अस्तित्ववाद और सत्तामीमांसा
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अस्तित्ववाद और सत्तामीमांसा के बीच अंतर
अस्तित्ववाद vs. सत्तामीमांसा
किर्कगार्द, दास्त्रावस्की, नीत्शे तथा सार्त्र (बाएँ से दाएँ, ऊपर से नीचे) अस्तित्ववाद (एग्जिस्टेशन्शिएलिज़्म / existentialism) एक ऐसी विचारधारा है जिसमें अस्तित्व को तत्व से ऊपर समझा जाता है। इसके अनुसार मानव अपने पर्यावरण की निर्जीव वस्तुओं से आत्मबोध का उत्तरदायित्व पूर्णतया स्वयं लेता है। अतः उसे अपने पर्यावरण में तत्वज्ञान की अपेक्षा नहीं होती। 1940 व 1950 के दशक में अस्तित्ववाद पूरे यूरोप में एक विचारक्रांति के रूप में उभरा। यूरोप भर के दार्शनिक व विचारकों ने इस आंदोलन में अपना योगदान दिया है। इनमें ज्यां-पाल सार्त्र, अल्बर्ट कामू व इंगमार बर्गमन प्रमुख हैं। कालांतर में अस्तित्ववाद की दो धाराएं हो गई।. सत्तामीमांसा या वस्तुमीमांसा (ontology) अस्तित्व या वास्तविकता का दार्शनिक अध्ययन है। परम्परागत रूप से यह तत्वमीमांसा नामक दर्शन की शाखा का भाग है। श्रेणी:दर्शन *.
अस्तित्ववाद और सत्तामीमांसा के बीच समानता
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संदर्भ
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