3 संबंधों: भारत के सामाजिक आन्दोलन, भीमराव आम्बेडकर, आंबेडकर जयंती।
भारत के सामाजिक आन्दोलन
भारत में स्वतंत्रता के बाद १९७० के दशक से सामाजिक आन्दोलनों की शुरुवात देखने को मिली।.
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भीमराव आम्बेडकर
भीमराव रामजी आम्बेडकर (१४ अप्रैल, १८९१ – ६ दिसंबर, १९५६) बाबासाहब आम्बेडकर के नाम से लोकप्रिय, भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाजसुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) के खिलाफ सामाजिक भेद भाव के विरुद्ध अभियान चलाया। श्रमिकों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री, भारतीय संविधान के प्रमुख वास्तुकार एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे। आम्बेडकर विपुल प्रतिभा के छात्र थे। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्राप्त की। उन्होंने विधि, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के शोध कार्य में ख्याति प्राप्त की। जीवन के प्रारम्भिक करियर में वह अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे एवम वकालत की। बाद का जीवन राजनीतिक गतिविधियों में बीता; वह भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रचार और बातचीत में शामिल हो गए, पत्रिकाओं को प्रकाशित करने, राजनीतिक अधिकारों की वकालत करने और दलितों के लिए सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत और भारत की स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया। 1990 में, उन्हें भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था। आम्बेडकर की विरासत में लोकप्रिय संस्कृति में कई स्मारक और चित्रण शामिल हैं। .
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आंबेडकर जयंती
आंबेडकर जयंती या भीम जयंती डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जिन्हें बाबासाहेब के नाम से भी जाना जाता है, के जन्म दिन १४ अप्रैल को तौहार के रूप में भारत समेत पुरी दुनिया में मनाया जाता है। इस दिन को 'समानता दिवस' और 'ज्ञान दिवस' के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकी जीवन भर समानता के लिए संघर्ष करने वाले प्रतिभाशाली डॉ॰ भीमराव आंबेडकर को समानता के प्रतिक और ज्ञान के प्रतिक भी कहां जाता है। भीमराव विश्व भर में उनके मानवाधिकार आंदोलन, संविधान निर्माण और उनकी प्रकांड विद्वता के लिए जाने जाते हैं और यह दिवस उनके प्रति वैश्विक स्तर पर सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर की पहली जयंती सदाशिव रणपिसे इन्होंने १४ अप्रेल १९२८ में पुणे शहर में मनाई थी। रणपिसे आंबेडकर के अनुयायी थे। उन्होंने आंबेडकर जयंती की प्रथा शुरू की और भीम जयंतीचे अवसरों पर बाबासाहेब की प्रतिमा हाथी के अंबारी में रखकर रथसे, उंट के उपर कई मिरवणुक निकाली थी। उनके जन्मदिन पर हर साल उनके लाखों अनुयायी उनके जन्मस्थल भीम जन्मभूमि महू (मध्य प्रदेश), बौद्ध धम्म दीक्षास्थल दीक्षाभूमि, नागपुर और उनका समाधी स्थल चैत्य भूमि, मुंबई में उन्हें अभिवादन करने लिए इकट्टा होते है। सरकारी दफ्तरों और भारत के हर बौद्ध विहार में भी आंबेडकर की जयंती मनाकर उन्हें नमन किया जाता है। विश्व के 55 से अधिक देशों में डॉ॰ भीमराव आंबेडकर की जयंती मनाई जाती है। गुगल ने डॉ॰ आंबेडकर की 124 वी जयंती 2015 पर अपने 'गुगल डुडल' पर उनकी तस्वीर लगाकर उन्हें अभिवादन किया। तीन महाद्विपों के देशों में यह डुडल था। .
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