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अहिंसा और व्रत (जैन)

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अहिंसा और व्रत (जैन) के बीच अंतर

अहिंसा vs. व्रत (जैन)

अहिंसा का सामान्य अर्थ है 'हिंसा न करना'। इसका व्यापक अर्थ है - किसी भी प्राणी को तन, मन, कर्म, वचन और वाणी से कोई नुकसान न पहुँचाना। मन में किसी का अहित न सोचना, किसी को कटुवाणी आदि के द्वार भी नुकसान न देना तथा कर्म से भी किसी भी अवस्था में, किसी भी प्राणी कि हिंसा न करना, यह अहिंसा है। जैन धर्म एवंम हिन्दू धर्म में अहिंसा का बहुत महत्त्व है। जैन धर्म के मूलमंत्र में ही अहिंसा परमो धर्म:(अहिंसा परम (सबसे बड़ा) धर्म कहा गया है। आधुनिक काल में महात्मा गांधी ने भारत की आजादी के लिये जो आन्दोलन चलाया वह काफी सीमा तक अहिंसात्मक था। . सत्प्रवृत्ति और दोषनिवृत्ति को ही जैनधर्म में व्रत कहा जाता है। सत्कार्य में प्रवृत्त होने के व्रत का अर्थ है उसके विरोधी असत्कार्यों से पहले निवृत्त हो जाना। फिर असत्कार्यों से निवृत्त होने के व्रत का मतलब है, उसके विरोधी सत्कार्यों में मन, वचन और काय से प्रवृत्त होना। मुख्य व्रत पाँच हैं- अहिंसा, अमृषा, अस्तेय, अमैथुन और अपरिग्रह। .

अहिंसा और व्रत (जैन) के बीच समानता

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अहिंसा और व्रत (जैन) के बीच तुलना

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संदर्भ

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