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अस्तित्ववाद और ईसाई धर्म

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अस्तित्ववाद और ईसाई धर्म के बीच अंतर

अस्तित्ववाद vs. ईसाई धर्म

किर्कगार्द, दास्त्रावस्की, नीत्शे तथा सार्त्र (बाएँ से दाएँ, ऊपर से नीचे) अस्तित्ववाद (एग्जिस्टेशन्शिएलिज़्म / existentialism) एक ऐसी विचारधारा है जिसमें अस्तित्व को तत्व से ऊपर समझा जाता है। इसके अनुसार मानव अपने पर्यावरण की निर्जीव वस्तुओं से आत्मबोध का उत्तरदायित्व पूर्णतया स्वयं लेता है। अतः उसे अपने पर्यावरण में तत्वज्ञान की अपेक्षा नहीं होती। 1940 व 1950 के दशक में अस्तित्ववाद पूरे यूरोप में एक विचारक्रांति के रूप में उभरा। यूरोप भर के दार्शनिक व विचारकों ने इस आंदोलन में अपना योगदान दिया है। इनमें ज्यां-पाल सार्त्र, अल्बर्ट कामू व इंगमार बर्गमन प्रमुख हैं। कालांतर में अस्तित्ववाद की दो धाराएं हो गई।. '''ईद्भास/क्रॉस''' - यह ईसाई धर्म का निशान है ईसाई धर्म (अन्य प्रचलित नाम:मसीही धर्म व क्रिश्चियन धर्म) एक इब्राहीमीChristianity's status as monotheistic is affirmed in, amongst other sources, the Catholic Encyclopedia (article ""); William F. Albright, From the Stone Age to Christianity; H. Richard Niebuhr; About.com,; Kirsch, God Against the Gods; Woodhead, An Introduction to Christianity; The Columbia Electronic Encyclopedia; The New Dictionary of Cultural Literacy,; New Dictionary of Theology,, pp.

अस्तित्ववाद और ईसाई धर्म के बीच समानता

अस्तित्ववाद और ईसाई धर्म आम में 0 बातें हैं (यूनियनपीडिया में)।

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अस्तित्ववाद और ईसाई धर्म के बीच तुलना

अस्तित्ववाद 12 संबंध है और ईसाई धर्म 12 है। वे आम 0 में है, समानता सूचकांक 0.00% है = 0 / (12 + 12)।

संदर्भ

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