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आणुविक स्व-संयोजन और प्रोटीन

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

आणुविक स्व-संयोजन और प्रोटीन के बीच अंतर

आणुविक स्व-संयोजन vs. प्रोटीन

foldamer का आणुविक स्व-संयोजन, जा़न-मारी लैह्न और साथियों द्वारा प्रतिवेदित (Helv. Chim. Acta., 2003, 86, 1598-1624.) किसी भी प्रणाली या यंत्र को बनाने की प्रक्रिया यदी वह प्रणाली खुद ही जान ले, तो वह अपने ही नकशे पर प्रतिलिपिकरण कर सकती है। आणुविक स्तर पर कोशिकाओं के अन्दर डी एन ए के नकशे की बदोलत सम्पूर्ण कोशिका का स्व-संयोजन हो जाता है। न सिर्फ यह, शरीर के लिये महत्वपूर्ण प्रोटीन का निर्माण भी यूँ ही होता है। इस प्राकृतिक प्रतिभास का प्रयोग यदी जान लिया जाये, तो आणुविक पैमाना पर यंत्र बनाये जा सकेंगे। इन प्रणालियों पर अध्ययन शुरू हुआ नैनोतकनीकी जैसे शास्त्रों के विकास से। गैर सह-संयुज बोन्डिंग से दिष्ट आणुविक संयोजन किया जा सकता है। विशाल अणुकण के निर्माण इस ही तरह से होता है। श्रेणी:रासायनिक अभियान्त्रिकी श्रेणी:विशाल अणुकणिका रसायन शास्त्र. रुधिरवर्णिका(हीमोग्लोबिन) की संरचना- प्रोटीन की दोनो उपइकाईयों को लाल एंव नीले रंग से तथा लौह भाग को हरे रंग से दिखाया गया है। प्रोटीन या प्रोभूजिन एक जटिल भूयाति युक्त कार्बनिक पदार्थ है जिसका गठन कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन एवं नाइट्रोजन तत्वों के अणुओं से मिलकर होता है। कुछ प्रोटीन में इन तत्वों के अतिरिक्त आंशिक रूप से गंधक, जस्ता, ताँबा तथा फास्फोरस भी उपस्थित होता है। ये जीवद्रव्य (प्रोटोप्लाज्म) के मुख्य अवयव हैं एवं शारीरिक वृद्धि तथा विभिन्न जैविक क्रियाओं के लिए आवश्यक हैं। रासायनिक गठन के अनुसार प्रोटीन को सरल प्रोटीन, संयुक्त प्रोटीन तथा व्युत्पन्न प्रोटीन नामक तीन श्रेणियों में बांटा गया है। सरल प्रोटीन का गठन केवल अमीनो अम्ल द्वारा होता है एवं संयुक्त प्रोटीन के गठन में अमीनो अम्ल के साथ कुछ अन्य पदार्थों के अणु भी संयुक्त रहते हैं। व्युत्पन्न प्रोटीन वे प्रोटीन हैं जो सरल या संयुक्त प्रोटीन के विघटन से प्राप्त होते हैं। अमीनो अम्ल के पॉलीमराईजेशन से बनने वाले इस पदार्थ की अणु मात्रा १०,००० से अधिक होती है। प्राथमिक स्वरूप, द्वितीयक स्वरूप, तृतीयक स्वरूप और चतुष्क स्वरूप प्रोटीन के चार प्रमुख स्वरुप है। प्रोटीन त्वचा, रक्त, मांसपेशियों तथा हड्डियों की कोशिकाओं के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। जन्तुओं के शरीर के लिए कुछ आवश्यक प्रोटीन एन्जाइम, हार्मोन, ढोने वाला प्रोटीन, सिकुड़ने वाला प्रोटीन, संरचनात्मक प्रोटीन एवं सुरक्षात्मक प्रोटीन हैं। प्रोटीन का मुख्य कार्य शरीर की आधारभूत संरचना की स्थापना एवं इन्जाइम के रूप में शरीर की जैवरसायनिक क्रियाओं का संचालन करना है। आवश्यकतानुसार इससे ऊर्जा भी मिलती है। एक ग्राम प्रोटीन के प्रजारण से शरीर को ४.१ कैलीरी ऊष्मा प्राप्त होती है। प्रोटीन द्वारा ही प्रतिजैविक (एन्टीबॉडीज़) का निर्माण होता है जिससे शरीर प्रतिरक्षा होती है। जे.

आणुविक स्व-संयोजन और प्रोटीन के बीच समानता

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आणुविक स्व-संयोजन और प्रोटीन के बीच तुलना

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संदर्भ

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