आख्यान और शहरी किंवदंती
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आख्यान और शहरी किंवदंती के बीच अंतर
आख्यान vs. शहरी किंवदंती
आख्यान या अनुश्रुति शब्द आरंभ से ही सामान्यत: कथा अथवा कहानी के अर्थ में प्रयुक्त होता रहा है। तारानाथकृत "वाचस्पत्यम्" नामक कोश के प्रथम भाग में, इसकी व्युत्पत्ति "आख्यायते अनेनेति आख्यानम्" दी है। साहित्यदर्पण में आख्यान को "पुरावृत कथन" (आख्यानं पूर्ववृतोक्ति) कहा गया है। डॉ॰ एस.के. एक शहरी किंवदंती, शहरी मिथक, या शहरी कहानी, लोककथाओं का एक आधुनिक रूप है, जो कई कहानियों से मिलकर बनता है और इनका प्रसार करने वाले व्यक्ति सोचते/मानते हैं कि यह कहानियां तथ्यों पर आधारित हैं। सभी लोककथाओं की तरह जरूरी नहीं कि सभी शहरी किंवदंतियां झूठ हों, लेकिन इन्हें अक्सर विकृत, अतिरंजित और सनसनीपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया जाता है। अपने नाम के विपरीत जरूरी नहीं कि सभी शहरी किंवदंतियों की पृष्ठ भूमि शहरी हो, इस शब्द को सिर्फ आधुनिक किंवदंतियों को पूर्वऔद्योगिक कालीन और प्राचीनकालीन किंवदंतियों से अलग करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इस कारण से, समाजशास्त्री और लोककथा लेखक इसे "समकालीन किंवदंती" कहना पसंद करते हैं। शहरी किंवदंतियों को कभी कभी समाचार विवरणों में दोहराया जाता है, हाल के वर्षों में, इन्हे ई-मेल द्वारा वितरित किया जाता है। अक्सर लोग कहते हैं कि अमुक घटना उनके एक 'दोस्त के दोस्त' के साथ घटी थी और इसका इतना प्रसार होता है कि आज "दोस्त के दोस्त" वाक्यांश का इस्तेमाल आमतौर पर इस तरह की किसी कहानी का विवरण देने मे किया जाता है। .
आख्यान और शहरी किंवदंती के बीच समानता
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