असमिया साहित्य और चंद्रकुमार अग्रवाल के बीच समानता
असमिया साहित्य और चंद्रकुमार अग्रवाल आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): लक्ष्मीनाथ बेजबरुवा, हेमचंद्र गोस्वामी, असमिया भाषा।
लक्ष्मीनाथ बेजबरुवा
लक्ष्मीनाथ बेजबरुवा (१८६४-१९३८) आधुनिक असमिया साहित्य के पथ-प्रदर्शक कहे जाते हैं। कविता, नाटक, गल्प, उपन्यास, निबन्ध, रम्यरचना, समालोचना, प्रहसन, जीवनी, आत्मजीवनी, शिशुसाहित्य, इतिहास अध्ययन, सांवादिकता आदि दृष्टियों से बेजबरुवा का योगदानदान अमूल्य है। उनका "असमिया साहित्येर चानेकी" नामक संकलन विशेष प्रसिद्ध है। असमिया साहित्य में उन्होंने कहानी तथा ललित निबंध के बीच के एक सहित्य रूप को अधिक प्रचलित किया। बेजबरुआ की हास्यरस की रचनाओं को काफी लोकप्रियता मिली। इसीलिए उसे "रसराज" की उपाधि दी गई। .
असमिया साहित्य और लक्ष्मीनाथ बेजबरुवा · चंद्रकुमार अग्रवाल और लक्ष्मीनाथ बेजबरुवा ·
हेमचंद्र गोस्वामी
हेमचन्द्र गोस्वामी (হেমচন্দ্ৰ গোস্বামী; 1872-1928), असमिया साहित्य के आधुनिक युग के आरम्भिक काल के प्रसिद्ध लेखक, कवि, इतिहासकार, शिक्षक, और भाषाशास्त्री थे। वे १९२० में तेजपुर में सम्पन्न असम साहित्य सभा के सभापति थे। वे अंग्रेजी राज में अतिरिक्त सहायक कमीशनर के पद से सेवानिवृत्त हुए। .
असमिया साहित्य और हेमचंद्र गोस्वामी · चंद्रकुमार अग्रवाल और हेमचंद्र गोस्वामी ·
असमिया भाषा
आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं की शृंखला में पूर्वी सीमा पर अवस्थित असम की भाषा को असमी, असमिया अथवा आसामी कहा जाता है। असमिया भारत के असम प्रांत की आधिकारिक भाषा तथा असम में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। इसको बोलने वालों की संख्या डेढ़ करोड़ से अधिक है। भाषाई परिवार की दृष्टि से इसका संबंध आर्य भाषा परिवार से है और बांग्ला, मैथिली, उड़िया और नेपाली से इसका निकट का संबंध है। गियर्सन के वर्गीकरण की दृष्टि से यह बाहरी उपशाखा के पूर्वी समुदाय की भाषा है, पर सुनीतिकुमार चटर्जी के वर्गीकरण में प्राच्य समुदाय में इसका स्थान है। उड़िया तथा बंगला की भांति असमी की भी उत्पत्ति प्राकृत तथा अपभ्रंश से भी हुई है। यद्यपि असमिया भाषा की उत्पत्ति सत्रहवीं शताब्दी से मानी जाती है किंतु साहित्यिक अभिरुचियों का प्रदर्शन तेरहवीं शताब्दी में रुद्र कंदलि के द्रोण पर्व (महाभारत) तथा माधव कंदलि के रामायण से प्रारंभ हुआ। वैष्णवी आंदोलन ने प्रांतीय साहित्य को बल दिया। शंकर देव (१४४९-१५६८) ने अपनी लंबी जीवन-यात्रा में इस आंदोलन को स्वरचित काव्य, नाट्य व गीतों से जीवित रखा। सीमा की दृष्टि से असमिया क्षेत्र के पश्चिम में बंगला है। अन्य दिशाओं में कई विभिन्न परिवारों की भाषाएँ बोली जाती हैं। इनमें से तिब्बती, बर्मी तथा खासी प्रमुख हैं। इन सीमावर्ती भाषाओं का गहरा प्रभाव असमिया की मूल प्रकृति में देखा जा सकता है। अपने प्रदेश में भी असमिया एकमात्र बोली नहीं हैं। यह प्रमुखतः मैदानों की भाषा है। .
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संदर्भ
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