंकराचार्य का परकाया प्रवेश स्थल गुप्तेश्वर महादेव मन्दिर बडे रमणीय स्थान है ॥ जिसके कारण मण्डलेश्वर अत्यंत प्रसिध्द है ll .
आदि शंकराचार्य और मण्डन मिश्र · भारत में दर्शनशास्त्र और मण्डन मिश्र ·
वेदान्त दर्शन
वेदान्त ज्ञानयोग की एक शाखा है जो व्यक्ति को ज्ञान प्राप्ति की दिशा में उत्प्रेरित करता है। इसका मुख्य स्रोत उपनिषद है जो वेद ग्रंथो और अरण्यक ग्रंथों का सार समझे जाते हैं। उपनिषद् वैदिक साहित्य का अंतिम भाग है, इसीलिए इसको वेदान्त कहते हैं। कर्मकांड और उपासना का मुख्यत: वर्णन मंत्र और ब्राह्मणों में है, ज्ञान का विवेचन उपनिषदों में। 'वेदान्त' का शाब्दिक अर्थ है - 'वेदों का अंत' (अथवा सार)। वेदान्त की तीन शाखाएँ जो सबसे ज्यादा जानी जाती हैं वे हैं: अद्वैत वेदान्त, विशिष्ट अद्वैत और द्वैत। आदि शंकराचार्य, रामानुज और श्री मध्वाचार्य जिनको क्रमश: इन तीनो शाखाओं का प्रवर्तक माना जाता है, इनके अलावा भी ज्ञानयोग की अन्य शाखाएँ हैं। ये शाखाएँ अपने प्रवर्तकों के नाम से जानी जाती हैं जिनमें भास्कर, वल्लभ, चैतन्य, निम्बारक, वाचस्पति मिश्र, सुरेश्वर और विज्ञान भिक्षु। आधुनिक काल में जो प्रमुख वेदान्ती हुये हैं उनमें रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, अरविंद घोष, स्वामी शिवानंद राजा राममोहन रॉय और रमण महर्षि उल्लेखनीय हैं। ये आधुनिक विचारक अद्वैत वेदान्त शाखा का प्रतिनिधित्व करते हैं। दूसरे वेदान्तो के प्रवर्तकों ने भी अपने विचारों को भारत में भलिभाँति प्रचारित किया है परन्तु भारत के बाहर उन्हें बहुत कम जाना जाता है। .
आदि शंकराचार्य और वेदान्त दर्शन · भारत में दर्शनशास्त्र और वेदान्त दर्शन ·
उपनिषद्
उपनिषद् हिन्दू धर्म के महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रन्थ हैं। ये वैदिक वाङ्मय के अभिन्न भाग हैं। इनमें परमेश्वर, परमात्मा-ब्रह्म और आत्मा के स्वभाव और सम्बन्ध का बहुत ही दार्शनिक और ज्ञानपूर्वक वर्णन दिया गया है। उपनिषदों में कर्मकांड को 'अवर' कहकर ज्ञान को इसलिए महत्व दिया गया कि ज्ञान स्थूल से सूक्ष्म की ओर ले जाता है। ब्रह्म, जीव और जगत् का ज्ञान पाना उपनिषदों की मूल शिक्षा है। भगवद्गीता तथा ब्रह्मसूत्र उपनिषदों के साथ मिलकर वेदान्त की 'प्रस्थानत्रयी' कहलाते हैं। उपनिषद ही समस्त भारतीय दर्शनों के मूल स्रोत हैं, चाहे वो वेदान्त हो या सांख्य या जैन धर्म या बौद्ध धर्म। उपनिषदों को स्वयं भी वेदान्त कहा गया है। दुनिया के कई दार्शनिक उपनिषदों को सबसे बेहतरीन ज्ञानकोश मानते हैं। उपनिषद् भारतीय सभ्यता की विश्व को अमूल्य धरोहर है। मुख्य उपनिषद 12 या 13 हैं। हरेक किसी न किसी वेद से जुड़ा हुआ है। ये संस्कृत में लिखे गये हैं। १७वी सदी में दारा शिकोह ने अनेक उपनिषदों का फारसी में अनुवाद कराया। १९वीं सदी में जर्मन तत्त्ववेता शोपेनहावर और मैक्समूलर ने इन ग्रन्थों में जो रुचि दिखलाकर इनके अनुवाद किए वह सर्वविदित हैं और माननीय हैं। .
आदि शंकराचार्य और उपनिषद् · उपनिषद् और भारत में दर्शनशास्त्र ·
सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब
- क्या आदि शंकराचार्य और भारत में दर्शनशास्त्र लगती में
- यह आम आदि शंकराचार्य और भारत में दर्शनशास्त्र में है क्या
- आदि शंकराचार्य और भारत में दर्शनशास्त्र के बीच समानता
आदि शंकराचार्य और भारत में दर्शनशास्त्र के बीच तुलना
आदि शंकराचार्य 68 संबंध है और भारत में दर्शनशास्त्र 56 है। वे आम 4 में है, समानता सूचकांक 3.23% है = 4 / (68 + 56)।
संदर्भ
यह लेख आदि शंकराचार्य और भारत में दर्शनशास्त्र के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: