लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

आत्महत्या और कर्ट कोबेन

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

आत्महत्या और कर्ट कोबेन के बीच अंतर

आत्महत्या vs. कर्ट कोबेन

आत्महत्या (लैटिन suicidium, sui caedere से, जिसका अर्थ है "स्वयं को मारना") जानबूझ कर अपनी मृत्यु का कारण बनने के लिए कार्य करना है। आत्महत्या अक्सर निराशा के चलते की जाती है, जिसके लिए अवसाद, द्विध्रुवीय विकार, मनोभाजन, शराब की लत या मादक दवाओं का सेवनजैसे मानसिक विकारों को जिम्मेदार ठहराया जाता है। तनाव के कारक जैसे वित्तीय कठिनाइयां या पारस्परिक संबंधों में परेशानियों की भी अक्सर एक भूमिका होती है। आत्महत्या को रोकने के प्रयासों में आग्नेयास्त्रों तक पहुंच को सीमित करना, मानसिक बीमारी का उपचार करना तथा नशीली दवाओं के उपयोग को रोकना तथा आर्थिक विकास को बेहतर करना शामिल हैं। आत्महत्या करने के लिए उपयोग की जाने वाली सबसे आम विधि, देशों के अनुसार भिन्न-भिन्न होती है और आंशिक रूप से उपलब्धता से संबंधित है। आम विधियों में निम्नलिखित शामिल हैं: लटकना, कीटनाशक ज़हर पीना और बंदूकें। लगभग 8,00,000 से 10,00,000 लोग हर वर्ष आत्महत्या करते हैं, जिस कारण से यह दुनिया का दसवे नंबर का मानव मृत्यु का कारण है। पुरुषों से महिलाओं में इसकी दर अधिक है, पुरुषों में महिलाओं की तुलना में इसके होने का समभावना तीन से चार गुना तक अधिक है। अनुमानतः प्रत्येक वर्ष 10 से 20 मिलियन गैर-घातक आत्महत्या प्रयास होते हैं। युवाओं तथा महिलाओं में प्रयास अधिक आम हैं। इतिहास सम्मान और जीवन का अर्थ जैसे व्यापक अस्तित्व विषयों द्वारा आत्महत्या के विचारों पर प्रभाव पड़ता है। अब्राहमिक धर्म पारम्परिक रूप से आत्महत्या को ईश्वर के समक्ष किया जाने वाला पाप मानते हैं क्योंकि वे जीवन की पवित्रतामें विश्वास करते हैं। जापान में सामुराई युग में, सेप्पुकू को विफलता का प्रायश्चित या विरोध का एक रूप माना जाता था। सती, जो अब कानूनन निषिद्ध है हिंदू दाह संस्कार है, जो पति की चिता पर विधवा द्वारा खुद को बलिदान करने से संबंधित है, यह अपनी इच्छा या परिवार व समाज के दबाव में किया जाता था। आत्महत्या और आत्महत्या का प्रयास, पूर्व में आपराधिक रूप से दंडनीय था लेकिन पश्चिमी देशों में अब ऐसा नहीं है। बहुत से मुस्लिम देशों में यह आज भी दंडनीय अपराध है। 20वीं और 21 वीं शताब्दी में आत्मदाह के रूप में आत्महत्या विरोध का एक तरीका है और कामीकेज़ और आत्मघाती वम विस्फोट को फौजी या आतंकवादी युक्ति के रूप में उपयोग किया जाता है। . कर्ट डोनाल्ड कोबेन (उच्चारण / koʊbeɪn /, / kʌbeɪn /; 20 फ़रवरी 1967 - सी 5 अप्रैल 1994) एक अमेरिकी गीतकार और संगीतकार और रॉक बैंड निर्वाण के मुख्य गायक और गिटारवादक थे। निर्वाण के दूसरे एलबम नेवरमाइंड (1991) के मुख्य सिंगल "स्‍मेल्‍स लाइक टीन स्पिरिट" के साथ निर्वाण ने मुख्यधारा में प्रवेश किया और वैकल्पिक रॉक की उपशैली को लोकप्रिय किया जिसे ग्रूंज कहते हैं। अन्य सिएटल ग्रूंज बैंड जैसे एलिस इन चैन्स, पर्ल जैम और साउंडगार्डन को भी व्यापक श्रोता प्राप्त हुए और परिणामस्वरूप वैकल्पिक रॉक 1990 के दशक के प्रारम्भ से मध्य के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में रेडियो और संगीत टेलीविजन पर एक प्रमुख अंग बन गया। निर्वाण को "जनरेशन X" के "प्रमुख बैंड" के तौर पर देखा गया और कोबेन ने पाया कि उसका अग्रणी व्यक्ति होने के नाते मीडिया ने जनरेशन के प्रवक्ता के तौर पर नियुक्त किया है। कोबेन चौकसी से परेशान थे और उन्होंने बैंड के संगीत पर अपना ध्यान केंद्रित रखा और उनका मानना था कि बैंड के तीसरे स्टूडिओ एलबम इन उटेरो (1993) के श्रोताओं को चुनौती देकर बैंड के संदेश और कलात्मक दृष्टि की जनता द्वारा गलत व्याख्या की जा रही है। अपने जीवन के अंतिम वर्षों के दौरान कोबेन ने अपनी हेरोइन की लत, बीमारी और अवसाद, अपनी प्रसिद्धि और सार्वजनिक छवि के साथ ही पेशेवर और अपने तथा अपनी संगीतकार पत्नी कर्टनी लव के आसपास जीवन पर्यन्त व्यक्तिगत दबाव के साथ संघर्ष किया। 8 अप्रैल 1994 को कोबेन सिएटल में अपने घर पर मृत पाये गये, जो आधिकारिक तौर पर अपने सिर पर गोली मार कर की गयी आत्महत्या थी। उनकी मौत की परिस्थितियां कई बार आकर्षण और विवाद का विषय बन गयीं। निर्वाण में गीतकार के तौर पर कोबेन के पहले प्रयास के बाद से अकेले अमेरिका में पच्चीस मिलियन और दुनिया भर में पचास मिलिनय से अधिक एलबम बिके.

आत्महत्या और कर्ट कोबेन के बीच समानता

आत्महत्या और कर्ट कोबेन आम में 4 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): द्विध्रुवी विकार, लिथियम, जैन धर्म, विचारधारा

द्विध्रुवी विकार

द्रिध्रुवी विकार एक गंभीर प्रकार का मानसिक रोग है जो एक प्रकार का मनोदशा विकार है। इस रोग से ग्रसित रोगी की मनोदशा बारी-बारी से दो विपरीत अवस्थाओं में जाती रहती है। एक मनोदशा को सनक या उन्माद और दूसरी मनोदशा को अवसाद कहते हैं। सनक की मनोदशा में रोगी अति-आशावादी हो सकता है; अपने बारे मे बढ़ी-चढ़ी धारणा रख सकता है (जैसे मैं बहुत धनी, रचनाशील या शक्तिशाली हूँ); व्यक्ति अति-क्रियाशील हो सकता है (धड़ाधड़ भाषण, तेज गति से बदलते हुए विचार आदि); रोगी सोना नहीं चाहता या सोने को अनावश्यक कहता है आदि। दूसरी तरफ अवसाद की मनोदशा में रोगी उदास रहता है; उसको थकान लगती है; अपने को दोषी महसूस करता है या उसमें आशाहीनता दिखायी देती है। .

आत्महत्या और द्विध्रुवी विकार · कर्ट कोबेन और द्विध्रुवी विकार · और देखें »

लिथियम

लिथियम एक रासायनिक तत्व है। साधारण परिस्थितियों में यह प्रकृति की सबसे हल्की धातु और सबसे कम घनत्व-वाला ठोस पदार्थ है। रासायनिक दृष्टि से यह क्षार धातु समूह का सदस्य है और अन्य क्षार धातुओं की तरह अत्यंत अभिक्रियाशील (रियेक्टिव) है, यानि अन्य पदार्थों के साथ तेज़ी से रासायनिक अभिक्रिया कर लेता है। यदी इसे हवा में रखा जाये तो यह जल्दी ही वायु में मौजूद ओक्सीजन से अभिक्रिया करने लगता है, जो इसके शीघ्र ही आग पकड़ लेने में प्रकट होता है। इस कारणवश इसे तेल में डुबो कर रखा जाता है। तेल से निकालकर इसे काटे जाने पर यह चमकीला होता है लेकिन जल्द ही पहले भूरा-सा बनकर चमक खो देता है और फिर काला होने लगता है। अपनी इस अधिक अभिक्रियाशीलता की वजह से यह प्रकृति में शुद्ध रूप में कभी नहीं मिलता बल्कि केवल अन्य तत्वों के साथ यौगिकों में ही पाया जाता है। अपने कम घनत्व के कारण लिथियम बहुत हलका होता है और धातु होने के बावजूद इसे आसानी से चाकू से काटा जा सकता है। .

आत्महत्या और लिथियम · कर्ट कोबेन और लिथियम · और देखें »

जैन धर्म

जैन ध्वज जैन धर्म भारत के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक है। 'जैन धर्म' का अर्थ है - 'जिन द्वारा प्रवर्तित धर्म'। जो 'जिन' के अनुयायी हों उन्हें 'जैन' कहते हैं। 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने - जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया और विशिष्ट ज्ञान को पाकर सर्वज्ञ या पूर्णज्ञान प्राप्त किया उन आप्त पुरुष को जिनेश्वर या 'जिन' कहा जाता है'। जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान्‌ का धर्म। अहिंसा जैन धर्म का मूल सिद्धान्त है। जैन दर्शन में सृष्टिकर्ता कण कण स्वतंत्र है इस सॄष्टि का या किसी जीव का कोई कर्ता धर्ता नही है।सभी जीव अपने अपने कर्मों का फल भोगते है।जैन धर्म के ईश्वर कर्ता नही भोगता नही वो तो जो है सो है।जैन धर्म मे ईश्वरसृष्टिकर्ता इश्वर को स्थान नहीं दिया गया है। जैन ग्रंथों के अनुसार इस काल के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव आदिनाथ द्वारा जैन धर्म का प्रादुर्भाव हुआ था। जैन धर्म की अत्यंत प्राचीनता करने वाले अनेक उल्लेख अ-जैन साहित्य और विशेषकर वैदिक साहित्य में प्रचुर मात्रा में हैं। .

आत्महत्या और जैन धर्म · कर्ट कोबेन और जैन धर्म · और देखें »

विचारधारा

विचारधारा, सामाजिक राजनीतिक दर्शन में राजनीतिक, कानूनी, नैतिक, सौंदर्यात्मक, धार्मिक तथा दार्शनिक विचार चिंतन और सिद्धांत प्रतिपादन की व्यवस्थित प्राविधिक प्रक्रिया है। विचारधारा का सामान्य आशय राजनीतिक सिद्धांत रूप में किसी समाज या समूह में प्रचलित उन विचारों का समुच्चय है जिनके आधार पर वह किसी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संगठन विशेष को उचित या अनुचित ठहराता है। विचारधारा के आलोचक बहुधा इसे एक ऐसे विश्वास के विषय के रूप में व्यवहृत करते हैं जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता। तर्क दिया जाता है कि किसी विचारधारा विशेष के अनुयायी उसे अपने आप में सत्य मानकर उसका अनुसरण करते हैं, उसके सत्यापन की आवश्यकता नहीं समझी जाती। वस्तुतः प्रत्येक विचारधारा के समर्थक उसकी पुष्टि के लिए किंचित सिद्धांत और तर्क अवश्य प्रस्तुत करते हैं और दूसरे के मन में उसके प्रति आस्था और विश्वास पैदा करने का प्रयत्न करते हैं। .

आत्महत्या और विचारधारा · कर्ट कोबेन और विचारधारा · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

आत्महत्या और कर्ट कोबेन के बीच तुलना

आत्महत्या 43 संबंध है और कर्ट कोबेन 54 है। वे आम 4 में है, समानता सूचकांक 4.12% है = 4 / (43 + 54)।

संदर्भ

यह लेख आत्महत्या और कर्ट कोबेन के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »