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आग्नेय शैल और कार्बन डाईऑक्साइड

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

आग्नेय शैल और कार्बन डाईऑक्साइड के बीच अंतर

आग्नेय शैल vs. कार्बन डाईऑक्साइड

ग्रेनाइट (एक आग्नेय चट्टान) चेन्नई मे, भारत. आग्नेय चट्टान (जर्मन: Magmatisches Gestein) की रचना धरातल के नीचे स्थित तप्त एवं तरल चट्टानी पदार्थ, अर्थात् मैग्मा, के सतह के ऊपर आकार लावा प्रवाह के रूप में निकल कर अथवा ऊपर उठने के क्रम में बाहर निकल पाने से पहले ही, सतह के नीचे ही ठंढे होकर इन पिघले पदार्थों के ठोस रूप में जम जाने से होती है। अतः आग्नेय चट्टानें पिघले हुए चट्टानी पदार्थ के ठंढे होकर जम जाने से बनती हैं। ये रवेदार भी हो सकती है और बिना कणों या रवे के भी। ये चट्टानें पृथ्वी पर पायी जाने वाली अन्य दो प्रमुख चट्टानों, अवसादी और रूपांतरित के साथ मिलकर पृथ्वी पर पायी जाने वाली चट्टानों के तीन प्रमुख प्रकार बनाती हैं। पृथ्वी के धरातल की उत्पत्ति में सर्वप्रथम इनका निर्माण होने के कारण इन्हें 'प्राथमिक शैल' भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए भी कहा जाता है कि यही वे पहली चट्टानें हैं जो पिघले हुए चट्टानी पदार्थ से बनती हैंजबकि अवसादी या रूपांतरित चट्टानें इन आग्नेय चट्टानों के टूटने या ताप और दाब के प्रभाव आकार में बदलने से से बनती हैं। इनके दो मुख्य प्रकार हैं। ज्वालामुखी उदगार के समय भूगर्भ से निकालने वाला लावा जब धरातल पर जमकर ठंडा हो जाने के पश्चात आग्नेय चट्टानों में परिवर्तित हो जाता है तो इसे बहिर्भेदी या ज्वालामुखीय चट्टान कहा जाता है। इसके विपरीत जब ऊपर उठता हुआ मैग्मा धरातल की सतह पर आकर बाहर निकलने से पहले ही ज़मीन के अन्दर ही ठंडा होकर जम जाता है तो इस प्रकार अंतर्भेदी चट्टान कहते हैं। चूँकि, ज़मीनी सतह से नीचे बनने वाली आग्नेय चट्टानें धीरे-धीरे ठंडी होकर जमती है, ये रवेदार होती हैं, क्योंकि मैग्माई पदार्थ के अणुओं के एक दूसरे के साथ संयोजित होकर क्रिस्टल या रवे बनाने हेतु काफ़ी समय मिल जाता है। इसके ठीक उलट, जब मैग्मा लावा के रूप में ज्वालामुखी उदगार के समय बाहर निकल कर ठंढा होकर जमता है तो रवे बनने के लिये पर्याप्त समय नहीं मिलता और इस प्रकार बहिर्भेदी आग्नेय चट्टानें काँचीय या गैर-रवेदार (glassy) होती हैं। आग्नेय चट्टानों में परतों और जीवाश्मों का पूर्णतः अभाव पाया जाता है। अप्रवेश्यता अधिक होने के कारण इन पर रासायनिक अपक्षय का बहुत कम प्रभाव पड़ता है, लेकिन यांत्रिक एवं भौतिक अपक्षय के कारण इनका विघटन व वियोजन प्रारम्भ हो जाता है। ग्रेनाइट, बेसाल्ट, गैब्रो, ऑब्सीडियन, डायोराईट, डोलोराईट, एन्डेसाईट, पेरिड़ोटाईट, फेलसाईट, पिचस्टोन, प्युमाइस इत्यादि आग्नेय चट्टानों के प्रमुख उदाहरण है। . कार्बन डाइआक्साइड (Carbon dioxide) (रासायनिक सूत्र CO2) एक रंगहीन तथा गन्धहीन गैस है जो पृथ्वी पर जीवन के लिये अत्यावश्यक है। धरती पर यह प्राकृतिक रूप से पायी जाती है। धरती के वायुमण्डल में यह गैस आयतन के हिसाब से लगभग 0.03 प्रतिशत होती है। कार्बन डाईऑक्साइड कार्बन डाइआक्साइड का निर्माण आक्सीजन के दो परमाणु तथा कार्बन के एक परमाणु से मिलकर हुआ है। सामान्य तापमान तथा दबाव पर यह गैसीय अवस्था में रहती है। वायुमंडल में यह गैस 0.03% 0.04% तक पाई जाती है, परन्तु मौसम में परिवर्तन के साथ वायु में इसकी सान्द्रता भी थोड़ी परिवर्तित होती रहती है। यह एक ग्रीनहाउस गैस है, क्योंकि सूर्य से आने वाली किरणों को तो यह पृथ्वी के धरातल पर पहुंचने देती है परन्तु पृथ्वी की गर्मी जब वापस अंतरिक्ष में जाना चाहती है तो यह उसे रोकती है। पृथ्वी के सभी सजीव अपनी श्वसन की क्रिया में कार्बन डाइआक्साइड का त्याग करते है। जबकि हरे पेड़-पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करते समय इस गैस को ग्रहण करके कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करते हैं। इस प्रकार कार्बन डाइआक्साइड कार्बन चक्र का प्रमुख अवयव है। कार्बन के रासायनिक यौगिकों को कार्बनिक यौगिक कहते हैं। प्रकृति में इनकी संख्या 10 लाख से भी अधिक है। जीवन पद्धति में कार्बनिक यौगिकों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। इनमें कार्बन के साथ-साथ हाइड्रोजन भी रहता है। ऐतिहासिक तथा परंपरा गत कारणों से कुछ कार्बन के यौगकों को कार्बनिक यौगिकों की श्रेणी में नहीं रखा जाता है। इनमें कार्बनडाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड प्रमुख हैं। सभी जैव अणु जैसे कार्बोहाइड्रेट, अमीनो अम्ल, प्रोटीन, आरएनए तथा डीएनए कार्बनिक यौगिक ही हैं। कार्बन और हाइड्रोजन के यौगिको को हाइड्रोकार्बन कहते हैं। मेथेन (CH4) सबसे छोटे अणुसूत्र का हाइड्रोकार्बन है। ईथेन (C2H6), प्रोपेन (C3H8) आदि इसके बाद आते हैं, जिनमें क्रमश: एक एक कार्बन जुड़ता जाता है। हाइड्रोकार्बन तीन श्रेणियों में विभाजित किए जा सकते हैं: ईथेन श्रेणी, एथिलीन श्रेणी और ऐसीटिलीन श्रेणी। ईथेन श्रेणी के हाइड्रोकार्बन संतृप्त हैं, अर्थात्‌ इनमें हाइड्रोजन की मात्रा और बढ़ाई नहीं जा सकती। एथिलीन में दो कार्बनों के बीच में एक द्विबंध (.

आग्नेय शैल और कार्बन डाईऑक्साइड के बीच समानता

आग्नेय शैल और कार्बन डाईऑक्साइड आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): तापमान, दाब

तापमान

आदर्श गैस के तापमान का सैद्धान्तिक आधार अणुगति सिद्धान्त से मिलता है। तापमान किसी वस्तु की उष्णता की माप है। अर्थात्, तापमान से यह पता चलता है कि कोई वस्तु ठंढी है या गर्म। उदाहरणार्थ, यदि किसी एक वस्तु का तापमान 20 डिग्री है और एक दूसरी वस्तु का 40 डिग्री, तो यह कहा जा सकता है कि दूसरी वस्तु प्रथम वस्तु की अपेक्षा गर्म है। एक अन्य उदाहरण - यदि बंगलौर में, 4 अगस्त 2006 का औसत तापमान 29 डिग्री था और 5 अगस्त का तापमान 32 डिग्री; तो बंगलौर, 5 अगस्त 2006 को, 4 अगस्त 2006 की अपेक्षा अधिक गर्म था। गैसों के अणुगति सिद्धान्त के विकास के आधार पर यह माना जाता है कि किसी वस्तु का ताप उसके सूक्ष्म कणों (इलेक्ट्रॉन, परमाणु तथा अणु) के यादृच्छ गति (रैण्डम मोशन) में निहित औसत गतिज ऊर्जा के समानुपाती होता है। तापमान अत्यन्त महत्वपूर्ण भौतिक राशि है। प्राकृतिक विज्ञान के सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों (भौतिकी, रसायन, चिकित्सा, जीवविज्ञान, भूविज्ञान आदि) में इसका महत्व दृष्टिगोचर होता है। इसके अलावा दैनिक जीवन के सभी पहलुओं पर तापमान का महत्व है। .

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दाब

दाब का मान प्रदर्शित करने के लिये पारा स्तंभ किसी सतह के इकाई क्षेत्रफल पर लगने वाले अभिलम्ब बल को दाब (Pressure) कहते हैं। इसकी इकाई 'न्यूटन प्रति वर्ग मीटर' होती है। दाब की और भी कई प्रचलित इकाइयाँ हैं। p .

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आग्नेय शैल और कार्बन डाईऑक्साइड के बीच तुलना

आग्नेय शैल 25 संबंध है और कार्बन डाईऑक्साइड 26 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 3.92% है = 2 / (25 + 26)।

संदर्भ

यह लेख आग्नेय शैल और कार्बन डाईऑक्साइड के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: